भगवान श्रीकृष्ण का रूप अनोखा है। वे अपने शरीर पर कई तरह की वस्तुएं धारण करते थे, जो कि शुभ प्रतीक होते हैं। हर वस्तुओं के धारण करके के पीछे कुछ ना कुछ कारण होता था, या उसे धारण करने के पीछे कोई ना कोई कथा जुड़ी हुई है।
1. बांसुरी : बांसुरी के संबंध में कहा जाता है कि बांसुरी बेचने वाले धनवा नाम के एक बांसुरी बेचने वाले से उन्होंने यह बांसुरी ली थी। अन्य कथाओं के अनुसार यह बांसुरी उन्हें भगवान शिव ने तब भेंट में दी थी जब वे बालकृष्ण को देखने आए थे।
2. मोर मुकुट : भगवान श्रीकृष्ण मोर पंक्ष को अपने मुकुट में लगाते हैं। कहते हैं कि महारास लीला के समय राधा ने देखा कि एक मोर का पंख उनके आंगन में गिरा है तो उन्होंने यह पंख उठाकर श्रीकृष्ण के सिर पर बांध दिया था। कहते हैं कि मथुरा जाने से पहले श्रीकृष्ण ने राधा को वह बांसुरी भेंट कर दी थी और राधा ने भी निशानी के तौर पर उन्हें अपने आंगन में गिरा मोर पंख उनके सिर पर बांध दिया था।
3. वैजयंती माला : वैजयंती के फूल और माला अति शुभ और पवित्र है। श्रीकृष्ण को यह माला अत्यन्त प्रिय है। भगवान श्रीकृष्ण हमेशा अपने गले में इसे धारण करते थे। इसके संबंध में दो कथाएं प्रचलित हैं। पहली तो यह कि कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने जब पहली बार राधा और उनकी सखियों के साथ रासलीला खेली थी, तब राधा ने उन्हें वैजयंती माला पहनाई थी। दूसरी यह कि मथुरा में कुब्जा नामक एक महिला उनके लिए अंगराग और वैजयंती माला बनाकर उन्हें देती थी। परंतु पहली वाली कथा ज्यादा प्रमाणिक है।
4. पीतांबर वस्त्र : भगवान श्रीकृष्ण को पीतांबरधारी भी कहा जाता है क्योंकि वह पीतांबर वस्त्र पहनते हैं। पीतांबर अर्थात पीले रंग का वस्त्र। उन्हें यह वस्त्र पसंद थे इसीलिए वे यह वस्त्र पहनते थे। वस्त्र व आभूषणों में धौति, उत्तरीय, कमरबंध, बाजूबंध, मणिबंध आदि धारण करते थे।
5. सुदर्शन चक्र : भगवान श्रीकृष्ण को चक्रधारी भी कहते हैं। महाभारत काल में मात्र उन्हीं के पास चक्र था जिसे सुदर्शन चक्र कहते हैं। कहते हैं कि यह चक्र उन्हें भगवान परशुराम से मिला था। हालांकि वे तो स्वयंव विष्णु ही है।
6. चंदन : चंदन मुख्यत: कई प्रकार के होते हैं- हरि चंदन, गोपी चंदन, सफेद चंदन, लाल चंदन, गोमती और गोकुल चंदन। श्रीकृष्ण माथे पर सदैव चंदन का तिलक धारण करते थे।
7. पाञ्चजन्य शंख : महाभारत में लगभग सभी योद्धाओं के पास शंख होते थे। उनमें से कुछ योद्धाओं के पास तो चमत्कारिक शंख होते थे, जैसे भगवान कृष्ण के पास पाञ्चजन्य शंख था जिसकी ध्वनि कई किलोमीटर तक पहुंच जाती थी। यह शंख उन्हें तब मिला था जब वे अपने गुरु सांदिपनी के पुत्र पुनरदत्त को ढूंढने के लिए समुद्र के भीतर दैत्यनगरी चले गए थे। वहां उन्होंने देखा कि एक शंख में दैत्य सोया है। उन्होंने दैत्य को मारकर शंख को अपने पास रखा और फिर जब उन्हें पता चला कि उनका गुरु पुत्र तो यमपुरी चला गया है तो वे भी यमपुरी चले गए। वहां यमदूतों ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया तब उन्होंने शंख का नाद किया जिसके चलते यमलोक हिलने लगा। तब यमराज ने खुद आकर उन्हें पुरदत्त की आत्मा को सौंप दिया था। यह शंख गुलाबी रंग का था।
8. मणि : स्यमंतक मणि के कारण भगवान श्रीकृष्ण को चोरी का आरोप झेलना पड़ा था। कहते हैं कि वह मणि जामवंतजी के पास थी। जामवंती जी से लाकर उन्होंने अक्रूरजी को दे दी थी। हालांकि श्रीकृष्ण के मुकुट में कई मणियां जड़ी होती थीं। भगवान विष्णु कौस्तुभ मणि धारण करते हैं। लेकिन श्रीकृष्ण इन सभी मणियों को छोड़कर दूसरी ही मणि धारण करते थे।
9. पैंजनिया : पांवों की पायल।
10. शारंग धनुष : भगवान श्रीकृष्ण सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर भी थे। श्रीकृष्ण के धनुष का नाम 'शारंग' था। कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का यह धनुष सींग से बना हुआ था। हालांकि कुछ मानते हैं कि यह वही सारंग है जिसे कण्व की तपस्यास्थली के बांस से बनाया गया था। कुछ मानते हैं कि यह धनुष उन्हें खांडव-दहन के दौरान वरुणदेव ने दिया था।
11. गदा : कौमौदकी नाम की गदा धारण करते हैं।
12. खड्ग : भगवान श्रीकृष्ण नंदक नाम का खड्ग धारण करते हैं।
इसके अलावा श्रीकृष्ण श्रीकृष्ण के रथ का नाम जैत्र था और उनके सारथी का नाम दारुक/ बाहुक था। उनके घोड़ों (अश्वों) के नाम थे शैव्य, सुग्रीव, मेघपुष्प और बलाहक। उन्हें गाय, गाय, तुलसी, माखन मिश्री, पीपल, पंजरी और अपने भक्त पसंद हैं।