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अंजू बॉबी जॉर्ज की उपलब्धि तक पहुंच पाएगा कोई भारतीय?

अंजू बॉबी जॉर्ज की उपलब्धि तक पहुंच पाएगा कोई भारतीय?
नई दिल्ली , बुधवार, 2 अगस्त 2017 (20:54 IST)
नई दिल्ली। भारतीय एथलेटिक्स टीम चयन विवादों से गुज़रने के बाद विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए लंदन पहुंच चुकी है लेकिन इस तमाम कवायद के बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या कोई भारतीय एथलीट अंजू बॉबी जार्ज की उपलब्धि तक पहुंच पाएगा?
         
लांग जंपर अंजू जार्ज ने 2003 में पेरिस में हुई विश्व चैंपियनशिप में लंबी कूद में कांस्य पदक हासिल किया था। उससे पहले तक किसी भारतीय ने विश्व एथलेटिक्स में कोई पदक नहीं जीता था और अंजू के बाद फिर कोई भारतीय अब तक विश्व एथलेटिक्स में पदक नहीं जीत पाया है। 
        
विश्व एथलेटिक्स की शुरूआत 1983 में हेलसिंकी से हुई थी। प्रतियोगिता के 34 वर्ष के इतिहास में भारत के खाते में सिर्फ एक कांस्य पदक है और वह पदक जीतने वाले कुल 91 देशों में संयुक्त 91वें स्थान पर है। भारत का एशियाई एथलेटिक्स में काफी अच्छा प्रदर्शन रहा है लेकिन विश्व चैंपियनशिप में भारतीय एथलीट कुछ नहीं कर पाए हैं।
        
एकमात्र अंजू जार्ज थीं जिन्होंने 2003 की विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर इतिहास बनाया था। अंजू की उपलब्धि को 14 साल गुज़र चुके हैं। उसके बाद कोई भी एथलीट पदक के आसपास नहीं पहुंच पाया है। 
        
बीजिंग में 2015 में हुई पिछली चैंपियनशिप में भारत ने 18 सदस्यीय दल उतारा था लेकिन सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के नाम पर ललिता बाबर का 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में आठवां स्थान रहा था। डिस्कस थ्रोअर विकास गौड़ा नौवें और शॉट पुटर इंद्रजीत सिंह 11वें स्थान पर रहे थे। 
         
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ ने इस बार विश्व चैंपियनशिप के लिए 24 सदस्यीय टीम चुनी है, जिसमें 14 पुरूष खिलाड़ी और 10 महिला खिलाड़ी शामिल हैं। इसके बाद इस टीम में 100 मीटर की धाविका दूती चंद जुड़ गई हैं जिससे टीम की संख्या 25 पहुंच गई है।
                
1500 मीटर की धाविका चित्रा एमयू को टीम से बाहर करने पर विवाद हुआ। चित्रा ने भुवनेश्वर में हुई एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। यह मामला अदालत में पहुंचा। अदालत ने फेडरेशन को चित्रा को टीम में शामिल करने का निर्देश दिया। केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल ने फेडरेशन को अदालत के फैसले का सम्मान करने को कहा। लेकिन अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ (आईएएएफ) ने भारतीय फेडरेशन का आग्रह ठुकरा दिया।
                  
3000 मीटर स्टीपलचेज की एथलीट सुधा सिंह का नाम आईएएएफ की प्रविष्टि सूची में शामिल हो गया था जिसपर भी विवाद हुआ और फिर उनका नाम चुपचाप सूची से हटा दिया गया। फर्राटा धाविक दूती चंद को आईएएएफ ने आमंत्रित किया है जबकि उनका नाम फेडरेशन की सूची में शामिल नहीं था। दूती प्रतियोगिता में हिस्सा लेने लंदन पहुंच चुकी हैं।      
          
भारतीय टीम में यदि किसी से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है तो वह भाला फेंक एथलीट और जूनियर विश्व रिकार्डधारी नीरज चोपड़ा हैं। नीरज ने गत वर्ष उस समय तहलका मचाया था जब उन्होंने पोलैंड में अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप में 86.48 मीटर की थ्रो के साथ विश्व रिकॉर्ड बनाया था।
         
हरियाणा के इस एथलीट का इस साल अच्छा प्रदर्शन रहा है और पेरिस डायमंड लीग में वह पांचवें स्थान पर रहे थे। इसके अलावा उन्होंने एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता और मोनाको डायमंड लीग में सातवां स्थान हासिल किया। उनका सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 85.23 मीटर है जो सत्र की सर्वश्रेष्ठ 15 थ्रो में शामिल है।
         
एशियन चैंपियनशिप के दौरान एक बार फिर से जेंडर विवाद में आने वाली 100 मीटर की धाविका दूती चंद को आईएएएफ ने आखिरी समय में कोटा देकर विश्व चैंपियनशिप में बुलाया है। ओड़िशा की 21 वर्षीय दूती 11.26 सेकंड का क्वालिफाइंग मार्क हासिल नहीं कर पाईं थीं और एशियाई चैंपियनशिप में भी उन्हें कांस्य पदक मिला था।
        
दूती चंद का सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 11.30 सेकंड है जो क्वालिफाइंग मार्क के आसपास है। यही कारण है कि उन्हें आईएएएफ ने निर्धारित एथलीटों की अपनी सूची पूरी करने के लिए आमंत्रित कर लिया।
      
एशियाई चैंपियनशिप में 5000 और 10000 मीटर का गोल्डन डबल पूरा करने वाले तमिलनाडु के गोविंदन लक्ष्मणन विश्व चैंपियनशिप में सिर्फ 5000 मीटर में दौड़ेंगे। पुरूषों में 400 मीटर के धावक मोहम्मद अनस ने रियो ओलंपिक में 400 मीटर में दौड़ में हिस्सा लिया था और इस वर्ष मई में इस स्पर्धा में इंडियन ग्रां प्री में राष्ट्रीय रिकार्ड भी तोड़ा था।
        
अनस से फाइनल में पहुंचने की उम्मीद रहेगी। लेकिन इसके लिए उन्हें सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 45.32 सेकंड से कहीं बेहतर करना होगा। भारत की चार गुणा 400 मीटर की पुरुष और महिला रिले टीमें फाइनल में पहुंचने की उम्मीद जगाती हैं। पैदलचाल और मैराथन में भारतीय अपने प्रदर्शन में सुधार कर पाएं उनके लिए यही काफी होगा। (वार्ता)

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