7 साल की उम्र में ही डी गुकेश की प्रतिभा पहचान ली थी कोच ने
गुकेश के लिए पाठ्यक्रम से इतर की गतिविधि बन गई जुनून: कोच भास्कर
भारत के शतरंज खिलाड़ी डी गुकेश ने स्कूल में पाठ्यक्रम से इतर की गतिविधि के तौर पर इस खेल को अपनाया जो बाद में उनका जुनून बन गया और उसी का परिणाम है कि आज इस 18 वर्षीय खिलाड़ी को दुनिया के शीर्ष खिलाड़ियों में शुमार किया जाता है।ग्रैंडमास्टर गुकेश ने रविवार को बुडापेस्ट में ओपन वर्ग में भारत को पहली बार शतरंज ओलंपियाड में स्वर्ण पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
गुकेश के बचपन के कोच वी भास्कर ने वेलाम्मल विद्यालय में तब उनकी प्रतिभा को पहचाना जब वह सिर्फ सात साल के थे।भास्कर ने कहा,हमने तब शुरुआत की जब वह (गुकेश) वेलाम्मल विद्यालय में कक्षा एक में था। वह पाठ्यक्रम से इतर की गतिविधियों में भाग लेता था। जब वह सात साल का था तब मैंने उसमें एक ललक देखी और उसे व्यक्तिगत प्रशिक्षण के लिए आने को कहा। हमने कई वर्षों तक उसके खेल को निखारने पर काम किया।
शतरंज की दुनिया में तीसरे सबसे युवा ग्रैंड मास्टर गुकेश इस साल के अंत में विश्व खिताब के लिए चीन के डिंग लिरेन के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करेंगे।भास्कर ने कहा कि गुकेश वास्तव में प्रतिभाशाली बच्चा था जिसे शुरुआती दिनों से ही अपने खेल के साथ प्रयोग करना पसंद था।
उन्होंने कहा,उसने छोटी उम्र से ही अपने खेल में काफी प्रयोग करने शुरू कर दिए थे और मुझे तब बहुत खुशी हुई कि वह दुनिया का तीसरा सबसे कम उम्र का ग्रैंडमास्टर बना। मुझे बहुत खुशी हुई जब उसने टोरंटो में कैंडिडेट्स जीता और इस साल के अंत में सिंगापुर में विश्व चैंपियन डिंग को चुनौती देने का अधिकार हासिल किया।
ओलंपियाड को व्यक्तिगत स्पर्धा के रूप में लिया: गुकेश
भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने हाल ही में संपन्न शतरंज ओलंपियाड को व्यक्तिगत स्पर्धा के रूप में लिया और नवंबर में होने वाली बहुप्रतीक्षित विश्व चैंपियनशिप से पहले अपने प्रदर्शन पर संतोष जताया।विश्व चैंपियनशिप के चैलेंजर 18 वर्षीय गुकेश की भारत की ऐतिहासिक जीत में अहम भूमिका रही जिससे पुरुष टीम ने टूर्नामेंट में पहली बार स्वर्ण पदक जीता।
बुडापेस्ट से मंगलवार सुबह यहां पहुंचे गुकेश ने हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा, ओलंपियाड को मैंने व्यक्तिगत स्पर्धा के रूप में लिया। मैं सिर्फ इस विशिष्ट टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करना चाहता था। मैं अपने प्रदर्शन और टीम के प्रदर्शन से बहुत खुश हूं।
गुकेश ने भारत के लिए शीर्ष बोर्ड पर शानदार प्रदर्शन किया और अपनी 10 बाजियों में नौ अंक हासिल किए। उन्होंने आठ बाजी जीती जबकि दो ड्रॉ रहीं। इस प्रदर्शन की बदौलत उन्होंने व्यक्तिगत स्वर्ण पदक भी जीता।
उन्होंने कहा, परिणाम इस बात का सबूत है कि हम कई चीजें सही कर रहे थे और हम सही भावना के साथ खेल रहे थे। बुडापेस्ट में जो कुछ भी हुआ उससे मैं बेहद खुश हूं।
अब गुकेश का ध्यान नवंबर-दिसंबर में गत चैंपियन चीन के ग्रैंडमास्टर डिंग लिरेन के खिलाफ होने वाले महत्वपूर्ण विश्व चैंपियनशिप मुकाबले पर है।भारतीय खिलाड़ी ने अप्रैल में कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीता था और 17 साल की उम्र में विश्व खिताब के लिए सबसे कम उम्र के चैलेंजर बन गए थे। मई में वह 18 साल के हुए।
गुकेश और लिरेन 20 नवंबर से 15 दिसंबर तक सिंगापुर में प्रतिष्ठित खिताब और 25 लाख डॉलर की पुरस्कार राशि के लिए भिड़ेंगे।
उन्होंने कहा, विश्व चैम्पियनशिप में जाने से पहले फॉर्म अच्छा है और अभी मैं काफी खुश हूं। अभी कुछ महीने बाकी हैं और मैं कड़ी मेहनत करूंगा और पूरी तरह से तैयार रहूंगा। अगर यह किशोर सफल होता है तो वह दिग्गज विश्वनाथन आनंद के बाद यह खिताब जीतने वाला पहला भारतीय बन जाएगा। आनंद ने अपने शानदार करियर में पांच बार विश्व खिताब जीता।(भाषा)