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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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हरियाली तीज पर कैसे सजें, जानिए सिर से लेकर पैर तक स्टेप बाय स्टेप श्रृंगार

Solah Shringar
किसी भी खास अवसर पर महिलाओं द्वारा सोलह श्रृंगार करने से उनके मन, शरीर और सेहत पर सकारात्‍मक प्रभाव होता है। सोलह श्रृंगार का जहां पौराणिक महत्व है वहीं विज्ञान ने भी यह माना है कि इन 16 श्रृंगार से महिलाओं के सेहत पर अनुकूल असर होता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हर एक प्रकार के श्रृंगार का अलग-अलग महत्व होता है तथा उसी प्रकार महिलाओं पर उनका असर भी पड़ता है। 
 
इस बार 31 जुलाई 2022 को हरियाली तीज का पर्व मनाया जा रहा है और इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए सोलह श्रृंगार करके व्रत रखकर पूजन करके कथा सुनती है। इस दिन वे जहां हर दिन से अधिक खूबसूरत नजर आती हैं, वहीं उपवास रखने से उनका रूप और भी खिल उठता है तथा वे अपनी इसी सुंदरता से पति का मन मोह लेती है।


आइए यहां जानते हैं सिर से पैर तक स्टेप बाय स्टेप सोलह श्रृंगार में छुपे बेमिसाल सेहत के राज-  
 
1. मांग टिका- सिर के बीचोबीच पहना जाने वाला मांग टिका महिलाओं की सुंदरता बढ़ाने के अलावा मस्तिष्क संबंधी क्रियाएं संतुलित और नियमित रखता है।
 
2. बालों में गजरा (फूल)- बालों को महिलाओं का गहना कहा जाता है, बालों को गजरे व फूलों से सजाने पर उनकी खुशबू से मन की सेहत पर अच्छा असर होता है और सुगंध से मन तरंगित व खुश रहता है।
 
3. सिंदूर- शरीर-रचना विज्ञान के अनुसार जिस स्थान पर सिंदूर सजाया जाता है, वह ब्रह्मरंध्र और अहिम नामक मर्मस्थल के ठीक ऊपर होता है, जो अत्यंत कोमल होता है। यहां सिंदूर लगाने से इस स्थान की सुरक्षा होती है। इसके अलावा सिंदूर में कुछ ऐसे धातु होती है जो चेहरे पर झुर्रियों के असर को कम करती हैं और महिलाओं के शरीर में विद्युतीय उत्तेजना नियंत्रित करती हैं।
 
4. मेकअप- चेहरे पर हल्का मेकअप व नेल पेंट लगाने से महिलाओं के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
 
5. काजल- काजल लगाने से आंखों को ठंडक मिलती है और इससे आंखों से जुड़ी कई समस्याएं दूर होती हैं।
 
6. बिंदी- माथे पर बिंदी लगाने से व्यक्त‍ित्व प्रभावशाली होता है। मस्तक के बीच के स्थान पर बिंदी लगाने से तीसरा नेत्र जाग्रत होता है। बिंदी लगाने का मनोवैज्ञानिक असर होता है और इससे महिलाओं के आत्मविश्वास और आत्मबल में वृद्धि होती है। साथ ही मस्तिष्क भी शांत रहता है और सुकून का अनुभव होता है।
 
7. नोज पीन/ नथनी- नाक में जिस जगह नथ या नोज पीन पहनी जाती है, उस जगह एक तरह का एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है, जो प्रसव पीड़ा के दौरान होने वाले दर्द को कम करता है।
 
8. कान में झुमके/ बाली- कान छिदवाने से आंखों की रोशनी तेज होती है। दरअसल, कान के निचले हिस्से में एक प्वॉइंट होता है जिसके पास से आंखों की नसें गुजरती हैं। जब कान के इस प्वॉइंट को छिदवा कर इसमें बाली पहनते हैं तो इससे आंखों की रोशनी तेज होने में मदद मिलती है।
 
9. गले में हार/ मंगलसूत्र- मंगलसूत्र व इनके मोतियों से होकर निकलने वाली वायु महिलाओं के इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। आयुर्वेद के अनुसार, गले में स्वर्ण धातु धारण करने से छाती और ह्रदय स्वस्थ रहते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद काले मोती महिलाओं को बुरी नजर से बचाते हैं।
 
10. बाजूबंद- बाजूबंद को बाजुओं में पहनने से बांह स्थित केंद्रों पर दवाब पड़ता है जो महिलाओं को लंबे समय तक सुंदर और जवां बनाए रखता है।
 
11. मेहंदी- हाथों में लगी और रची मेहंदी हथेलियों को सुंदर बनाने के साथ-साथ शरीर को ठंडा रखती है और चर्म रोग को दूर करने में मदद करती है।
 
12. चूड़ियां व ब्रेसलेट- महिलाओं की चूड़ियां जब हाथों की कलाई पर टकराती हैं तो उससे शरीर में रक्त प्रवाह बेहतर होता है। साथ ही ये महिलाओं के शरीर में हार्मोंस संतुलित रखने में सहायक होती हैं।
 
13. अंगूठी- अंगुलियों में अंगूठी पहनने से जहां हाथ सुंदर दिखाई पड़ते हैं वहीं आलस्य और सुस्ती में कमी आती है।
 
14. कमरबंद- इसे पहनने से महिलाओं में हर्निया की आशंका कम होती है।
 
15. पायल- पायल पैरों से निकलने वाली शारीरिक विद्युत ऊर्जा को शरीर में संरक्षित रखती है। महिलाओं के पेट और निचले अंगों में वसा (फैट) बढ़ने की गति को रोकती है। साथ ही चांदी की पायल पैरों से घर्षण करके पैरों की हड्डियां मजबूत बनाती हैं।
 
16. बिछिया- बिछिया एक्यूप्रेशर उपचार पद्धति पर कार्य करती है जिससे शरीर के निचले अंगों के तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियां सबल रहती हैं। यह एक खास नस पर प्रेशर बनाती है जो कि गर्भाशय में समुचित रक्त संचार प्रवहित करती है, जिससे गर्भधारण क्षमता बेहतर होने में मदद मिलती है।

अत: तीज पर्व के खास अवसर पर झूले, लहरिया, मेंहदी और श्रृंगार से सजी-धजी महिलाएं किसी अप्सरा से कम नहीं दिखाई पड़ती है। और उनका यही सोलह श्रृंगार तीज पर्व और भी खास बना देता है।

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