Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

सावन में कब आएगी हरियाली तीज, जानिए मुहूर्त और महत्व सहित 10 बड़ी बातें

सावन में कब आएगी हरियाली तीज, जानिए मुहूर्त और महत्व सहित 10 बड़ी बातें
Hariyali Teej 2022
 
प्रतिवर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को 'हरियाली तीज' (Hariyali Teej 2022) मनाई जाती है। इस साल सावन की हरियाली तीज 31 जुलाई 2022, रविवार के दिन पड़ रही है। हरियाली तीज में पूजा का सही समय प्रदोष काल होता है। यह पर्व भगवान शिवशंकर और माता पार्वती को समर्पित है। 
 
महत्व- हरियाली तीज व्रत हिन्दू धर्म का प्रमुख पर्व है। इसे अन्य नाम यानी श्रावणी तीज, कजली तीज या मधुश्रवा तीज से भी जाना जाता हैं। हरियाली तीज का त्योहार (Festival Hariyali Teej) महिलाओं में उत्साह और उमंग भर देने वाला माना जाता हैं, अत: इसकी तैयारियां महिलाएं एक माह पहले से ही प्रारंभ हो जाती हैं। 
 
पूरे भारतभर में श्रावण मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को तीज व्रत मनाया जाता है। श्रावण में आने के कारण इस पर्व का महत्व बहुत अधिक माना गया है। खास तौर पर राजस्थान में यह तीज पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।

सुहागिनें अपना सौभाग्य अखंड बनाए रखने के लिए तथा अविवाहित कन्याएं अच्छा वर पाने की कामना से भगवान शिव-पार्वती का व्रत यह रखती हैं। इस तीज व्रत में माता पार्वती के अवतार तीज माता की उपासना की जाती है। तीज से एक दिन पहले सुहागिनें मेंहदी लगाती है। तीज के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर श्रृंगार करके, नए वस्त्र और आभूषण धारण करके माता गौरी की पूजा होती है। 
 
पौराणिक मान्यतानुसार मां पार्वती ही श्रावण महीने की तृतीया तिथि को देवी के रूप में (तीज माता के नाम से) अवतरित हुई थीं। श्रावण मास भगवान भोलेनाथ को अधिक प्रिय है एवं मां पार्वती भगवान शिव अर्द्धांगिनी होने के कारण श्रावण महीने में शिव-पार्वती को प्रसन्न करने के लिए ही तीज माता (माता पार्वती के अवतार) की उपासना जाती है। 

 
हरियाली तीज के शुभ मुहूर्त : Hariyali Teej 2022 
 
हरियाली तीज श्रावण शुक्ल तृतीया तिथि- 31 जुलाई, रविवार को प्रातः 6.30 से 8.33 मिनट तक। 
प्रदोष काल- सायं 6.33 से रात 8.51 मिनट तक। 
 
हरियाली तीज के दिन की 10 बड़ी बातें- 
 
1. हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी रचाकर झूलों पर सावन का आनंद मनाती हैं, क्योंकि इस समं प्रकृति की धरती पर चारों ओर हरियाली की चादर बिछी होती हैं, चूंकि यह पर्व श्रावण यानी बरसात के मौसम में पड़ता हैं तो हर तरफ हरियाली देखकर मन मयूर हो नाच उठता है।
 
 
2. हाथों पर हरी मेंहदी लगाना प्रकृति से जुड़ने की अनुभूति है जो सुख-समृद्धि का प्रतीक है। इसके बाद वही मेंहदी लाल हो उठती है जो सुहाग, हर्षोल्लास एवं सौंदर्य का प्रतिनिधित्व करती है। हरियाली तीज पर हरे रंग का अधिक महत्व होने के कारण लहरिया, हरियाली और श्रृंगार से सजी-धजी महिलाएं अपना सौंदर्य निखार कर इस पर्व को मनाते हुए भगवान शिव-पार्वती से खुशहाल जीवन की कामना करती है।
 
 
3. जिस नवविवाहिता के शादी के बाद पहला सावन आता है, मान्यतानुसार उसे ससुराल में नहीं रखा जाता। इसका एक कारण यह भी था कि नवविवाहिता अपने माता-पिता से ससुराल में आ रही कठिनाइयों, खटटे् मीठे अनुभवों को अपनी सखी-सहेलियों के साथ बांट सके और जीवन में आ रही कठिनाइयों का समाधान खोज कर मन हल्का कर सके।
 
4. इस पर्व का खास उद्देश्य यह भी हैं कि नवविवाहित पुत्री की ससुराल से जब सिंगारा आता है और इस सामग्री का आदान-प्रदान किया जाता है तो यह आपसी संबंधों को और अधिक मधुर बनाने तथा रिश्ते में प्रगाढ़ता लाने के लिए यह त्योहार मनाया जाता है।

 
5. सिंगारा में नवविवाहिता के लिए साड़ियां, सौंदर्य प्रसाधन सामग्री, सुहाग की चूड़ियां व अन्य संबंधित, मिठाई तथा अन्य चीजों के अलावा उसके भाई-बहनों के लिए आयु के अनुसार कपड़े, मिष्ठान तथा आवश्यकतानुसार उपहार भेजे जाते हैं।
 
6. हरियाली तीज से एक दिन पहले मेहंदी लगा ली जाती है। तीज के दिन सुबह स्नानादि तत्पश्चात श्रृंगार करके, नए वस्त्र व आभूषण धारण करके माता गौरी की पूजा की जाती है। 
 
7. तीज पूजन के लिए मिट्टी या अन्य धातु से बनी शिव जी-पार्वती व गणेश जी की, मूर्ति रख कर उन्हें वस्त्रादि पहना कर रोली, सिंदूर, अक्षत आदि से पूजन किया जाता है।
 
8. तत्पश्चात आठ पूरियां, छ: पूओं से भोग लगाया जाता है। फिर यह बायना जिसमें चूड़ियां, श्रृंगार का सामान व साड़ी, मिठाई, दक्षिणा या शगुन राशि इत्यादि अपनी सास, जेठानी या ननद को देते हुए विवाहित महिलाएं चरण स्पर्श करती हैं। 
 
9. इस व्रत के दिन पारिवारिक भोजन किया जाता है। सामूहिक रूप से झूला झूलना, तीज मिलन, गीत संगीत, जल पान आदि करके इस त्योहार को बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कुल मिला कर यह पारिवारिक मिलन का सुअवसर होता है, जिसे सभी हंसी-खुशी मनाते हैं। साथ ही तीज पर पति से छल कपट, झूठ और दुर्व्यवहार तथा परनिंदा इन तीन चीजों का त्याग करने की भी मान्यता है। ये तीन सूत्र सुखी पारिवारिक जीवन के आधार स्तंभ हैं, जो बदलते दौर में और आधुनिकता की होड़ में और भी प्रासंगिक हो जाते हैं।

 
10. पौराणिक मान्यता के अनुसार तीज पर ही माता गौरा विरह में तपकर भगवान शिव जी से मिली थी। अत: हरियाली तीज के दिन माता पार्वती और भगवान शिव के पूजन के लिए यह खास माना जाता है। माना जाता हैं कि इसी दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इसी कारण यह पर्व मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं के लिए खास माना गया है। 

webdunia

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

गणेशोत्सव 2022 : इस बार कब होगी श्री गणेश की स्थापना, क्या हैं शुभ संयोग