आम चुनाव से पहले मोदी सरकार ने अपने आखिरी बजट में हर वर्ग को खुश करने का प्रयास किया। किसानों, मजदूरों और मध्यम वर्ग के लिए बजट में बड़ी घोषणाएं की गई। बजट के बाद अधिकांश लोग काफी खुश दिखाई दिए। हालांकि इस लोकलुभावन बजट में भी कई लोगों को निराशा ही हाथ लगी। आइए जानते हैं कि इस बजट में किन लोगों के हाथ खाली रहे...
कारोबारी : इस बजट में कारोबारी वर्ग को कुछ खास नहीं मिला। एमएसएमई के लिए जो घोषणाएं की गई, वह पहले ही की जा चुकी है। एक करोड़ के कर्ज पर ब्याज में 2 फीसदी छूट की घोषणा भी
पीएम मोदी भी पहले ही कर चुके है। सरकार लगातार मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने पर जोर देती रही है लेकिन अंतरिम बजट में विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए कोई घोषणा नहीं हुई। इसके साथ ही जीएसटी की दर भी घटने की उम्मीद थी लेकिन इस पर कोई घोषणा नहीं हुई।
म्यूचुअल फंड : बजट में पीयूष गोयल ने म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। निवेशकों को उम्मीद थी कि पिछले बजट में लगाए गए लांग टर्म कैपिटर गैन टैक्स को वापस लिया जाएगा। न तो इसे हटाया गया और न ही इसकी सीमा को बढ़ाया गया। हालांकि आयकर छूट सीमा बढ़ने से लोगों को पहले से ज्यादा बचत होगी और इसका फायदा इस इंडस्ट्री को मिलने की उम्मीद है।
सोना : सोना पर लगने वाला आयात शुल्क को भी 10 प्रतिशत से कुछ कम होने की उम्मीद थी। अगर सरकार ऐसा कोई कदम उठाती तो देश में सोने की खपत बढ़ जाती। हालांकि सरकार ने यह कदम नहीं उठाकर सोने में दिलचस्पी रखने वालों को निराश ही किया।
शेयर और कमोडिटी : बजट से शेयर बाजार और कमोडिटी मार्केट दोनों में ही निराशा देखी गई। लांग टर्म कैपिटर गैन टैक्स, सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स और कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स कम करने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। इनमें कोई राहत नहीं मिली।