Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

एवरेस्ट फतह करने वाले प्रदेश के सबसे युवा बने मधुसूदन

एवरेस्ट फतह करने वाले प्रदेश के सबसे युवा बने मधुसूदन
, रविवार, 11 जून 2017 (23:30 IST)
इंदौर। चाहे मंजिल कितनी भी कठिन हो उसे हासिल करने के लिए आपके पास लगन, परिश्रम व दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो उसे तमाम विपरीत परिस्थियों के बाद भी हासिल किया जा सकता है। ऐसा ही कुछ कारनामा शहर के 20 वर्षीय मधुसूदन पाटीदार ने एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर किया है।
 
एवरेस्ट पर फतह करने के पहले इस युवा को एक नहीं अनगिनत परेशानियों का सामना करना पड़ा। सबसे पहले मकान गिरवी रखा, फिर इस मिशन के लिए नेताओं के साथ अनेक शासकीय महकमों मे दर-दर भटकना पड़ा, मिशन के दौरान एक साथी की मौत और भी न जाने उन्हें कितनी परेशानीयों का सामना करना पड़ा लेकिन यह इस युवा कि इच्छाशक्ति ही थी, उन्होंने इतनी कम उम्र में दुनिया की सबसे ऊंची चोटीयों में से एक पर फतह हासिल की और देश का नाम गौरवान्वित किया।
 
मधुसूदन एवरेस्ट फतह का मिशन 48 दिनों में पुरा हुआ। इस मिशन की शुरूआत में उनके साथ 8 लोग शामिल थे, लेकिन शुरूआत में ही एक साथी की ट्रैकिंग के दौरान मौत हो गई। चोटी तक पहुंचने तक केवल तीन ही व्यक्ति शेष रह गए थे, जिसमें मधुसूदन के अलावा इंग्लैंड के दो साथी थे। कई बार इन्हे तूफान, फिसलन, ऑक्सिजन का अभाव, सहित अन्य परेशानियों का भी सामना करना पड़ा लेकिन आखिकर यह मिशन कामयाब हो गया और मधुसूदन प्रदेश के पहले ऐसे व्यक्ति बन गए, जिन्होने इतनी कम उम्र में यह मुकाम हासिल कर लिया।
 
मधुसूदन ने 14 वर्ष की उम्र में ही एवरेस्ट पर फतह हासिल करने का लक्ष्य हासिल किया था और इतनी कम उम्र में ही इस सहासिक खेल भी जुड़ गए थे। वर्ष 2014 में उन्होंने कश्मीर में टेऊकिंग का बेसिक कोर्स किया फिर उसके बाद वर्ष 2015 में कुशन शेरपा ने निर्देशन में दार्जिलिंग एडवान्स कोर्स भी किया। 
 
इस युवा ने बेंगलुरु से गोवा तक 850 किलो मीटर साइलिंग कर लिम्का बुक में भी अपना नाम दर्ज करा रखा है। साथ ही देश में आयोजित होने वाली हिमालय ट्रेक सहित अन्य ट्रेकिंग स्पर्धा में अपने जलवे दिखाए है। वह अपने इन अनुभवों को इस खेल से जुड़े युवाओं को बांट रहे है और सैकड़ों व्यक्तियों को प्रशिक्षित करने का कार्य भी कर रहे है। 
   
आर्थिक मदद की है दरकार : एवरेस्ट के इस मिशन को हासिल करने के लिए मधुसूदन को लगभग 35 लाख रुपए की आवश्यकता थी। यह युवा शासन के हर विभाग से लेकर अनेक जनप्रतिनिधियों के पास पहुंचा लेकिन सब जगह निराशा का ही सामना करना पड़ा। मजबूरन उन्हें घर गिरवी रखकर मिशन के लिए रुपया जुटाना पड़ा। 
 
इस युवक का परिवार आर्थिक रूप से भी सक्षम नही है और पिता मोटर वाइंडिंग का कार्य करते है। डेकॉथलन कम्पनी ने मधुसूदन के लिए मिशन के पूर्व खेल सामग्री की नि:शुल्क व्यवस्था तो करा दी थी लेकिन अब भी उन्हें अपने गिरवी घर को छुडाने के अलावा बाएं हाथ की अंगुली का आपरेशन करवाना है, जो कि एवरेस्ट मिशन के दौरान क्षतिग्रस्त हो गई थी। 
 
अगर सामाजिक सस्थाएं, जनप्रतिनिधि, उघोगपति व सरकारी महकमें के अधिकारी इस युवा की मदद करे तो हो सकता है इस युवा की वर्तमान समस्या के साथ भविष्य की परेशानी दूर हो जाए और हमे उनसे इससे भी बेहतर परिणाम देखने को मिले, क्योकि अब इस युवा का लक्ष्य सभी महाद्वीपों की चोटी पर तिरंगे को फहराना है।  
 
इस जांबाज खिलाड़ी को किया सम्मानित : मधुसूदन की इस बेमिसाल व लाजवाब उपलब्धि पर उन्हें इंदौर स्पोर्ट्‍स राइटर्स एसोसिएशन व डेकॉथलान ने एक सादे समारोह में विशेष रूप से सम्मानित किया। उन्हें पुष्प गुच्छ व खेल सामग्री इस्पोरा के अध्यक्ष ओम सोनी, डेकॉथलान के अजिश राजू (ऑपरेशन मैनेजर), इस्पोरा सचिव विकास पांडे व खेल पत्रकार सुभाष सातालकर ने भेंट की। संचालन कपिश दुबे ने किया। 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

उसेन बोल्ट ने जीता 100 मी फर्राटा, लेकिन समय 10.03 सेकंड