Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

Guru Har Krishan Jyanati 2024: सिख धर्म के 8वें गुरु, गुरु हर किशन सिंह का प्रकाश पर्व

Guru Har Krishan Jyanati 2024: सिख धर्म के 8वें गुरु, गुरु हर किशन सिंह का प्रकाश पर्व

WD Feature Desk

, शुक्रवार, 26 जुलाई 2024 (15:30 IST)
Guru Har Kishan ji
 
Highlights 
 
* सिखों के आठवें गुरु कौन हैं।
* गुरु हर किशन सिंह का जन्म कब हुआ था।
* गुरु हर किशन सिंह के बारे में जानें। 

 
Guru Har Krishan Biography: गुरु हर किशन सिंह का प्रकाश पर्व 29 जुलाई को मनाया जा रहा है। गुरु हर किशन साहिब जी सिख धर्म के आठवें गुरु हैं। उनका जन्म सन् 1656 ई. में श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को कीरतपुर साहिब में हुआ था। गुरु हर किशन सिंह के पिता सिख धर्म के सातवें गुरु, गुरु हरि राय जी थे और उनकी माता का नाम किशन कौर था। गुरु हर किशन जी बचपन से ही बहुत ही गंभीर और सहनशील प्रवृत्ति के थे। 
 
मात्र 5 वर्ष की इतनी छोटी उम्र में भी वे आध्यात्मिक साधना में लीन रहते थे। उनके पिता अकसर हर किशन जी के बड़े भाई राम राय और उनकी कठीन से कठीन परीक्षा लेते रहते थे। जब हर किशन जी गुरुबाणी पाठ कर रहे होते तो वे उन्हें सुई चुभाते, किंतु बाल हर किशन जी गुरुबाणी में ही रमे रहते।
 
पिता गुरु हरि राय जी ने गुरु हर किशन को हर तरह से योग्य मानते हुए सन् 1661 में गुरुगद्दी सौंपी। उस समय उनकी आयु मात्र 5 वर्ष की थी। इसीलिए उन्हें बाल गुरु भी कहा गया है। गुरु हर किशन जी ने अपने जीवन काल में मात्र 3 वर्ष तक ही सिखों का नेतृत्व किया।
 
गुरु हर किशन जी ने बहुत ही कम समय में जनता के साथ मित्रतापूर्ण व्यवहार करके लोकप्रियता हासिल की थी। उन्होंने ऊंच-नीच और जाति का भेदभाव मिटाकर सेवा अभियान चलाया, लोग उनकी मानवता की इस सेवा से बहुत प्रभावित हुए और उन्हें बाला पीर कहकर पुकारने लगे।
 
दिल्ली में कई ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं। जिसमें गुरुद्वारा बंगला साहिब का महत्व अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की तरह है। कहा जाता है कि सिख धर्म के आठवें गुरु, गुरु हर किशन जी महाराज ने यहां विश्राम किया था। तब यह राजा जय सिंह का बंगला हुआ करता था। 
 
उस समय दिल्ली में चेचक की बीमारी फैली हुई थी। गुरु हर किशन महाराज ने सभी पीड़ितों का इलाज किया। तब उन्हें भी छोटी माता के अचानक प्रकोप ने कई दिनों तक बिस्तर से बांधे रखा, जिसकी चपेट में आने से इनकी मृत्यु हो गई थी।

अपने उत्तराधिकारी को नाम लेने के लिए कहने पर उन्होंने केवल बाबा बकाला यानि गुरु तेगबहादुर साहिब का नाम लिया। गुरु हर किशन जी का जीवन काल केवल 8 वर्ष का ही था। सन् 1664 ई. में सिर्फ 8 वर्ष की उम्र में चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी (चौदस) के दिन 'वाहेगुरु' शबद् का उच्चारण करते हुए गुरु हर किशन जी ज्योति-जोत में समा गए। और वे बाला पीर के नाम से प्रसिद्ध हुए।

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

Surya Grahan 2024: दूसरा सूर्य ग्रहण कब है और कहां यह दिखाई देगा?