Share market : शेयर बाजार इन दिनों एक बार फिर अपने सर्वोच्च स्तर पर है। लोकसभा चुनाव में भाजपा की मजबूत स्थिति से शेयर बाजार में भी उत्साह का माहौल है। अर्थशास्त्रियों से लेकर निवेशकों तक सभी इस बात से खासे उत्साहित है कि बीएसई का सेंसेक्स निश्चित ही आने वाले समय में 1 लाख का आंकड़ा छूंएगा।
अर्थशास्त्री, लेखक और NSDL के पूर्व कार्यकारी उपाध्यक्ष चंद्रशेखर तिलक ने वेबदुनिया से बातचीत में कहा कि मैं सेंसेक्स के 1 लाख होने की उम्मीद कह रहा हूं क्योंकि मेरा देश आज एक पार्किंग लॉट नहीं बना है, इनवेस्टमेंट लॉट बना है।
कब 1 लाख होगा सेंसेक्स : उन्होंने यह बताने से इनकार कर दिया कि BSE का सेंसेक्स यह उपलब्धि कब हासिल करेगा? उन्होंने कहा कि पिछले कई दशकों से मजाक उड़ाया जाता था कि राम मंदिर बनाएंगे, कब बनाएंगे, मालूम नहीं। ऐसे ही 1 लाख बनाएंगे। कब बनेगा मालूम नहीं। मगर राम मंदिर बना, ऐसे ही 1 लाख भी बनेगा।
तिलक ने कहा कि सवाल यह नहीं है कि शेयर बाजार 1 लाख का आंकड़ा छूंएगा या नहीं। सवाल यह है कि उस स्थिति में ही निवेशक की स्थिति क्या है। भले ही सेंसेक्स 1 लाख के आंकड़ा को छू जाएं लेकिन अगर उसने ऐेसे शेयर में निवेश किया है जिसके बढ़ने की कोई संभावना ही नहीं है। तो उसका कुछ नहीं होगा।
इन लोगों को नहीं मिलेगा फायदा : सेबी और बीएसई में महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके तिलक ने कहा कि हर्षद मेहता के जमाने में कर्नाटक बॉल बेयरिंग का शेयर 30 हजार रुपए पर था, हालांकि उसकी वर्थ ना तब कुछ थी ना आज है। हालांकि कई निवेशकों के पास आज भी इसके शेयर है। वे उम्मीद में शेयर रखकर बैठे हैं कि बेचूंगा नहीं। ऐसे निवेशकों के लिए सेंसेक्स 1 लाख पर हो या 5 लाख का आंकड़ा छूं लें, कोई फर्क नहीं पड़ता।
उन्होंने कहा कि 1 लाख आंकड़ा केवल एक नंबर है। जैसा कि हम अपनी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के बारे में कहते हैं कि यह 5 ट्रिलियन की होगी। ऐसी घोषणा विजन स्टेटमेंट होती है।
उन्होंने कहा कि यदि किसी को बाजार में 1 करोड़ रुपए कमाने है तो उसे कम से कम 5 करोड़ रुपए लगाने होंगे। जिसके पास 5 करोड़ है वह ऐसा करेगा नहीं। जैसा कि वारेन बफे के गुरू बेंजामिन ग्राहम ने कहा है, यदि आपको 2 लाख रुपए कमाने हैं तो 4 लाख रुपए 4 माह के लिए लगाइए।
कुछ फैक्टर्स कंट्रोल के बाहर : तिलक ने कहा कि सेंसेक्स भारत का है, यहां काम करने वाली 30 कंपनियां भी देश में ही कार्यरत हैं, हालांकि यहां पर देश के ही व्यक्तिगत या संस्थागत निवेशक ही निवेश नहीं कर रहे हैं। बाहर के भी निवेशक है। उनके अपने गणित हैं। कई फैक्टर्स ऐसे होते हैं जो कंट्रोल के बाहर है। जैसे कोरोना।
उन्होंने बताया कि कोरोना काल में बाजार तो वैसा ही था लेकिन बाहर का व्यक्ति (FII) आ ही नहीं रहा था। या मैं
बाहर वालों को प्रोडक्ट नहीं दे रहा था। मेरी कंपनी कितनी भी अच्छी हो, प्रोडक्ट कितनी भी अच्छी हो, वो बेची तो नफा होगा। मुनाफा मिलेगा तो ही नया निवेशक आएगा।
ऐसे मजबूत हुआ सिस्टम : बीएसई के सभासद रहे तिलक ने बताया कि विश्व के बाकि सारे देशों की तुलना में हमारा बाजार सबसे ज्यादा विश्वसनीय है। उन्होंने कहा कि 1991 से 1995 तक सिर्फ इकनोमिक रिफॉर्म की ही नहीं, घोटालों की भी पंचवर्षीय योजना हुई। मगर उन घोटालों की वजह से सिस्टम इतनी स्ट्रांग है, इन घोटालों से सीख लेकर सेबी और सरकारों ने शेयर मार्केट के नियम-कानून सख्त किए हैं।
30 साल में एक बार भी रद्द नहीं हुई ट्रेडिंग : उन्होंने कहा कि यदि आप पिछले 30 साल का शेयर बाजार का इतिहास देखे तो भारत एकमात्र देश है जिसने एक दिन भी ट्रेडिंग रद्द नहीं की। 1991 में दुर्भाग्यवश अर्थव्यवस्था ठीक ढंग से चल नहीं रही थी। जब हम लोगों के पास जाकर कहते थे कि निवेश करो, तो हमारा मजाक उड़ाया जाता थे। आज हम पहले देश हैं जो T+0 से काम कर रहे हैं। यह जो एश्योरेंस है इस वजह से लोग एक लाख की बात करते हैं।
उन्होंने कहा कि बाजार के 1 लाख के आंकड़े को छूने की बात को मैं इसे बुलबुला नहीं मानता। बुलबुला सिर्फ बहते हुए पानी से नहीं बनता। शेयर बाजार एक समुद्र है। इसमें हाईटाइड हो या लो टाइड, उसको हम अपनी अपनी फ्लो में से हम चुनते रहते हैं। तो वो फ्लो होने की वजह से बुलबुला है। यदि मैं करंट के बहुत नीचे हूं तो ऊपर आने की कोशिश करता हूं तो जितनी जोर से मैं उम्मीद करूं उतनी जोर से मैं सांस लेता हूं। यदि मेरी सांस बुलबुले की वजह होगी तो 1 लाख भी बुलबुला है।
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