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सरस्वती को वाणी की देवी क्यों कहते हैं?

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
सृष्टि के निर्माण के समय सबसे पहले महालक्ष्मी देवी प्रकट हुईं। उन्होंने भगवान शिव, विष्णु एवं ब्रह्माजी का आह्वान किया। जब ये तीनों देव उपस्थित हुए, तब देवी महालक्ष्मी ने तीनों देवों से अपने-अपने गुण के अनुसार देवियों को प्रकट करने का अनुरोध किया।

भगवान शिव ने तमोगुण से महाकाली, भगवान विष्णु ने रजोगुण से देवी लक्ष्मी तथा ब्रह्माजी ने सतोगुण से देवी सरस्वती का आह्वान किया। जब ये तीनों देवियां प्रकट हुईं, तब जिन-जिन देवों ने जिन-जिन देवियों का आह्वान किया था उन्हें उन-उन देवी को सृष्टि संचालन हेतु महालक्ष्मी ने भेंट कर दिया। इसके पश्चात स्वयं महालक्ष्मी माता लक्ष्मी के स्वरूप में समा गईं।
 
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सृष्टि का निर्माण कार्य पूरा करने के बाद ब्रह्माजी ने जब अपनी बनाई हुई सृष्टि को देखा तो वह मृत शरीर की भांति शांत नजर आई, क्योंकि इसमें न तो कोई स्वर था और न ही वाणी। अपनी उदासीन सृष्टि को देखकर ब्रह्माजी को अच्छा नहीं लगा। 
 
ब्रह्माजी भगवान विष्णु के पास गए और अपनी उदासीन सृष्टि के विषय में बताया। ब्रह्माजी से तब भगवान विष्णु ने कहा कि देवी सरस्वती आपकी इस समस्या का समाधान कर सकती हैं। आप उनका आह्वान कीजिए। उनकी वीणा के स्वर से आपकी सृष्टि में ध्वनि प्रवाहित होने लगेगी।
 
भगवान विष्णु के कथनानुसार ब्रह्माजी ने सरस्वती देवी का आह्वान किया। सरस्वती माता के प्रकट होने पर ब्रह्माजी ने उन्हें अपनी वीणा से सृष्टि में स्वर भरने का अनुरोध किया। माता सरस्वती ने जैसे ही वीणा के तारों को छुआ, उससे सहसा 'सा' शब्द फूट पड़ा। यह शब्द संगीत के सप्त सुरों में प्रथम सुर है।
 
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इस ध्वनि से ब्रह्माजी की मूक सृष्टि में ध्वनि का संचार होने लगा। हवाओं, सागर, पशु-पक्षियों एवं अन्य जीवों को वाणी मिल गई। नदियों से कल-कल की ध्वनि फूटने लगी। इससे ब्रह्माजी अतिप्रसन्न हुए। उन्होंने सरस्वती को 'वाणी की देवी' के नाम से संबोधित करते हुए 'वागेश्वरी' नाम दिया, माता सरस्वती का एक नाम यह भी है। सरस्वती माता के हाथों में वीणा होने के कारण इन्हें 'वीणापाणि' भी कहा जाता है।
 
वसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती  का जन्मोत्सव
 
वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की पूजा की प्रथा सदियों से चली आ रही है। मान्यता है की सृष्टि के निर्माण के समय देवी सरस्वती बसंत पंचमी के दिन प्रकट हुई थीं अत: बसंत पंचमी को मां सरस्वती के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है इसलिए मां सरस्वती की पूजा- अर्चना की जाती है।

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