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27 अगस्त : अमृतसर के हरमंदिर साहिब में गुरुग्रंथ साहिब की स्थापना, जानिए 5 खास बातें

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शुक्रवार, 27 अगस्त 2021 (10:52 IST)
कहते हैं कि 27 अगस्त 1604 में अमृतसर के हरमंदिर साहिब में गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतिस्थापना की गई थी। आओ जानते हैं इस संबंध में खास 5 बातें। हालांकि कुछ जगहों पर यह भी उल्लेख मिलता है कि ग्रंथ साहिब की स्थापना 16 अगस्त को हुई थी।
 
 
1. स्वर्ण मंदिर : अमृतसर में स्थित गुरुद्वारा को हरमंदिर साहिब के अलावा स्वर्ण मंदिर और दरबार साहिब भी कहा जाता है। मंदिर के बाहरी परत पर चढ़े हुए सोने की चादर की वजह से इसे गोल्डन टेम्पल भी कहते हैं। इस मंदिर में हमेशा जपुजी या गुरुग्रंथ साहिब का पाठ चलता ही रहता है।
 
2. गुरुग्रंथ साहिब में हैं संतों की वाणी : इस पवित्र ग्रंथ में संत जयदेव, परमानंद, कबीर, रविदास, नामदेव, सघना, शेख फरीद और धन्ना आदि की भी वाणियां संकलित की गई हैं।
 
3. सरल भाषा : इस ग्रंथ की भाषा बड़ी ही सरल, सुबोध, सटीक और जन-समुदाय को आकर्षित करने वाली है। हालांकि गुरुग्रंथ साहिब में भाषा की विविधता है।
 
4. आदिग्रंथ : इसे आदिग्रंथ भी कहते हैं जिसमें प्रथम 5 गुरुओं के अतिरिक्त उनके 9वें गुरु ओर 14 'भगतों' की बनियां भी आती हैं। 5वें गुरु साहिब अर्जुनदेवजी ने आदिगुरु नानकदेव की वाणी से लेकर अपनी निज की बानी तक का संग्रह करवाकर भाई गुरुदास के द्वारा इसे गुरुमुखी लिपि में लिखवाया था।
 
5. ग्रंथ के भाग : ग्रंथ साहिब की प्रथम 5 रचनाएं क्रमश: 1. जपुनीसाणु (जपुजी), 2. सोदरू महला1, 3. सुणिबड़ा महला1, 4. सो पुरषु, महला4 और 5. सोहिला महला1 के नामों से जानी जाती हैं और इनके अनंतर सिरीराग आदि 31 रागों में विभक्त पद आते हैं।

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