सिंहस्थ में गुप्त दान की बड़ी महिमा है। प्रकट रूप से जो दान किया जाता है, उसकी तुलना में गुप्त दान से दस गुना ज्यादा फल मिलता है। गुप्त दान बिना किसी कर्मकाण्ड के किया जा सकता है। सिंहस्थ में गुप्त दान की ऋषियों ने बहुत प्रशंसा की है।
अपनी सामर्थ्य के मुताबिक गरीब को भी यह दान करने से पुण्य मिलता है। इस दान के साक्षी सिर्फ भगवान वेणीमाधव होते हैं। इसके बारे में किसी को कुछ नहीं बताया जाता। पत्नी-पति को और पति-पत्नी को भी इसके बारे में जानकारी नहीं देते।
आमतौर पर तमाम श्रद्धालु सिंहस्थ में नदी के तट पर आकर जल में सिक्के या जेवर डाल देते हैं। वे सबकी नजर बचाकर यह दान करते हैं। दान करते समय वे मन ही मन वेणीमाधव को प्रणाम करते हैं।
कुछ लोग चुपचाप मुट्ठी में रखकर कोई भी चीज किसी सुपात्र को देकर आगे बढ़ जाते हैं। वे दान लेने वाले को अपना परिचय नहीं देते, वे कोई संकल्प नहीं पढ़ते। यह दान भगवान वेणीमाधव को बहुत प्रिय है।