Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

UP Assembly Election: पूर्वी यूपी में बढ़ती ठंड के बीच चढ़ने लगा सियासी पारा, 165 सीटों पर हैं सभी की निगाहें

UP Assembly Election: पूर्वी यूपी में बढ़ती ठंड के बीच चढ़ने लगा सियासी पारा, 165 सीटों पर हैं सभी की निगाहें
, गुरुवार, 2 दिसंबर 2021 (17:07 IST)
गोरखपुर। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तरप्रदेश में चुनावी रंग गहराने लगा है। पूर्वी उत्तरप्रदेश में बढ़ती ठंड के साथ विभिन्न राजनीतिक दलों की सक्रियता और चुनावी अभियानों की शुरुआत होने के साथ ही सियासी पारा बढ़ने लगा है। पिछले विधानसभा चुनाव से अलग इस बार पश्चिमी उत्तरप्रदेश के बजाए पूर्वी उत्तरप्रदेश से चुनाव अभियान का श्रीगणेश हो चुका है।
 
राजनीतिक हल्कों में हमेशा से यह बात छाई रही है कि प्रदेश की सत्ता का रास्ता पूर्वी उत्तरप्रदेश से होकर ही जाता है। यदि पिछले 3 चुनावों का आंकड़ा देखा जाए तो जिसने पूर्वी उत्तरप्रदेश में वर्चस्व की लड़ाई जीत ली, वही लखनऊ सत्ता पर काबिज हुआ इसलिए गोरखपुर, बस्ती, आजमगढ़, वाराणसी, श्रावस्ती और प्रयागराज तक फैली हुई 165 विधानसभा सीटें सभी राजनीतिक दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन जाती हैं।

webdunia
 
प्रियंका गांधी की बड़ी रैली : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में कांग्रेस की महासचिव एवं उत्तरप्रदेश कांग्रेस की प्रभारी प्रियंका वाड्रा गांधी ने पिछले 31 अक्टूबर को बडी रैली करके यह साफ कर दिया कि कांग्रेस को चुनाव में कमजोर नहीं समझा जाए। इसके बाद पिछले 9 नवंबर को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की विजय यात्रा में उमडे जनसमूह ने भाजपा की चिंताएं बढ़ा दी हैं। जब कांग्रेस जनशक्ति के भरोसे अपनी ताकत दिखा रही थी वहीं भाजपा ने कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के लिए गोरखपुर, आजमगढ़ और बस्ती मंडल के 28 हजार कार्यकर्ताओं को पिछले 22 नवंबर को गोरखपुर में जीत का मंत्र दिया। इस अवसर पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि बूथ जीता तो चुनाव जीता।
 
यदि पुराने रिकॉर्ड पर नजर रखी जाए तो वर्ष 2007 में बसपा ने इन 165 विधानसभा सीटों में से 97 सीटें हासिल की थीं और प्रदेश में सत्तारूढ़ हो गई थी जबकि सपा 2012 में इन्हीं 165 सीटों में से 99 सीटों पर जीत हासिल कर सत्तारूढ़ हुई थी जबकि भाजपा को वर्ष 2017 में 115 सीटें मिली थीं तथा सपा 17 और बसपा 14 पर ही सिमट गई थी। इसलिए पूरा जोर पूर्वी उत्तरप्रदेश पर लगाया गया है और लंबित विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करके सत्ताधारी पार्टी अपने पक्ष में माहौल बना रही है। इसी क्रम में कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट, गोरखपुर में एम्स और बंद पड़े खाद कारखाने का शिलान्यास आदि भी है।
 
भाजपा की बेचैनी इसी बात से समझी जा सकती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित अनेक शीर्ष नेता आजमगढ़, कुशीनगर और गोरखपुर का दौरा किसी-न-किसी बहाने कर चुके हैं। जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश भी हो रही है। अभी हाल ही में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उदघाटन स्वयं प्रधानमंत्री ने किया। इसके अलावा गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक के एक नए एक्स्प्रेस-वे का शिलान्यास भी इसी कड़ी की एक पहल है।
 
गौरतलब है कि योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा हार गई थी। हालांकि बाद में पार्टी ने भोजपुरी अभिनेता से राजनीति में आए रवि किशन को जिताने में भाजपा कामयाब रही थी। इस बार किसान आंदोलन, मंहगाई, पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें और उत्तरप्रदेश की कानून और व्यवस्था जैसे मुद्दे भाजपा के लिए निश्चित रूप से चुनौती खड़ी कर सकते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

UP Election: अयोध्या, काशी के बाद अब BJP मथुरा को बनाएगी चुनावी मुद्दा, उपमुख्यमंत्री मौर्य ने दिए संकेत