नई दिल्ली। उत्तराखंड में चुनावी दंगल का दिलचस्प सियासी नजारा दिख रहा है, जहां भाजपा के खेमे में भगत सिंह कोश्यारी, बीसी खंडूरी, रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा जैसे पूर्व मुख्यमंत्री हैं लेकिन पार्टी ने विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।
4 से अधिक पूर्व मुख्यमंत्रियों की फौज के बावजूद भाजपा ने उत्तराखंड में मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं पेश किया है और उत्तराखंड में भाजपा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर ही वोट मांगती दिख रही है। स्थिति यह है कि भाजपा ने किसी पूर्व मुख्यमंत्री को टिकट तक नहीं दिया। इन नामों में दिग्गज नेता नारायण दत्त तिवारी भी शामिल हैं।
उत्तराखंड का चुनावी समर अपने अहम पड़ाव पर पहुंच चुका है। भाजपा अपने अधिकतर प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है। राज्य में 15 फरवरी को मतदान होना है। चुनाव प्रचार के लिए 1-1 दिन अहम होता जा रहा है।
कांग्रेस के पास हरीश रावत के रूप में मुख्यमंत्री का चेहरा सभी के सामने है। अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो हरीश रावत ही मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन अगर भाजपा बहुमत में आती है तो मुख्यमंत्री कौन होगा? इस सवाल का भाजपा के पास फिलहाल कोई जवाब नहीं है।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड में मुख्यमंत्री का उम्मीदवार पेश किए बिना ही चुनाव लड़े और इन राज्यों में हमारी सरकार बनी। जनता के समक्ष केंद्र में हमारे सुशासन, भ्रष्टाचार मुक्त शासन और गांव, गरीब, किसान, महिलाओं, युवाओं को समर्पित केंद्र सरकार का उदाहरण है।
उत्तराखंड की सियासत में इस वक्त एक बेहद दिलचस्प नजारा देखने को मिल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, बीसी खंडूरी, रमेश पोखरियाल निशंक के अलावा अब एनडी तिवारी भी भाजपा के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। भगत सिंह कोश्यारी राज्य गठन के बाद गठित हुई बीजेपी की अंतरिम सरकार के दूसरे मुखिया बने थे।
दूसरी विधानसभा के कार्यकाल में मेजर जनरल रहे भुवन चंद्र खंडूरी और रमेश पोखरियाल निशंक मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस छोड़कर पूर्व सीएम विजय बहुगुणा तो पहले ही कमल का दामन थाम चुके हैं। अब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके नारायण दत्त तिवारी भी भाजपा खेमे में खड़े दिखाई दे रहे हैं।
गौरतलब है कि मौजूदा विधानसभा के गठन के वक्त विजय बहुगुणा कांग्रेस सरकार के मुखिया बने थे, लेकिन अपनी कुर्सी छिनने के बाद बहुगुणा ने पहले तो हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत की और फिर भाजपा में शामिल हो गए। इसके बावजूद भाजपा उत्तराखंड के मौजूदा विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने में नाकाम रही है। देवभूमि में भाजपा मोदी के नाम पर वोट मांग रही है। (भाषा)