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हेलीकॉप्टर 'विभ्रम' 11,500 फीट की ऊंचाई तक जा कर सकता है निगरानी, NDRF ​कर रही है ट्रॉयल...

हेलीकॉप्टर 'विभ्रम' 11,500 फीट की ऊंचाई तक जा कर सकता है निगरानी, NDRF ​कर रही है ट्रॉयल...
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अवनीश कुमार

, शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2021 (14:47 IST)
लखनऊ। उत्तरप्रदेश के कानपुर आईआईटी और ​​इनक्यूबेटेड कंपनी 'इंड्योरएयर' ने एक कम भार वाले हेलीकॉप्टर 'विभ्रम' का एडवांस वर्जन तैयार किया है जिसका वजन केवल 7 किलोग्राम है​​। ​यह ​​120 किमी​​ प्रति​ ​घंटा की रफ्तार से 11,500 फीट की ऊंचाई पर जा सकता है। इतना ही नहीं, इसकी क्षमता ​​लगातार 4 घंटे तक उड़ान की है​​। आईआईटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. अभिषेक की देखरेख में इसे तैयार किया गया है।
'विभ्रम' ​​हेलीकॉप्टर​ ​​का ​कर रही एनडीआरएफ ट्रॉयल : एंड्योर एयर के निदेशक प्रो. अभिषेक ने बताया ​कि ​​​​मौजूदा समय में भारतीय सेना और राष्ट्रीय आपदा राहत बल 'विभ्रम' ​​हेलीकॉप्टर​ ​​का ट्रॉयल ​कर रहे हैं और उनकी सलाह पर इसे और अपग्रेड किया जा रहा है। इंड्योरएयर सिस्टम एक उन्नत विमानन प्रौद्योगिकी कंपनी है जिसका उद्देश्य भारत के ​​बाजार के लिए उचित विश्वस्तरीय हवाई रोबोट समाधान प्रदान करना है। इसके साथ ही कंपनी संयुक्त एयरक्राफ्ट सिस्टम (यूएएस) अनुसंधान और विकास के विभिन्न कार्यों में भी सहयोग करती है।
7.5 किलोग्राम तक का भार उठाकर 70 मिनट तक उड़ान भरने में सक्षम : एंड्योर एयर के निदेशक प्रो. अभिषेक ने बताया ​कि ​​​​हेलीकॉप्टर ​खुद तो 7 किलोग्राम का ​है लेकिन 7.5 किलोग्राम तक का भार उठा​कर 70 मिनट तक उड़ सकता है। छोटे आकार का होने के बाद भी यह हेलीकॉप्टर 1​2​0 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकता है। यह ​​0 से 20 डिग्री कम तापमान से लेकर 50 डिग्री तापमान में काम कर सकता है। हेलीकॉप्टर में लगे कैमरे 10​-15 किलोमीटर दूर से वीडियो भेज सकते हैं।
आपातकालीन स्थिति में होगा सहायक : प्रो. अभिषेक ने बताया ​कि ​​​​इस हेलीकॉप्टर का निर्माण कुछ इस प्रकार किया गया कि यह किसी भी क्षेत्र की निगरानी करने में सक्षम है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कोई ड्रोन निगरानी करता है। 'विभ्रम' के माध्यम से दूरदराज और पहाड़ी इलाकों में आपातकालीन स्थिति में मेडिकल किट जैसी उपयोगी वस्तुओं को समय पर पहुंचाया जा सकता है। इन सबके साथ-साथ इस हेलीकॉप्टर को मोबाइल के माध्यम से एक एप्लीकेशन द्वारा भी संचालित किया जा सकता है।
 
हेलीकॉप्टर में लगे ​सेंसर के माध्यम से न्यूक्लियर रेडिएशन की जांच भी की जा सकती है। विभ्रम के उड़ान भरने और उतरने का तरीका बिलकुल बड़े हेलीकॉप्टर की तरह है। अभी यह पेट्रोल से चल रहा है जबकि पूरी तरह बैटरी संचालित वर्जन पर भी काम जारी है। करीब 2.50 किलो वजन के बराबर इसमें पेट्रोल पड़ता है जिसके बाद हेलीकॉप्टर का वजन 9.50 किलो हो जाता है।

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