सुबह पौने चार बजे का समय होता है, कुछ तैराक रामघाट पर पानी में खड़े दिखाई देते हैं। अचानक उनका इंस्ट्रक्टर आता है और उन्हें अपना स्थान ग्रहण करने का आदेश मिलता है। कुछ ही देर में वे पानी में अपने तय स्थानों पर रस्सी पकड़कर खड़े हो जाते हैं।
शाही स्नान का समय सुबह 6 बजे का है और ये तैराक 4 बजे से तैनात है। इनके चेहरे पर शिकन और तनाव नहीं , भक्तिभाव झलक रहा है, मां शिप्रा के प्रति श्रद्धा झलक रही है।
इतने लंबे समय से खड़े कुछ तैराकों का पांव फिसलता भी है, मगर वे उठकर एक बार फिर रस्सी पकड़कर खड़े हो जाते हैं। इन लोगों की चौकस निगाहें लगातार इस बात पर रहती हैं कि स्नान पर आए लोगों के साथ कोई हादसा न हो जाए।
इस समय इन तैराकों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है, मानो कोई तपस्वी बरसों से जल तपस्या कर रहा हो। वे तपस्वी की तरह लगते हैं।
इन लोगों की इस मेहनत को देखकर यहां आए श्रद्धालुओं के मन में इनके प्रति आदर का भाव झलकता है और वे इनके निर्देशों का श्रद्धापूर्वक पालन भी करते हैं।