Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

सर्वपितृ अमावस्या के 10 राज, जानिए यहां

अनिरुद्ध जोशी
शनिवार, 2 अक्टूबर 2021 (11:44 IST)
इस बार पितृ पक्ष ( Pitru Paksha 2021 Start Date) 20 सितंबर 2021, सोमवार को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आरंभ हो गए हैं। पितृ पक्ष का समापन 6 अक्टूबर 2021, बुधवार को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि अर्थात सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या ( sarva pitru moksha amavasya 2021 ) को होगा। आओ जानते हैं सर्वपितृ अमावस्या के 10 राज।
 
 
1. सर्वपितृ अमावस्या पितरों को विदा करने की अंतिम तिथि होती है। 15 दिन तक पितृ घर में विराजते हैं और हम उनकी सेवा करते हैं फिर उनकी विदाई का समय आता है।
 
2. इस अमावस्या को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या, पितृविसर्जनी अमावस्या, महालय समापन और महालय विसर्जन भी कहते हैं।
 
3. कहते हैं कि जो नहीं आ पाते हैं या जिन्हें हम नहीं जानते हैं उन भूले-बिसरे पितरों का भी इसी दिन श्राद्ध करते हैं। अत: इस दिन श्राद्ध जरूर करना चाहिए।
 
4. अगर कोई श्राद्ध तिथि में किसी कारण से श्राद्ध न कर पाया हो या फिर श्राद्ध की तिथि मालूम न हो तो सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या पर श्राद्ध किया जा सकता है। मान्यता है कि इस दिन सभी पितर आपके द्वार पर उपस्थित हो जाते हैं।
 
5. सर्वपितृ अमावस्या पर पितृ सूक्तम् पाठ, रुचि कृत पितृ स्तोत्र, पितृ गायत्री पाठ, पितृ कवच पाठ, पितृ देव चालीसा और आरती, गीता पाठ और गरुढ़ पुराण का पाठ करने का अत्यधिक महत्व है। 
 
6. श्राद्ध आप घर में, किसी पवित्र नदी या समुद्र तट पर, तीर्थ क्षेत्र या वट-वृक्ष के नीचे, गौशाला, पवित्र पर्वत शिखर और सार्वजनिक पवित्र भूमि पर दक्षिण में मुख करके श्राद्ध किया जा सकता है।
 
7. शास्त्र कहते हैं कि "पुन्नामनरकात् त्रायते इति पुत्रः" जो नरक से त्राण (रक्षा) करता है वही पुत्र है। इस दिन किया गया श्राद्ध पुत्र को पितृदोषों से मुक्ति दिलाता है।
 
8. शास्त्रों के अनुसार कुतुप, रोहिणी और अभिजीत काल में श्राद्ध करना चाहिए। प्रात:काल देवताओं का पूजन और मध्याह्न में पितरों का, जिसे 'कुतुप काल' कहते हैं।
 
9. इस दिन गृह कलह करना, शराब पीना, चरखा, मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तील, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसो का साग, चना आदि वर्जित माना गया है।
 
10. सर्वपितृ अमावस्या पर तर्पण, पिंडदान और ऋषि, देव एवं पितृ पूजन के बाद पंचबलि कर्म करके 16 ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dhanteras 2024: अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस पर कितने, कहां और किस दिशा में जलाएं दीपक?

क्या है मुंबई स्थित महालक्ष्मी मंदिर का रहस्यमयी इतिहास,समुद्र से निकली थी यहां माता की मूर्ति

धनतेरस सजावट : ऐसे करें घर को इन खूबसूरत चीजों से डेकोरेट, आयेगी फेस्टिवल वाली फीलिंग

दिवाली पर मां लक्ष्मी को बुलाने के लिए करें ये 5 उपाय, पूरे साल रहेगी माता लक्ष्मी की कृपा

दिवाली से पहले घर से हटा दें ये पांच चीजें, तभी होगा मां लक्ष्मी का आगमन

सभी देखें

धर्म संसार

दीपावली पार्टी में दमकेंगी आपकी आंखें, इस फेस्टिव सीजन ट्राई करें ये आई मेकअप टिप्स

Diwali Date Muhurat 2024: दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के लिए प्रदोष काल और निशीथ काल मुहूर्त कब से कब तक रहेगा?

diwali food : Crispy चकली कैसे बनाएं, पढ़ें दिवाली रेसिपी में

फेस्टिवल ग्लो के लिए आसान घरेलू उपाय, दीपावली पर दें त्वचा को इंस्टेंट रिफ्रेशिंग लुक

Chhath puja date: छठ पूजा का महापर्व कब है, क्या है सूर्योदय और सूर्यास्त का समय?

આગળનો લેખ
Show comments