कृपाशंकर बिश्नोई (अर्जुन अवॉर्डी)
मुंबई। आमिर खान की बहुचर्चित फिल्म 'दंगल' में रेसलर बबीता कुमारी और गीता फोगाट के ऑडिशन को लेकर रोज होता था दंगल। 'दंगल' गुरु व अर्जुन पुरस्कार विजेता पहलवान कृपाशंकर बिश्नोई ने इस बात का खुलासा किया है कि भारत की स्टार महिला पहलवान पूजा ढांढा ने बहुचर्चित फिल्म 'दंगल' के लिए गीता फोगाट और बबीता कुमारी की भूमिका को लेकर ऑडिशन दिया था।
खेल से जुड़े पहलवान महावीर फोगाट की जीवनी पर आधारित नीतेश तिवारी की फिल्म में कलाकारों के चयन प्रक्रिया के दौरान लगभग 200 महिला पहलवानों के ऑडिशन पूरे देश से लिए गए थे। इनमे से सिर्फ 3 महिला पहलवान सरिता मोर, शिल्पी शेरोन और पूजा ढांढा अंतिम चरण तक पहुचे में कामयाब हुई थीं।
फाइनल ऑडिशन हेतु तीनों महिला पहलवानों को 'दंगल' कास्टिंग निदेशक मुकेश छाबड़ा द्वारा मुंबई में आमंत्रित किया गया था। कास्टिंग विभाग ने ऑडिशन के दौरन पूजा ढांढा को अभिनय और हरियाणावी बोलने के अंदाज में सर्वश्रेष्ठ पाया। जहां पूजा ढांढा को बबीता की भूमिका के लिए चुना गया था, लेकिन इस महिला पहलवान ने यह ऑफर ठुकरा दिया।
जानिए क्या थी वजह?
प्रो रेसलिंग के लिए पंजाब रॉयल्स टीम की मेंबर पूजा ढांढा ने बताया कि फिल्म में उन्हें भी गीता की बहन बबीता का रोल निभाने का ऑफर मिला था, लेकिन उस दौरान पूरी तरह फिट नहीं होने की वजह से उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने बताया कि मुझे वर्ष 2015 में लखनऊ ट्रेनिंग के दौरान मेरे पैर (घुटने) में चोट लगी थी जिस वजह से मुझे काफी समय कुश्ती से बाहर रहना पड़ा। लेकिन इसके बावजूद मैंने हिम्मत नहीं हारी और करीब 2 साल बाद प्रो लीग से रिंग में वापसी की।
इसलिए हुआ महिला पहलवानों का ऑडिशन
आमिर जानते थे कि आमतौर पर स्पोर्ट्स फिल्में, खेल दिखाए जाने वाले दृश्यों में मार खा जाती हैं। नकलीपन हावी हो जाता है और वे जानते थे कि एक अभिनेत्री के लिए कुश्ती करना कितना मुश्किल है। कुश्ती एक ऐसा खेल है जिसमें किसी शस्त्र का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता और इसमें चोट लगना लाजमी है, साथ ही कुश्ती के सीन करना, एक पहलवान की तरह अभिनय करना और उसके लिए रोज कुश्ती अभ्यास करना अभिनेत्रियों के लिए काफी मुश्किल था। इसी को देखते हुए प्रोफेशनल महिला पहलवानों के ऑडिशन लिए गए ताकि हम गीता बबिता के किरदार हेतु महिला पहलवानों में से ही चुने।
खिलाड़ियों को सिखा रहीं गुर
पूजा ढांडा खेल के साथ-साथ उभरती खेल प्रतिभाओं को खेल के गुर भी सिखा रही हैं। मौजूदा समय में हिसार के महावीर स्टेडियम में बतौर कुश्ती कोच तैनात हैं। वे हिसार के खिलाड़ियों को कुश्ती की बारीकियां सिखा रही हैं, साथ ही अपना खेल अनुभव उनके साथ साझा कर रही हैं ताकि उनके पास प्रशिक्षण प्राप्त कर खिलाड़ी खेल में अपनी बेहतर खेल प्रतिभा का प्रदर्शन कर हिसार के साथ-साथ देश को खेल में सम्मान दिलाए।
ये हैं पूजा की उपलब्धियां
1. साल 2017 में साउथ अफ्रीका में हुई कॉमनवेल्थ रेसलिंग में स्वर्ण पदक हासिल किया।
2. साल 2014 में कजाकिस्तान में हुई सीनियर एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया।
3. साल 2013 में साउथ अफ्रीका में हुई कॉमनवेल्थ रेसलिंग में कांस्य पदक हासिल किया।
4. साल 2012 में कजाकिस्तान में हुई जूनियर एशिया रेसलिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक।
5. साल 2011 में हंगरी में हुई वर्ल्ड कैडेट रेसलिंग चैंपियनशिप में सिल्वर पदक।
6. साल 2011 में बैंकॉक में एशिया कैडेट जूनियर रेसलिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक।
7. साल 2010 में सिंगापुर में हुई यूथ ओलंपिक चैंपियनशिप में सिल्वर पदक हासिल किया।