Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

आत्मा और पितरों के बारे में क्या कहती है गीता, 10 बातें

Webdunia
बुधवार, 14 सितम्बर 2022 (16:13 IST)
कहते हैं कि जब भी कोई व्यक्ति मर रहा हो तो उसे गीता के 2रे और 7वें अध्याय का पाठ सुनाना चाहिए। इससे उस व्यक्ति में आत्मबल की प्राप्ति होती है और वह निडर हो जाता है। गीता में पितृ और आत्मा के बारे में कई सारी बता बताई गई है। आओ जानते हैं प्रमुख 10 बातें।
 
आत्मा एवं पितृ क्या है | Atma an pitar kya hai
 
1. आत्मा अविकारी है। अर्थात जिसमें विकार नहीं है। जैसे पानी में दूध या जहर मिलाने से उसमें विकार उत्पन्न हो जाता है। लेकिन आत्मा में किसी भी को भी नहीं मिलाया जा सकता और न आत्मा किसी में मिलती है।
 
2. आत्मा को न काटा जा सकता है, न जलाया जा सकता है, न दफनाया जा सकता, न डूबोया जा सकता है। आत्मा अविनाशी, अविचल, अजर और अमर है।
 
3. आत्मा का न आदि है और न अंत वह अनादि और अनंत है। वह न जन्म लेता है और न मरता है। पुराने शरीर को त्याग कर नया शरीर धारण करता है।
 
4. शरीर त्यागने पर यही आत्मा भूतात्मा, जीवात्मा या सूक्षात्मा कहलाती है।
 
5. भूतात्मा को पितर भी कहते हैं। मरने के बाद आत्मा की कर्म गति के अनुसार उसे ब्रह्मलोक, देवलोक, पितृलोक या नर्कलोक में जाना पड़ता है।
6. श्रीकृष्ण कहते हैं कि देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं और मेरा (परमेश्वर का) पूजन करने वाले भक्त मुझको (परमेश्वर को) ही प्राप्त होते हैं इसीलिए मेरे भक्तों का पुनर्जन्म नहीं होता॥
 
7. पितृलोक में भी पुण्‍यात्मा ही पहुंचती है जहां वह अपने पितरों के साथ सुखपूर्वक समय बिताकर पुन: जन्म लेती है।
 
8. शुक्ल और कृष्ण अर्थात देवयान और पितृयान मार्ग सनातन माने गए हैं। इनमें एक द्वारा गया हुआ (अर्थात इसी अध्याय के श्लोक 24 के अनुसार अर्चिमार्ग से गया हुआ योगी।)- जिससे वापस नहीं लौटना पड़ता, उस परमगति को प्राप्त होता है और दूसरे के द्वारा गया हुआ (अर्थात इसी अध्याय के श्लोक 25 के अनुसार धूममार्ग से गया हुआ सकाम कर्मयोगी।) फिर वापस आता है अर्थात्‌ जन्म-मृत्यु को प्राप्त होता है॥26॥-गीता
 
शुक्ल कृष्णे गती ह्येते जगतः शाश्वते मते ।
एकया यात्यनावृत्ति मन्ययावर्तते पुनः ॥- गीता
 
9. भागवत गीता के पाठ से भी पितृ दोष से मुक्ति पाई जा सकती है। पितरों के निमित्त पढ़े गए गीता पाठ से पितरों को मुक्ति मिलती है। श्राद्ध पक्ष में गीता के सातवें अध्याय का पाठ किया जाता है। इस अध्याय का नाम है ज्ञानविज्ञान योग। 
 
10. अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम् .
पितृणामर्यमा चास्मि यमः संयमतामहम् ॥29॥
 
इस श्लोक का अर्थ है कि हे धनंजय! संसार के विभिन्न नागों में मैं शेषनाग और जलचरों में वरुण हूं, पितरों में अर्यमा तथा नियमन करने वालों में यमराज हूं।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Weekly Horoscope: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा सप्ताह, पढ़ें साप्ताहिक राशिफल (18 से 24 नवंबर)

Mokshada ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी कब है, क्या है श्रीकृष्‍ण पूजा का शुभ मुहूर्त?

Shani Margi: शनि का कुंभ राशि में मार्गी भ्रमण, 3 राशियां हो जाएं सतर्क

विवाह पंचमी कब है? क्या है इस दिन का महत्व और कथा

उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा?

सभी देखें

धर्म संसार

22 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

22 नवंबर 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

Prayagraj Mahakumbh : 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइटों से संवारा जा रहा महाकुंभ क्षेत्र

Kanya Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: कन्या राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

विवाह में आ रही अड़चन, तो आज ही धारण करें ये शुभ रत्न, चट मंगनी पट ब्याह के बनेंगे योग

આગળનો લેખ
Show comments