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उज्जैन कुंभ से पहले क्षिप्रा को शुद्ध करने की तैयारी, 600 करोड़ की परियोजना तैयार

उज्जैन कुंभ से पहले क्षिप्रा को शुद्ध करने की तैयारी, 600 करोड़ की परियोजना तैयार

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

इंदौर , शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2024 (21:37 IST)
Preparation to purify Kshipra river before Ujjain Kumbh Mela : उज्जैन में वर्ष 2028 में लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले से पहले क्षिप्रा नदी को प्रदूषणमुक्त करने के लिए इंदौर के जिला प्रशासन ने 600 करोड़ की लागत वाली परियोजना का खाका तैयार किया है। इसमें 11 नए सीवेज उपचार संयंत्र (STP) लगाया जाना और 450 किलोमीटर लंबी सीवेज लाइन बिछाए जाने के काम शामिल हैं।
 
प्रशासन के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। जिलाधिकारी आशीष सिंह ने क्षिप्रा शुद्धिकरण अभियान के तहत अलग-अलग विभागों के अफसरों के साथ बैठक की। इसके बाद उन्होंने बताया, हमने इंदौर की कान्ह और सरस्वती नदियों के साथ ही उज्जैन की क्षिप्रा नदी को अगले ढाई साल के भीतर शुद्ध करने का लक्ष्य तय किया है। इस परियोजना में करीब 600 करोड़ की लागत आएगी जिसे हम विशेषज्ञों की मदद से अमलीजामा पहनाएंगे।
 
450 किलोमीटर लंबी सीवेज लाइन डाली जाएगी : उन्होंने बताया कि परियोजना के पहले चरण के तहत 11 नए एसटीपी लगाए जाएंगे और 450 किलोमीटर लंबी सीवेज लाइन डाली जाएगी। सिंह ने कहा,हम राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जरिए निगरानी रखकर यह भी सुनिश्चित करेंगे कि औद्योगिक इकाइयां कान्ह, सरस्वती और क्षिप्रा नदियों में अपशिष्ट न बहाएं। अधिकारियों ने बताया कि क्षिप्रा और कान्ह नदियों में बिना उपचार के औद्योगिक अपशिष्ट बहाने पर इंदौर के जिला प्रशासन ने जनवरी में सख्त कदम उठाते हुए नौ कारखानों को सील कर दिया था।
 
क्षिप्रा को धार्मिक मान्यताओं में 'मोक्षदायिनी' कहा जाता है : इंदौर जिले के ग्रामीण क्षेत्र से निकलने वाली क्षिप्रा उज्जैन पहुंचती है जहां हर 12 साल में लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु इस नदी में स्नान करते हैं। क्षिप्रा को हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं में 'मोक्षदायिनी' कहा जाता है। अधिकारियों ने बताया कि देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में गंदे नाले में तब्दील कान्ह और सरस्वती नदियों का पानी भी आगे जाकर क्षिप्रा में मिलता है और इसमें होने वाले प्रदूषण में इजाफा करता है।
 
क्षिप्रा नदी का पानी उज्जैन में आचमन के लायक नहीं : स्थानीय लोगों का कहना है कि भारी प्रदूषण के कारण क्षिप्रा नदी का पानी उज्जैन में आचमन के लायक नहीं है। उज्जैन राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का गृह क्षेत्र है। वह इस धार्मिक नगरी में चार साल बाद लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले से पहले क्षिप्रा नदी को शुद्ध करने के अभियान में विशेष रुचि ले रहे हैं और इस सिलसिले में अफसरों को लगातार ताकीद भी करते रहते हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

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