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विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में जलवा बिखेर रही हैं कई मांएं

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गुरुवार, 22 नवंबर 2018 (18:09 IST)
नई दिल्ली। आईजी स्टेडियम के केडी जाधव हाल में इन दिनों दुनियाभर की महिला मुक्केबाजों का जमावड़ा लगा हुआ है जिसमें भारतीय सुपरस्टार एमसी मैरीकॉम समेत ऐसी कई धुरंधर शामिल हैं, जो घर के अलावा रिंग में जलवा बिखेरकर अपने देशों का नाम इतिहास में दर्ज करा रही हैं।
 
 
मैग्नीफिसेंट मैरी हालांकि इन सभी में एकमात्र ऐसी मुक्केबाज हैं, जो 5 बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल कर चुकी हैं और 6ठी बार यह कारनामा करने की कोशिश में जुटी हैं। लंदन ओलंपिक की यह कांस्य पदकधारी कई मुक्केबाजों के लिए प्रेरणास्रोत भी है और 35 साल की उम्र में उनका फिटनेस का स्तर शानदार है। अपार अनुभव की धनी मैरीकॉम ने हाल में गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। उनके नाम एशियाई चैंपियनशिप में भी 5 स्वर्ण और एक रजत पदक हैं।
 
मैरीकॉम ने मां बनने के बाद वापसी करते हुए कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीत का परचम लहराया। उन्हीं की तरह डेनमार्क की वाईवोने बाएक रासमुसेन भी 2 बच्चों के जन्म के बाद वापसी कर रही हैं जबकि उन्होंने 2008 में खेल को अलविदा कह दिया था और उन्होंने 2014 में ट्रेनिंग शुरू करना शुरू किया।
 
फिनलैंड की मीरा पोटकोनेन ने 2016 रियो ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक अपने नाम किया था और अस्ताना में हुई पिछली एआईबीए महिला विश्व चैंपियनशिप में भी वे तीसरे स्थान पर रही थीं। गत यूरोपीय चैंपियन मीरा की 2 बेटिया हैं और उनकी अनुपस्थिति में उनकी देखभाल उनके पति करते हैं। मीरा ने घर और रिंग की जिम्मेदारी संभालने के बारे में यहां आईजी स्टेडियम में कहा कि जब मैं टूर्नामेंट के लिए बाहर होती हूं, तो मेरी दोनों बेटियों की देखभाल मेरे पति करते हैं।
 
मीरा ने दूसरी बेटी के जन्म के बाद मोटापे को कम करने के लिए मुक्केबाजी करना शुरू किया था लेकिन धीरे-धीरे यह खेल उनका जुनून बनता गया। उन्होंने कहा कि मां बनने से मेरा मुक्केबाजी करियर प्रभावित नहीं हुआ। जब बेटियां छोटी थीं, तब थोड़ी मुश्किल आती थी लेकिन उनके बड़े होने के बाद घर और मुक्केबाजी के बीच अच्छा संतुलन बन गया है।
 
डेनमार्क की रासमुसेन 64 किग्रा लाइट वेल्टरवेट में खेलती हैं और उन्होंने 2005 में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीता था। वे अपने बच्चों का स्कूल का काम करवाती हैं, दिन में 2 बार ट्रेनिंग करती हैं और साथ ही अपने पारिवारिक कृषि व्यवसाय में हाथ बंटाती हैं। मुक्केबाजी के लिए खुद को फिट रखने के लिए वे हर दिन अपने मुक्केबाजी क्लब के लिए डेढ़ घंटे ड्राइविंग करती हैं।
 
कोलंबिया की रियो ओलंपिक की कांस्य पदकधारी इनग्रिट वालेंसिया ने 2006 में अपने बेटे के जन्म के बाद 2 साल के लिए ट्रेनिंग छोड़ दी थी लेकिन वापसी के बाद उन्होंने ओलंपिक में कांसे के अलावा इस साल दक्षिण अमेरिकी खेलों और अमेरिकी एंड कैरेबियन खेलों में भी जीत हासिल की। 30 साल की यह मुक्केबाज फ्लाईवेट 51 किग्रा में खेलती है।
 
फिलीपींस की 31 साल की मुक्केबाज जोसी गाबुको ने 2012 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था और यह उनके देश के इस प्रतियोगिता में इतिहास में एकमात्र स्वर्ण पदक है। उनका 11 साल का बेटा है जिसने एक साक्षात्कार में कहा था- 'प्लीज मेरी मां को मत मारना।' (भाषा)

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