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'5 साल में 5 बार गई हूं घर, अब जाकर खाना है मां के हाथ का खाना'- मीराबाई चानू

'5 साल में 5 बार गई हूं घर, अब जाकर खाना है मां के हाथ का खाना'- मीराबाई चानू
, शनिवार, 24 जुलाई 2021 (21:34 IST)
टोक्यो: टोक्यो ओलम्पिक में रजत पदक जीत कर इतिहास बनाने वाली महिला भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने टोक्यो से नयी दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उनके इस पदक के बाद देश की लड़कियों के सोच में बदलाव आएगा और ज्यादा से ज्यादा लडकियां खेलों में सामने आएंगी।
 
मीराबाई ने कहा ,'मैं कम लड़कियों को मैदान में उतरते देखती हूँ लेकिन मेरे इस पदक के बाद उनकी सोच बदलेगी और वे ज्यादा से ज्यादा संख्या में खेलों में उतरेंगी। '
 
रजत जीतने के बाद मीराबाई ने कहा कि पिछले रियो ओलम्पिक में उन्होंने जो गलतियां की थीं उससे उन्होंने सबक लेकर पिछले पांच वर्षों में सुधार किया जिसका अच्छा परिणाम सामने आया है। मीरा के साथ उनके कोच विजय भी बैठे हुए थे और उन्होंने कहा कि वह 2014 से मीरा के साथ टीम के रूप में जुड़े थे और रियो में उनसे उम्मीद थी लेकिन उन्होंने रियो की नाकामी के बाद उन्होंने मीरा के साथ कड़ी मेहनत कीऔर पिछली गलतियों को दूर करने पर काम किया।
 
मीरा के गले में इस दौरान उनका रजत पदक टंगा हुआ था। उन्होंने बताया कि पिछले 5 वर्षों में वह सिर्फ 5 दिन के लिए अपने घर गयी थीं और इस दौरान उन्होंने अपना सारा ध्यान सिर्फ अपनी ट्रेनिंग पर लगा रखा था।
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इंफाल से 20 किमी दूर नोंगपोक काकचिंग गांव की रहवासी चानू ने कहा कि वह अब घर जाकर अपनी मां के हाथ का खाना पसंद करेंगी। उन्होंने बताया कि वह ठान चुकी थी कि जो गलती रियो ओलंपिक में हुई है वह टोक्यो में नहीं होने देंगी। उन्होंने अपनी ट्रेनिंग और तकनीक पूरी तरह से बदल दी थी। 
 
चानू इससे पहले रियो ओलंपिक 2016 में भी पदक जीतने की दावेदार मानी जा रही थी लेकिन अपने 6 प्रयासों में से वह सिर्फ 1 बार ही वजन उठा पायी थी। इस अनुभव को साझा करते हुए मीराबाई ने कहा कि उस दिन उन्हें कई सबक मिले और माना कि वह दिन उनका नहीं था।वह 48 किलो ग्राम मेें वैध वजन उठाने में नाकामयाब साबित हुई थी।इसके बाद उन्होंने कहा कि पदक जीतने का सपना उन्होंने साकार कर लिया है। 
 
कोरोना के कारण पूरे राज्य में लागू कर्फ्यू के बावजूद मीराबाई के अपने राज्य में कई स्थानों पर उनकी जीत का जश्न मनाया गया।मीराबाई के माता-पिता तथा परिवार के अन्य सदस्य यहां नोंगपोक काकचिंग में अपने घर पर टेलीविजन सेट से चिपके हुए थे और रजत पदक जीतते ही वे सभी खुशी से झूम उठे।
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वर्ष 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में चानू ने 48 किलो भार वर्ग में रजत पदक जीता, वर्ष 2016 रियो ओलंपिक में भाग लिया, चानू ने अमेरिका के अनाहेम में वर्ष 2017 में आयोजित विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप में महिलाओं के 48 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। वर्ष 2000 के ओलंपिक में मल्लेश्वरी के कांस्य पदक जीतने के बाद उन्होंने भारत को भारोत्तोलन में पदक दिलाया। चानू ने 84 किग्रा और 87 किग्रा भार उठाया।

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