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सर्वपितृ अमावस्या पर पीपल, तुलसी और बिल्वपत्र सहित कौन से पौधे को पानी देना चाहिए

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रविवार, 25 सितम्बर 2022 (11:23 IST)
सर्वपितृ अमावस्या पर तर्पण, पिंडदान, पितृ पूजन के साथ ही वृक्षों के पूजा का भी महत्व है। 25 सितंबर 2022, रविवार को सर्व पितृ अमावस्या है। इस दिन यदि आप यथाशक्ति दान, ब्राह्मण भोज, तर्पण या पिंडदान आदि कोई भी श्राद्ध कर्म करने में अक्षम हैं तो आप इन वर्षों को जल अर्पित करके इनकी पूजा से भी पितरों को तृप्त कर सकते हैं।
 
1. पीपल का वृक्ष- Peepal tree : पीपल का वृक्ष बहुत पवित्र है। एक ओर इसमें जहां विष्णु का निवास है वहीं यह वृक्ष रूप में पितृदेव है। पितृ पक्ष में इसकी उपासना करना या इसे लगाना विशेष शुभ होता है। पीपल के वृक्ष के नीचे पितरों के निमित्त मिष्ठान, शुद्ध पीने के जल की मटकी रखकर धूप, दीपक जलाएं।
 
2. बरगद का वृक्ष- Banyan tree : बरगद के वृक्ष में साक्षात शिव निवास करते हैं। अगर ऐसा लगता है कि पितरों की मुक्ति नहीं हुई है तो बरगद के नीचे बैठकर शिव जी की पूजा करनी चाहिए। पूजा नहीं कर सकते हैं तो कम से कम बरगद देव को जल अर्पित करें और यहां पर धूप दीप जलाएं। 
3. बेल का वृक्ष- Bilberry tree : यदि पितृ पक्ष में शिवजी को अत्यंत प्रिय बेल का वृक्ष लगाया जाय तो अतृप्त आत्मा को शान्ति मिलती है। अमावस्या के दिन शिव जी को बेल पत्र और गंगाजल अर्पित करने से सभी पितरों को मुक्ति मिलती है।
 
4. तुलसी- Basil lant : पितरों के निमित्त तुलसी को जल अर्पित करने से श्रीहरि विष्णु प्रसन्न होते हैं।
 
5. शमी का वृक्ष- Tree of Shami : शमी के वृक्ष में साक्षात शनिदेव वास करते हैं।  प्रदोषकाल में शमी वृक्ष के समीप जाकर पहले उसे प्रणाम करें फिर उसकी जड़ में शुद्ध जल अर्पित करें। इसके बाद वृक्ष के सम्मुख दीपक प्रज्वलित कर उसकी विधिवत रूप से पूजा करें। इससे सभी तरह के दोष समाप्त हो जाएंगे।
 
6. अशोक का वृक्ष- Ashoka tree : अशोक का वृक्ष सभी तरह के शोक को दूर करता है। 
 
7. केला का पेड़- Banana tree : केल के वृक्ष की भी पूजा करना चाहिए। केल के पौधे की जड़ में प्रतिदिन जल अर्पित करें। इसे सभी तरह के पितृदोष दूर हो जाते हैं, क्योंकि केले के पेड़ में साक्षात विष्णु और लक्ष्मी का वास होता है।

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