Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

अयोध्या में रामलला की मूर्ति को लेकर विवाद, सतेन्द्र दास ने कहा- पुरानी मूर्ति ही विराजित की जाए

अयोध्या में रामलला की मूर्ति को लेकर विवाद, सतेन्द्र दास ने कहा- पुरानी मूर्ति ही विराजित की जाए
webdunia

संदीप श्रीवास्तव

, सोमवार, 25 अप्रैल 2022 (18:55 IST)
अयोध्या में निर्मित हो रहे भव्य राम मंदिर को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। दरअसल, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र के महासचिव चंपत राय द्वारा हाल ही दिए गए बयान कि रामलला की मूर्ति को बदला जा सकता है, ने विवाद का रूप ले लिया है। संत समुदाय ने इस पर रोष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि 70 वर्षों से ज्यादा समय से जिस मूर्ति की पूजा हो रही है, उसे नहीं बदला जाना चाहिए। 
 
हालांकि राम मंदिर के मुख्‍य पुजारी आचार्य सतेन्द्र दास को छोड़कर कोई भी संत कैमरे के सामने नहीं आया, लेकिन दबे सुर में इस फैसले पर सभी ने नाराजगी जरूर जाहिर की। सतेन्द्र दास समेत सभी संत-महंत और आम लोगों का मानना है कि हम सब जिनकी 70 वर्षों से भी अधिक समय से पूजा- आराधना करते चले आ रहे हैं, जिनके नाम से ही इतने लम्बे वर्षों तक अदालत में केस चला और विजय हासिल हुई। उन रामलला को नहीं बदलना चाहिए। 
 
आचार्य सतेन्द्र दास ने वेबदुनिया से बातचीत में कहा कि भव्य-दिव्य राम मंदिर के निर्माण होने का आदेश देश की सबसे बड़ी अदालत से हुआ, जिसके बाद उनका भव्य- दिव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू भी हो गया है। उन्हीं के नाम से दुनियाभर से करोड़ों-अरबों रुपए आए हैं। अब जब उन्हें भव्य राम मंदिर मे दिव्य स्थान मिलना चाहिए तो उन्हें बदलने की बात उचित नहीं हैं। हम सबकी उसी मूर्ति से आस्था जुड़ी हुई है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अन्य जिसका भी मंदिर वहां वहा बनना है बने, जिसकी भी मूर्तियां लगनी हैं लगें, किन्तु इतने लम्बे समय तक जिस राम जन्मभूमि के लिए संघर्ष हुआ, उस भव्य-दिव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में रामलला की वर्तमान मूर्ति को ही विराजमान होना चाहिए। 
 
क्या कहा गया बैठक में : श्रीराम जन्मभूमि न्यास ट्रस्ट के चंपत राय ने हाल ही में कहा था कि ट्रस्ट की बैठक में निर्णय लिया गया कि रामलला के मंदिर के साथ-साथ महर्षि बाल्मीकि, माता शबरी, निषादराज, जटायु, माता जानकी, गणपति आदि देवों का मंदिर बनना चाहिए। कैसा बनेगा और कहां बनेगा, इस पर बाद में चर्चा होगी। बैठक में इस पर भी चर्चा की गई कि रामलला की मूर्ति कैसी हो, कितनी बड़ी हो। रामलला की बाल रूप में ही मूर्ति बनेगी। मूर्ति का रंग कैसा होना चाहिए, इस पर भी विचार हुआ। 
 
उन्होंने कहा कि मंदिरों का संचालन करने वाले सभी लोग जानते हैं कि एक मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति होती हैं, वो अचल होती है, जिसे हटाया नहीं जा सकता है। वह आकृति में भी बड़ी होती है। दूसरी चल प्रतिमाएं होती हैं, इन्हें उत्सव मूर्ति भी कह सकते हैं। उन्हें किसी पूजा उपासना में गर्भ गृह से बाहर भी निकालकर लाया जा सकता है। इसलिए 70 साल से जिन प्रतिमाओं जिन विग्रहों का समाज पूजन कर रहा है, वो उत्सव मूर्तियों का रूप ग्रहण किए हैं। 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

मुख्‍यमंत्री खट्टर का बड़ा बयान, हरियाणा में मुफ्त लगेगी बूस्टर डोज