4 मार्च को महाशिवरात्रि है। महाशिवरात्रि पर्व में भूतभावन चंद्रमौलिश्वर भगवान शिव का अभिषेक-पूजन करना श्रेयस्कर माना गया है। इस दिन भक्तगण भगवान शिव का दुग्धाभिषेक, रसाभिषेक व जलाभिषेक कर पुण्य प्राप्त करते हैं।
शास्त्रानुसार प्रतिवर्ष फ़ाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है किंतु इस वर्ष महाशिवरात्रि कुछ अति-महत्त्वपूर्ण व दुर्लभ संयोगों में मनाई जाएगी। यह दुर्लभ संयोग कई वर्षों बाद बनते हैं।
वर्ष 2019 संवत 2075 में शिवरात्रि के दिन सोमवार होने के साथ-साथ त्रयोदशी व चतुर्दशी का संयोग बन रहा है। कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को 'प्रदोष' होता है। 4 मार्च को उदयकालीन तिथि त्रयोदशी एवं रात्रिकालीन तिथि चतुर्दशी रहेगी। चूंकि 4 मार्च को त्रयोदशी तिथि प्रदोषकाल से पूर्व ही समाप्त हो रही है इसलिए 'प्रदोष व्रत' 3 मार्च को रहेगा किंतु उदयकालीन तिथि की मान्यता के अनुसार 4 मार्च को त्रयोदशी व चतुर्दशी तिथि का संयोग रहेगा जो अत्यंत शुभ है एवं वर्षों बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बनता है।
महाशिवरात्रि पर क्या करें-
महाशिवरात्रि पर बन रहे इस शुभ व दुर्लभ संयोग में भगवान शिव का दुग्धाभिषेक, रसाभिषेक एवं जलाभिषेक करना पुण्यप्रद रहता है। जो व्यक्ति ऋण से ग्रस्त हैं उन्हें इस शुभ संयोग में शिवलिंग पर मसूर चढ़ाने से कर्ज से मुक्ति प्राप्त होने लगती है।
जो व्यक्ति आर्थिक संकटों से पीड़ित हैं उन्हें इस शुभ संयोग में भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करना लाभप्रद रहेगा। भगवान शिव का रसाभिषेक करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति मोक्ष के आकांक्षी है उन्हें महाशिवरात्रि पर बने इस शुभ संयोग में भगवान आशुतोष का गाय के दूध से दुग्धाभिषेक करना मोक्षदायक रहेगा।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
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