नई दिल्ली। हॉकी के जादूगर के नाम से मशहूर मेजर ध्यानचंद को गुरुवार को राज्यसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारतरत्न' से सम्मानित किए जाने की मांग की।
सपा के चंद्रपाल सिंह यादव ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि झांसी में जन्मे ध्यानचंद ने भारतीय हॉकी को उसके गौरव के शिखर पर पहुंचाते हुए देश को वर्ष 1928, 1932 और 1936 में 3 ओलंपिक पदक दिलवाए। उनका 48 मैचों में 109 गोल बनाने का रिकॉर्ड आज तक नहीं टूटा।
यादव ने कहा कि दूसरे देशों ने बड़ी राशि देकर ध्यानचंद को अपने यहां कोच बनने के लिए बुलाया लेकिन हॉकी के इस देशभक्त जादूगर ने सभी पेशकश अस्वीकार कर दीं।
यादव के अनुसार, एक समय भारत को अपना उपनिवेश बनाने वाले ब्रिटेन की संसद में भी ध्यानचंद को सम्मानित किया गया, लेकिन उनके अपने ही देश में अब तक उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारतरत्न' से सम्मानित नहीं किया गया जबकि यह सम्मान उन्हें अविलंब दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने ध्यानचंद को 'भारतरत्न' से सम्मानित किए जाने की मांग की थी।
भारतीय हॉकी के पूर्व कप्तान बीजद के दिलीप तिर्की ने यादव की इस मांग का समर्थन करते हुए कहा कि वे भी पूर्व में यह मांग उठा चुके हैं। उन्होंने कहा कि 20वीं सदी के महान खिलाड़ी ध्यानचंद के नाम पर देश में पुरस्कार दिया जाता है, उनके नाम पर स्टेडियम है लेकिन उन्हें 'भारतरत्न' से भी सम्मानित किया जाना चाहिए। विभिन्न दलों के सदस्यों ने उनके इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया। (भाषा)