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1 मार्च 2022 को है भोलेनाथ का महापर्व Mahashivratri, भूलकर भी न करें 10 गलतियां

1 मार्च 2022 को है भोलेनाथ का महापर्व Mahashivratri, भूलकर भी न करें 10 गलतियां
, शनिवार, 26 फ़रवरी 2022 (15:36 IST)
Mahashivratri puja ki savdhaniya: महाशिवरात्रि 2022 पर भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व रहता है। इस दिन शिवलिंग का विशेष अभिषेक किया जाता है। इस बार बहुत ही शुभ संयोग और मुहूर्त में महाशिवरात्रि का पूजन होगा। शिवजी के पूजन में न करें भूलकर भी ये गलतियां। आओ जानते हैं कि पूजा की कौनसी है 10 सावधानियां।
 
 
 
शिव पूजा के दौरान भूलकर भी न करें ये 10 गलतियां
 
1. तुलसी पत्ता : शिवजी को तुलसी का पत्ता अर्पित नहीं किया जाता है। जलंधर नामक असुर की पत्नी वृंदा के अंश से तुलसी का जन्म हुआ था जिसे भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया है। इसलिए तुलसी से शिव जी की पूजा नहीं होती है।
 
2. फूल : भगवान शिव को केतकी, कनेर, कमल, चंपा, केवड़ा, दुपहरिका, गुड़हल, मालती, चमेली, कुन्द, जूही के फूल अर्पित नहीं करते हैं।
 
3. शंख जल : शिवजी को या शिवलिंग पर शंख में जल भरकर अर्पित नहीं करते हैं क्योंकि भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है जो भगवान विष्णु का भक्त था इसलिए विष्णु भगवान की पूजा शंख से होती है शिव की नहीं। शिवजी के समक्ष शंख भी नहीं बजाया जाता है।
 
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4. कुमकुम : यह सौभाग्य का प्रतीक है जबकि भगवान शिव वैरागी हैं इसलिए शिवजी को कुमकुम रोली नहीं चढ़ता।
 
5. नारियल : शिवजी को नारियल भी अर्पित नहीं किया जाता है, क्योंकि नारियल श्रीफल है। अर्थात वह माता लक्ष्मी का प्रतीक जो सिर्फ विष्णु जी को ही चढ़ाया जाता है। इसके और भी कई कारण हैं।
 
6. करताल : भगवान शिव के पूजन के समय करताल नहीं बजाना चाहिए। ताली बजाने भी मना है।
 
 
7. काला तिल : ताला तिल भी उन्हें अर्पित नहीं करते क्योंकि यह भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ।
 
8. टूटे हुए चावल : वैसे तो भगवान शिव को चावल अर्पित नहीं करना चाहिए लेकिन करना ही है तो टूटे हुए चावल नहीं होना चाहिए। टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है इसलिए यह शिव जी को नहीं चढ़ाया जाता है।
 
9. शिवलिंग की परिक्रमा : किसी भी शिव मंदिर में स्थित शिवलिंग की पूर्ण परिक्रमा नहीं की जाती है। शिवलिंग की आधी परिक्रम ही करते हैं।
 
 
10. लाल चंदन : शिवजी को सफेद और पीला चंदन अर्पित करते हैं लाल नहीं। लाल चंदन सौभाग्य का प्रतीक है।

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