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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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हरकत उल जेहाद अल इस्लामी बांग्लादेश

हरकत उल जेहाद अल इस्लामी बांग्लादेश
1971 में जो बांग्लादेशी बतौर शरणार्थी भारत आए थे, अब वे ही यहाँ बड़ी मुसीबत बन गए। भारत ने जान बचाने की खातिर उन्हें शरण दी थी। उनके सिर पर छत तथा रोटी का इंतजाम किया, लेकिन तब इस बात का अंदेशा नहीं था कि एक दिन वे बजाय भारत के नमक का कर्ज चुकाने के उसकी ही पीठ में वार करने के मौके ढूँढने लगेंगे।

आज जब भी कोई आतंकवादी वारदात घटती है उसके कोई न कोई तार बांग्लादेश से जुड़े नजर आते हैं। कभी वे हूजी के हथियार लिए दिखाई देते हैं, तो कभी दाऊद के गुर्गे बनकर!

बांग्लादेश की ओर से भारत में आतंकवाद फैलाने में मुख्य रूप से हूजी-बी नाम के संगठन की मुख्य भूमिका मानी जाती है। न केवल बांग्लादेश बल्कि इस संगठन द्वारा उत्तर-पूर्व के राज्यों में भी अपना जाल फैलाया है।

* हूजी की स्थापना 1992 में हुई ओसामा बिन लादेन के आईआईएफ (इंटरनेशनल इस्लामिक फ्रंट) के सहयोग से हुई। स्थापना के बाद से बांग्लादेश को इस्लामिक राष्ट्र घोषित करने की माँग।

* बांग्लादेश में 1996 में जब आवामी लीग सत्ता में आई तब इस संगठन की सक्रियता बढ़ गई।

* हूजी के प्रमुख नेता ै शौकत ओसमान उर्फ शेख फरीद तथा इम्तियाज कुद्दस।

* हूजी के नेताओं पर अफगानिस्तान का काफी असर है तथा उन्होंने स्लोगन भी दे रखा है कि 'हम सभी तालिबान बनेंगे और बांग्लादेश को अफगानिस्तान बनाएँगे।'

* हूजी बांग्लादेश के तटीय भाग में ज्यादा सक्रिय है चिटगाँव से काक्स बाजार तक तथा म्यांमार की सीमा तक। इसके सदस्य स्मगलिंग,हथियारों की तस्करी आदि में लिप्त हैं।

* हूजी द्वारा चिटगाँव के पहाड़ी क्षेत्रों में 6 कैम्प चलाए जाते हैं जहाँ पर वे अपने सदस्यों को हथियार चलाना सिखाते हैं। यही नहीं काक्स बाजार क्षेत्र में भी 6 कैम्प चलाए जाते हैं। हूजी के लगभग 15 हजार सदस्य हैं।

* हूजी द्वारा बांग्लादेश के "कोर्मी तथा कैसा" क्षेत्र में भी सदस्यों को प्रशिक्षण दिया जाता है वहीं कुछ सदस्यों को तालिबान दौरे के समय अफगानिस्तान में भी प्रशिक्षण दिया गया है।

* हूजी अपने संगठन में बांग्लादेश से लोगों की भर्ती करता है, साथ ही म्यांमार से भी सदस्य बनाए जाते हैं। मुख्य रूप से मदरसों से ये अपने सदस्य बनाते है।

* हूजी के सदस्य कश्मीर, चेचेन्या तथा अफगानिस्तान में सक्रिय हैं।

* हूजी का संबंध पाकिस्तान से भी है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की हत्या की साजिश रचने के लिए हूजी के मुफ्ती अब्दुल हनान को पकड़ा गया था जो कि पाकिस्तान के गौहरदंगा मदरसे से निकला है। यही नहीं मुफ्ती अब्दुल के भाई के पास से जो डायरी बरामद की गई है उसमें पाकिस्तान के कई लोगों के फोन नंबर आदि की जानकारी है।

* आईएसआई हूजी बी के सदस्यों को तीन महीने का प्रशिक्षण देती है जिनमें भारत और बांग्लादेश के युवा शामिल होते हैं। इन्हें बांग्लादेश में कुरीग्राम, रंगपुर क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाता है जो कि कूचबिहार की सीमा के पास है। इसी प्रकार के ट्रेनिंग कैम्प रंगमारी, सुंदरमारी, मसलडंगा आदि गाँवों में चलते हैं।

* हूजी के संपर्क यूनाईटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ आसाम (उल्फा) से है तथा त्रिपुरा की सीमा से लगे चिटगाँव की पहाड़ियों पर ये उल्फा के लिए ट्रेनिंग कैम्प भी चलाते हैं।

* हूजी का संपर्क एक अन्य संगठन असीफ रेजा कंमाडो फोर्स के साथ है जिसने 22 जनवरी 2002 को कोलकाता के अमेरिकन सेंटर पर हमले की जिम्मेदारी ली थी। इस हमले के प्रमुख आरोपी आफताब अंसार ने गिरफ्तार होने के बाद पूछताछ में साफ बताया है कि हूजी के संबंध जैश-ए-मोहम्मद तथा लश्कर-ए-तोइबा से भी ै। अंसारी का संबंध आईएसआई से भी था और जैश ए मोहम्मद के आतंकी ओमर शेख से भी, जिस पर अमेरिका के पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या का आरोप भी लगा था।

* हूजी को पैसा पाकिस्तान, सऊदीअरब, अफगानिस्तान के इस्लामिक संगठनों से मिलता है जिनमें मुख्य रूप से अदरसा कुटीर, इस्लामिक फाउंडेशन तथा हतादीन शामिल हैं।

* हूजी-बी ने बांग्लादेश के प्रमुख विचारकों और बौेद्धिक लोगों को मारने की योजना बनाई है जिसमें बांग्लादेश के प्रो. कबीर चौधरी, लेखिका तस्लीमा नसरीन आदि शामिल है।

* 30 अक्टूबर 2008 को आसाम में विभिन्ना स्थानों पर हुए विस्फोटों के लिए भी हूजी और उल्फा को जिम्मेदार माना जा रहा है।

* इसके अलावा बांग्लादेश में जागरता मुस्लिम जनता बांग्लादेश, जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश, पूर्बा बांग्ला कम्युनिस्ट पार्टी जैसे संगठनों की गिनती आतंकी संगठनों में होती है।

* भारत ने बांग्लादेश को उसकी जमीन पर चलने वाले 172 आतंकी शिविरों की जानकारी दी थी और उन्हें हटाने के लिए प्रयास करने के लिए कहा था, पर बांग्लादेश ने कुछ भी कार्रवाई नहीं की।

* चुनावों को भी प्रभावित करने लगे हैं बांग्लादेशी।

* उग्रवादियों को स्थानीय लोगों के समर्थन देने में बांग्लादेशियों का ही नाम।

शरणार्थियों की समस्या वैश्विक : संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व में बीस करोड़ अप्रवासियों में से ढाई करोड़ लोग अवैध आप्रवासी हैं जो बिना वैध अनुमति के किसी अन्य देश में रह रहे हैं। भारत की बात की जाए तो प्रतिवर्ष यहाँ आने वाले विदेशियों में से 40 हजार गायब हो जाते हैं। वर्ष 2005 के आँकड़े ही यह बताते हैं कि इस वर्ष 12388 बांग्लादेशी, 11845 अफगानी व 4742 पाकिस्तानी नागरिक गायब हो गए।

आतंकवाद के मुद्दे पर बांग्लादेशी शरणार्थियों पर सीधे-सीधे आरोप लग रहे हैं कि स्थानीय स्तर पर ये लोग ही आतंकवादियों की मदद कर रहे हैं। आईए इस बात को सिद्ध करते हुए कुछ तथ्यों पर नजर डालें

* माना जाता है कि गत तीस वर्षों में 90 लाख से ज्यादा बांग्लादेशी भारत में अवैध रूप से प्रवेश कर चुके हैं।

* वाराणसी में हुए विस्फोटों के लिए भी बांग्लादेशी आतंकियों को ही जिम्मेदार माना गया था।

* गत वर्ष अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर हुए धमाकों के लिए हूजी को जिम्मेदार माना गया था।

* जयपुर धमाकों में भी हूजी का हाथ होने की आशंका जताई गई थी और जयपुर शहर में बांग्लादेश से आए लोगों की जाँच के लिए अभियान चलाया गया था। जयपुर में उस समय दस हजार बांग्लादेशी रहते थे और जाँच अभियान के आरंभ होते ही लगभग 2200 गायब हो गए थे।

* उल्फा प्रमुख परेश बरुआ और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) तथा नेशनल लिबरेशन फोर्स और एनएलएफटी के प्रमुख नेता बांग्लादेश में ही शरण लिए हैं।

* आँकड़ों की नजर से देखें तो असम में अल्पसंख्यकों की आबादी 1991 में 24.68 थी जो वर्ष 2001 में 30.91 प्रतिशत हो गई।

* 1991 से 2001 के बीच नगालैंड की आबादी में भी अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है।

* पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा सहित पूर्वोत्तर राज्यों की 200 से अधिक विधानसभा सीटों को बांग्लादेशी घुसपैठिए प्रभावित करते हैं।

* असम की 32 प्रतिशत व पश्चिम बंगाल की 18 प्रतिशत सीटों पर हार जीत बांग्लादेशियों के मतों से तय होती है।बांग्लादेश की ओर से भारत में आतंकवाद फैलाने में मुख्य रूप से हूजी-बी नाम के संगठन की मुख्य भूमिका मानी जाती है। न केवल बांग्लादेश बल्कि इस संगठन द्वारा उत्तर-पूर्व के राज्यों में भी अपना जाल फैलाया है। (नईदुनिया)

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