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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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दो बार 'लिम्का बुक' में दर्ज होने वाले इंदौर के मदन सिंह चौहान नहीं रहे

दो बार 'लिम्का बुक' में दर्ज होने वाले इंदौर के मदन सिंह चौहान नहीं रहे

सीमान्त सुवीर

इंदौर। बास्केटबॉल और हैंडबॉल के राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बनकर देश में मध्यप्रदेश का नाम चमकाने वाले मदन सिंह चौहान उर्फ मट्‍टू का 31 मार्च को असामायिक निधन हो गया। खेलकूद के बाद उन्होंने भगवान गणेश के हजारों चित्र एकत्र करने के मामले में 2 बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्‍स में अपना नाम दर्ज किया था। यही नहीं, मट्‍टू को गोल्डन रिकॉर्ड बुक में शामिल किया गया।
 
1 अप्रैल को जैसे ही सोशल मीडिया में उनके निधन का समाचार फैला तो यकायक लोगों को भरोसा ही नहीं हुआ कि मदन सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे। पहले तो लगा कि किसी ने अप्रैल फूल बनाया है लेकिन जब शवयात्रा निकाले जाने का विज्ञापन साथ में चस्पा हुआ तो यकीन करना ही पड़ा।
 
दैनिक भास्कर के बाद नईदुनिया समाचार पत्र के विज्ञापन विभाग में वर्षों तक अपनी सेवाएं देने वाले मट्‍टू को पुरानी चीजों के संग्रह का शौक था और बाद में यह शौक गणेशजी की तस्वीरों को इकठ्‍ठा करने में बदल गया। इंदौर में कई बार उनकी गणेशजी के दुर्लभ संग्रह के चित्रों की प्रदर्शनी भी लगी।

बतौर खिलाड़ी मट्‍टू बिरला ही था। बहुत कम ऐसे खिलाड़ी होते हैं जिनके मैच में दोनों हाथ चलते हों। चाहे बास्केटबॉल हो या फिर हैंडबॉल, मट्‍टू में समान रूप से दोनों हाथों का कमाल दिखाकर विरोधी टीम को पस्त करने का नायाब हुनर था।
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2013 में मट्‍टू का बायपास हुआ था, लेकिन इसके बावजूद हंसमुख और मिलनसार स्वभाव के कारण कभी यह जाहिर ही नहीं होता था कि वे दिल की इतनी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। मोटरसाइकल से कई बार भारत भ्रमण कर चुके मट्‍टू ने कुछ माह पहले ही तीन राज्यों को नापा था और तिरुपति बालाजी होकर आए थे।
 
अखबारों में विज्ञापन विभाग में जमकर मेहनत करने के बाद अंतिम समय में वे मेदांता अस्पताल से जुड़ गए थे। हाल ही में भगोरिया से लौटने के बाद वे हल्के बुखार से पीड़ित थे लेकिन किसे पता था कि उनकी किडनी और लिवर ने धीरे-धीरे काम करना बंद कर दिया है। जो व्यक्ति इंदौर शहर के जानने वाले लोगों के जीवन का अंग (ऑर्गन) बन चुका हो, उसी के शरीर के अंगों ने उसका साथ छोड़ दिया था। 31 मार्च को उन्होंने आखिरी सांस ली।
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अनूप नगर से मदन सिंह चौहान की शवयात्रा निकली और जूनी इंदौर मुक्तिधाम पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। जब उनकी इकलौती बेटी शीतल ने मुखाग्नि दी तो वहां मौजूद खेल संगठन से जुड़े तमाम लोगों की आंखें नम हो गईं। किसी को भरोसा ही नहीं हो रहा था कि हंसता-गाता और हमेशा लोगों की मदद के लिए मौजूद रहने वाला उनका दोस्त मट्‍टू 'पंचतत्व' में विलीन हो रहा है।

श्रद्धांजलि सभा में कई लोगों ने मट्‍टू के साथ बिताएं दिनों को याद करते हुए उन्हें जिंदादिल इंसान बताया, जो मुफलिसी में रहने के बाद भी खुद को सबसे अमीर इंसान के रूप में पेश करता था। कौन जानता था कि इसी 22 मार्च को अपना जन्मदिन मनाकर खुशियां बांटने वाला मट्‍टू 31 मार्च को सबको गमजदा कर जाएंगा, हमेशा-हमेशा के लिए...

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