Shravan maas 2022: आषाढ़ माह चल रहा है। आषाढ़ के बाद सावन का माह प्रारंभ होगा। आओ जानते हैं कि कब से प्रारंभ हो रहा है श्रावण माह और इस माह में कब से प्रारंभ होगी कावड़ यात्रा। कावड़ यात्रा के नियम भी जान लें।
कब से प्रारंभ हो रहा है श्रावण माह : 13 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के बाद 14 जुलाई से श्रावण यानी सावन माह के कृष्ण पक्ष की शुरुआत होगी। यह माह 12 अगस्त तक चलेगा। 14 जुलाई से ही कई जगहों पर कावण यात्रा प्रारंभ हो जाएगी लेकिन विधिवत रूप से श्रावण के पहले सोमवार यानी 18 जुलाई से प्रारंभ होगी।
कावड़ यात्रा के नियम (Rules of Kavad Yatra) :
1. भक्तिवश ही करें यात्रा : यदि आप कावड़ यात्रा में शामिल हो रहे हैं तो आपको यह जाना चाहिए कि क्यों शामिल हो रहे हैं? जिज्ञासावश, रोमांच के लिए या सच में ही आप शिवजी की भक्ति करना चाहते हैं। क्योंकि कावड़ यात्रा के सख्त नियम होते हैं जिनका पालन करना जरूरी है। अन्यथा यात्रा मान्य नहीं होती है। यात्रा में कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है अत: इसके लिए कावड़ियों को तैयार रहना चाहिए।
2. नशा न करें : कावड़ यात्रा के दौरान किसी भी तरह का नशा करना वर्जित माना गया है। जैसे चरस, गांजा, शराब आदि।
3. मांसहारी भोजन न करें : कावड़ यात्रा के दौरान किसी भी तरह का मांसहारी भोजन करने की भी मनाही है'
4. भूमि पर न रखें कावड़ : कावड़ यात्रा के दौरान यदि कहीं पर रुकना हो तो कावड़ को भूमि पर या किसी चबूतरे पर नहीं रखते है। उसे किसी स्टैंड या पेड़ की डाली पर लटकाकर रखते हैं। लकड़ी के पाट पर भी रख सकते हैं। यदि भूलवश भी भूमि पर रख दिया तो फिर से कावड़ में जल भरना होता है।
5. कावड़ में हो नदी का ही जल : कावड़ में बहती हुई पवित्र नदी का जल ही भरा जाता है, कुंवे या तालाब का नहीं।
6. पैदल ही करें यात्रा : कावड़ यात्रा पैदल ही पूरी करना होती है। यात्रा प्रारंभ करने से पूर्ण होने तक का सफर पैदल ही तय किया जाता है। इसके पूर्व व पश्चात का सफर वाहन आदि से किया जा सकता है।
7. लंबी दूरी की यात्रा न करें : पहली बार यात्रा कर रहे हैं तो पहले वर्ष छोटी दूरी की यात्रा करते हैं फिर क्षमता अनुसार बड़ी दूरी की।
8. जत्थे के साथ ही रहें : कावड़ियों को एक दूसरे की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए लाइन बनाकर ही चलना चाहिए और जत्थे के साथ ही रहना चाहिए।
9. प्रमुख यात्रा : यात्रा की शुरुआत अपने शहर के करीब की किसी नदी से जल लेकर शहर या आसपास के प्रमुख शिवमंदिर तक की जाती है। इसके अलावा निम्निलिखित प्रमुख यात्राएं भी हैं।
* नर्मदा से महाकाल तक
* गंगाजी से नीलकंठ महादेव तक
* गंगा से बैजनाथ धाम (बिहार) तक
* गोदावरी से त्र्यम्बकेशवर तक
* गंगाजी से केदारेश्वर तक
इन स्थानों के अतिरिक्त असंख्य यात्राएं स्थानीय स्तर से प्राचीन समय से की जाती रही हैं।
10. सेहत का रखें ध्यान : यात्रा के दौरान सेहत का ध्यान रखना जरूरी होता है अत: अपनी क्षमता अनुसार ही यात्रा में शामिल हों और खानपान पर विशेष ध्यान रखें। पीने के लिए शुद्ध जल का ही उपयोग करें। उचित जगह रुककर आराम भी करें।