Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

Shradh paksha 2024: पितृ पक्ष में किस तिथि को रहेगा किसका श्राद्ध?

Shradh paksha  AI

WD Feature Desk

, गुरुवार, 12 सितम्बर 2024 (17:10 IST)
Shradh paksha AI
Shradh paksha 2024: पितृ पक्ष 16 दिनों का होता है इसलिए इसे सोलह श्राद्ध कहते हैं। पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक 16 श्राद्ध यानी सोलह तिथियां होती हैं। प्रत्येक तिथि का अलग अलग महत्व है। किस किसी के भी पितर या पूर्व की जिस तिथि पर निधन हुआ है उसी तिथि पर श्राद्ध कर्म तर्पण पिंडदान आदि करना चाहिए। यदि तिथि नहीं पता हो तो सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध करें। इसके अलावा प्रत्येक तिथि पर श्राद्ध करने के महत्व और नियम को जानें।ALSO READ: श्राद्ध पक्ष कब से प्रारंभ हो रहे हैं और कब है सर्वपितृ अमावस्या?
 
1. पूर्णिमा श्राद्ध : पूर्णिमा को जिनका निधन हुआ है तो उनका श्राद्ध अष्टमी, द्वादशी या सर्वपितृ अमावस्या को भी किया जा सकता है। इसे प्रोष्ठपदी पूर्णिमा कहा जाता है।
 
2. प्रतिपदा का श्राद्ध : यदि उनका कोई पुत्र न हो तो प्रतिपदा को नाना का श्राद्ध किया जाता है।
 
3. द्वितीया श्राद्ध : जिन लोगों की जिस भी तिथि को मृत्य हुई हो उसका श्राद्ध आश्विन कृष्णपक्ष की उसी तिथि पर किया जाता है।
 
4. तृतीया श्राद्ध : जिन लोगों की जिस भी तिथि को मृत्य हुई हो उसका श्राद्ध आश्विन कृष्णपक्ष की उसी तिथि पर किया जाता है।
 
5. चतुर्थी श्राद्ध : चतुर्थी या पंचमी तिथि में उनका श्राद्ध किया जाता है जिसकी मृत्यु गतवर्ष हुई है।
 
6. पंचमी श्राद्ध : चतुर्थी या पंचमी तिथि में उनका श्राद्ध किया जाता है जिसकी मृत्यु गतवर्ष हुई है।
 
7. षष्ठी श्राद्ध : जिन लोगों की जिस भी तिथि को मृत्य हुई हो उसका श्राद्ध आश्विन कृष्णपक्ष की उसी तिथि पर किया जाता है।
 
8. सप्तमी श्राद्ध : जिन लोगों की जिस भी तिथि को मृत्य हुई हो उसका श्राद्ध आश्विन कृष्णपक्ष की उसी तिथि पर किया जाता है।
 
9. अष्टमी श्राद्ध : जिन लोगों की जिस भी तिथि को मृत्य हुई हो उसका श्राद्ध आश्विन कृष्णपक्ष की उसी तिथि पर किया जाता है।
 
10. नवमी श्राद्ध : सौभाग्यवती स्त्री, माता या जिन महिलाओं की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है उनका नवमी तिथि को श्राद्ध किया जाता है। इसे अविधवा और मातृ नवमी भी कहा गया है।
 
11. दशमी श्राद्ध : जिन लोगों की जिस भी तिथि को मृत्य हुई हो उसका श्राद्ध आश्विन कृष्णपक्ष की उसी तिथि पर किया जाता है।
 
12. एकादशी श्राद्ध : एकादशी तिथि को संन्यास लेने वाले या संन्यासियों का श्राद्ध किया जाता है।
 
13. द्वादशी श्राद्ध : जिन लोगों की जिस भी तिथि को मृत्य हुई हो उसका श्राद्ध आश्विन कृष्णपक्ष की उसी तिथि पर किया जाता है।
 
14. त्रयोदशी श्राद्ध : जिन बच्चों की जिस तिथि में मृत्यु हुई हो उस तिथि के अलावा त्रयोदशी तिथि को बच्चों का श्राद्ध किया जाता है।
 
15. चतुर्दशी श्राद्ध : जिनकी किसी दुर्घटना में, जल में डूबने, शस्त्रों के आघात या विषपान करने से हुई हो, उनका चतुर्दशी की तिथि में भी श्राद्ध किया जाना चाहिए।
 
16. सर्वपितृ अमावस्या : जिनका इस तिथि को निधन हुआ है या जिनकी तिथि ज्ञात नहीं है उनका श्राद्ध इस दिन करते हैं। सर्वपितृ अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध करने की परंपरा है। इसे पितृविसर्जनी अमावस्या, महालय समापन आदि नामों से जाना जाता है।
 
नोट : इसके अलावा बच गई तिथियों को उनका श्राद्ध करें जिनका उक्त तिथि (कृष्ण या शुक्ल) को निधन हुआ है। जैसे द्वि‍तीया, तृतीया, चतुर्थी, षष्ठी, सप्तमी और दशमी। पितृ पक्ष के दौरान आने वाले भरणी नक्षत्र में किए जाने वाले श्राद्ध को महाभरणी श्राद्ध कहते हैं। भरणी नक्षत्र के स्वामी यमराज हैं, इसलिए इस दिन किए गए श्राद्ध को बहुत खास माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन किए गए श्राद्ध से पितरों को तीर्थ श्राद्ध का फल मिलता है।
ALSO READ: Shradh paksha 2024: श्राद्ध पक्ष आ रहा है, जानिए कुंडली में पितृदोष की पहचान करके कैसे करें इसका उपाय

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

Jain Festival 2024: 13 सितंबर को जैन समाज का धूप/सुगंध दशमी पर्व, जानें महत्व और आकर्षण