नई दिल्ली। देश में वर्षों से चल रही विदेशी बनाम भारतीय कोच की बहस के बीच शीर्ष पिस्टल निशानेबाज जीतू राय का मानना है कि भारतीय कोच बेहतर होता है।
पिस्टल किंग के नाम से मशहूर और पिछले वर्ष रियो ओलंपिक में 10 मी. एयर पिस्टल के फाइनल में पहुंचकर आठवां स्थान पाने वाले जीतू ने यहां डॉ. कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में सोमवार को विश्वकप की घोषणा से इतर संवाददाताओं से कहा अगर आप दिल से पूछें तो अपना कोच अच्छा होता है।
जीतू ने कहा कि मैं विदेशी कोच के कतई खिलाफ नहीं हूं। वे भी अपना काम पूरे निस्वार्थ भाव से करते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि भारतीय कोच खिलाड़ियों की भावनाओं को ज्यादा बेहतर समझ सकते हैं।
राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता जीतू राय ने कहा भारतीय कोच ने अपनी संस्कृति का असर ज्यादा दिखाई देता है। वह हमारी भावनाओं को समझ सकता है। लेकिन यदि हमें विदेशी कोच दिया जाता है तो मुझे उस पर कोई आपत्ति नहीं है। मेरा काम ट्रेनिंग करना और कड़ी मेहनत करना है जो मैं किसी के साथ भी कर सकता हूं।
भारतीय और विदेशी शूटिंग रेंज में किसी तरह के अंतर के बारे में पूछने पर जीतू ने कहा मुझे नहीं लगता कि इन शूटिंग रेंज में कोई अंतर है। सभी लगभग एक जैसी हैं। बहुत कुछ आपकी ट्रेनिंग पर निर्भर करता है। मैं इस विश्वकप के लिए अच्छी तैयारी कर रहा हूं और मेरी ट्रेनिंग काफी मजबूत है।
घरेलू रेंज के फायदे के बारे में पूछने पर पिस्टल किंग ने कहा कि घरेलू रेंज में खेलने का थोड़ा बहुत फर्क पड़ता है। आपको अपने दर्शकों के लगातार समर्थन का भी फायदा मिलता है। लेकिन साथ ही बेहतर प्रदर्शन का दबाव भी आप पर आ जाता है।
जीतू अब तक रियो ओलंपिक की अपनी निराशा को भूल नहीं पाए हैं। उनके पास पदक जीतने का अच्छा मौका था लेकिन वह 10 मीटर एयर पिस्टल के फाइनल में पहुंचकर दबाव में भटक गए और आठवां स्थान ही हासिल कर पाए।
जीतू ने कहा कि मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। जबरदस्त मेहनत की थी। मेरा अभ्यास अच्छा था लेकिन पदक न जीत पाने पर मुझे गहरी निराशा हुई थी। मैंने रियो में जो गलतियां की उससे सबक लेकर अगले ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन करूंगा।
सेना में सूबेदार पद पर तैनात जीतू खुद को फिट रखने के लिए घंटो ट्रेनिंग के साथ साथ योग भी करते हैं। इसके अलावा वह अपनी एकाग्रता को बनाए रखने के लिए विपासना का भी सहारा लेते हैं। (वार्ता)