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क्या है New Labour Law? क्या कम होगी आपके हाथों में आने वाली सैलरी, PF पर भी पड़ेगा असर

क्या है New Labour Law? क्या कम होगी आपके हाथों में आने वाली सैलरी, PF पर भी पड़ेगा असर
, शुक्रवार, 1 जुलाई 2022 (08:30 IST)
New Labour Law : केंद्र सरकार जल्द ही लेबर कोड (New Labour Code) लागू करने की तैयारी में है। कोरोनावायरस वायरस के कारण पिछले दो वर्षों में यह लागू नहीं हो पाया है। नए लेबर कोड लागू होने के बाद देश के हर उद्योग और ऑफिसों में बदलाव नजर आएंगे। बड़ी बात यह है कि नए लेबर कोड लागू होने के बाद कर्मचारी के काम के घंटे, हाथ में आने वाली सैलरी और प्रोविडेंट फंड (PF) में बदलाव होगा।

नए लेबर कोड का असर दिहाड़ी, तनख्वाह, पेंशन और ग्रेच्युटी जैसी सामाजिक सुरक्षा, श्रम कल्याण, स्वास्थ्य, काम के घंटे, छुट्टियां आदि पर दिखाई देगा। देश के 23 राज्यों ने केंद्र के लेबर कोड के मुताबिक अपने श्रम कानून बना लिए हैं। अब बस इन कानूनों को लागू कराने का इंतजार हो रहा है। केंद्र सरकार ने लेबर कोड से जुड़े कानून को संसद से पारित करा लिया है। जानिए New Labour Law से आपकी सैलरी, पीएफ पर क्या असर होगा...

काम करने के घंटों में बढ़ोतरी : नए लेबर लॉ के मुताबिक हफ्ते में 4 दिन काम और 3 दिन आराम दिया जाएगा। इस हिसाब से कर्मचारी को एक दिन में अधिकतम 12 घंटे और हफ्ते में 48 घंटे काम करना होगा। इसका हिसाब लगाएं तो चार दिन के काम के मुताबिक कर्मचारी को हर दिन 12 घंटे करना होगा। कर्मचारी को इस अवधि से अधिक काम नहीं करना होगा और न ही कंपनियां कर्मचारियों से इससे अधिक काम ले पाएंगी। अब यह कंपनियों पर है कि वे इसे कैसे मैनेज करती हैं।

ओवर टाइम में बदलाव : काम के घंटे के साथ ओवरटाइम को भी तय किया गया है। पहले एक हफ्ते में अधिकतम 50 घंटे का ओवरटाइम लिया जा सकता था। अब इसे बढ़ाकर 125 घंटे कर दिया गया है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि चार दिन काम की वजह से बाकी के तीन दिन कर्मचारी की कमी हो सकती है। इससे बाकी के तीन दिन कर्मचारी की कमी हो सकती है। इससे निपटने के लिए कंपनियां बाहर के लोगों से ओवरटाइम करा सकती हैं और अपना काम पूरा कर सकती हैं।

वेतन पर भी पड़ेगा प्रभाव : New Labour Law में किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी ग्रॉस सैलरी का कम से कम 50 प्रतिशत होना आवश्यक है। इसका असर यह होगा कि कर्मचारियों के ईपीएफ अकाउंट में अधिक पैसे जमा होंगे। कर्मचारी के खाते से ग्रेच्युटी का पैसा भी अधिक कटेगा। इससे इन हैंड सैलरी या हर महीने हाथ में आने वाला वेतन कम होगा। कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा के लिहाज से पहले से अधिक सुरक्षित होगा। उसके रिटायरमेंट के लाभ भी बढ़ जाएंगे।

छु‍ट्टियों के नियमों में भी बदलाव : नए लेबर कोड में छुट्टियों के नियम भी बदले गए हैं। पहले नौकरी की शर्त 240 दिन होती थी जिसे घटाकर 180 किया गया है यानी कोई कर्मचारी 180 दिन या 6 महीने की ड्यूटी के बाद छुट्टी के लिए आवेदन दे सकेगा। पहले यह अवधि 240 दिन की होती थी।

कमाई वाली छुट्टी या लीव के नियम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। 20 दिन काम करने के बाद एक अर्ल्ड लीव मिला करेगी। छुट्टी के कैरी फॉरवर्ड नियम को भी जस का तस रखा गया है। कैरी फॉरवर्ड में कुछ दिनों की छुट्टियों के पैसे मिलेंगे जबकि अधिकांश छुट्टियां अगले साल में कैरी फॉरवर्ड हो जाएंगी।

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