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साहब हम बाजार गई राहन सुमे बेचन, लौट कर आए तो मकान गिर रहा है, बताओ अब कहां जान

साहब हम बाजार गई राहन सुमे बेचन, लौट कर आए तो मकान गिर रहा है, बताओ अब कहां जान

अवनीश कुमार

, बुधवार, 11 मई 2022 (08:03 IST)
कानपुर देहात। कानपुर देहात में जहां भू माफिया तालाबों व सरकारी जमीनों पर कब्जा किए हुए हैं और जिला प्रशासन को उन कब्जों को हटाने के लिए सोचना पड़ रहा है लेकिन गरीबों के घर को उजाड़ने में सरकारी बुलडोजर को मिनट भी नहीं लग रहा है।
 
इसका जीता जागता उदाहरण कानपुर देहात के भोगनीपुर में देखने को मिला जहां एक महिला रो रो कर अपनी घर उजाड़ने की दास्तां बयां कर रही है और तहसील प्रशासन से सवाल कर रही है 'साहब बताओ अब कहां जान'। वही तहसील प्रशासन भी सफाई देने में जुटा है और सरकारी जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई होने की बात कह रहे हैं।
 
साहब बताओ अब कहां जान : कानपुर देहात के भोगनीपुर तहसील के मूसानगर सुरजापुर गाँव में रहने वाली 60 वर्षीय रूबी रो-रो कर अपनी दास्तां बयां कर रही है। इनके आंसू जिसने भी देखें वह भावुक हो गया 60 वर्षीय रूबी रो रो कर कह रही है साहब हम बाजार गई राहन सुमे बेचन,लौट कर आए तो मकान गिर रहा है, बताओ अब कहां जान।
 
रूबी कहती हैं कि का होई हमार लड़का बच्चन का हम कहां जाएं। तो वही संतोष भी यह मंजर देख कर परेशान हो गए और उन्होंने बताया कि उन्हें नही पता किसने उनका मकान गिरा दिया ना तो उन्हें नोटिस दी गई और न ही जानकारी। उनके आगे अब अपनी बूढ़ी मां और विकलांग बेटे की चिंता सताने लगी है कि उन्हें लेकर कहा जाएंगे। वो शासन और प्रशासन से अब गुहार लगा रहे हैं कि उनको रहने के लिए घर दिया जाए जिसमे वो बूढ़ी मां अपनी बची जिंदगी काट सके। मेरा मकान यहां पर 45 साल से बना हुआ है और मेरे पिताजी यहां रह रहे थे।
 
सफाई में जारी किया पत्र : गरीबों के मकान पर बुलडोजर चलाने के बाद भोगनीपुर के उप जिलाधिकारी अजय कुमार राय ने पत्र जारी करते हुए मीडिया को बताया कि ग्राम गौसगंज की गाटा सं.292 रकबा 0.953हे0 भूमि (ग्रामसभा) की जोकि राजस्व अभिलेखों में झाड़ियों के जंगल के नाम दर्ज है। जिस पर संतोष पुत्र रामदीन व राम सिंह पुत्र जगन्नाथ द्वारा पक्का निर्माण कर कब्जा किया जा रहा था।

लेखपाल द्वारा मौके पर जाकर कई बार निर्माण कार्य को रोका गया किन्तु उक्त दोनो लोग अपना-अपना निर्माण नहीं रोक रहे थे। मौके पर पक्की दीवार बनाकर कब्जा किया जा रहा था, जिसकी छत नहीं पड़ी थी। जिसे गिराया गया है। दोनो व्यक्तियों के पास में ही अलग-अलग पक्के मकान बने हुए है। जिसमे परिवार सहित निवासरत है।

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