सिंहस्थ में कई मजेदार किस्से भी देखने को मिल रहे हैं। दो नागा साधु अपने गुप्तांगों को लकड़ी पर लपेट रहे थे। उन्हें भक्तजन फटी आंखों से देख रहे थे और चेहरों के भाव आश्चर्य की सीमा से परे जा चुके थे।
जब मैंने नागा साधुओं की तस्वीरें लेने की कोशिश की तो वे अच्छे-खासे नाराज हो गए। उनका गुस्सा शांत कर जब मैंने उनसे कहा कि बाबा मैं ये तस्वीरें प्रेस के लिए ले रहा हुं तो उनकी नाराजगी तो कम हो गई, परंतु वे एक बात पर अड़ गए और कहने लगे- बड़ा नोट दे और फोटो ले ले।
मैंने उन्हें नमन कर कहा कि बाबा ड्यूटी निभा रहा हुं बड़ा नोट कैसे दूं? और 20-20 के 2 नोट थाली में डाल दिए। दोनों नागा साधु मान गए और फिर उन्होंने शानदार पोज दिया।
दक्षिणा के बाद पोज़़ देते बाबा
मैरे साथ मेरे एनआरआई मित्र अमित गोयल भी थे। वे यह सब देखकर अचंभित हो रहे थे। आगे एक जगह मैंने एक और नागा साधु से कहा कि बाबा ये अमेरिका से आप लोगों से मिलने आए हैं तो बाबा ने मित्र का स्वागत किया।
मित्र को आशीर्वाद देते हुए बाबा
मित्र ने बाबा के साथ एक फोटो का निवेदन किया तो बाबा मान गए, परंतु साथ ही जनकल्याण के लिए दान का आग्रह किया। मैंने मित्र को इशारा किया तो उन्होंने बाबा की थाली में कुछ रुपए डाले और उनसे विदा ली। हालांकि बाबा शायद ज्यादा दान की अपेक्षा कर रहे थे।
सच में बड़े मलंग होते हैं नागा साधु। कब गुस्सा हो जाएं और कब प्रसन्न, पता नहीं।