Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

पहली बार शिर्डी आकर साईं बाबा कहां चले गए थे?

अनिरुद्ध जोशी
पहली बार शिर्डी आकर बाबा शिर्डी से पंचवटी गोदावरी के तट पर पहुंच गए थे, जहां उन्होंने ध्यान-तप किया। यहां बाबा की मुलाकात ब्रह्मानंद सरस्वती से हुई। बाबा ने उन्हें आशीर्वाद दिया। पंचवटी के बाद बाबा शेगांव जा पहुंचे, जहां वे गजानन महाराज से मिले। वहां कुछ दिन रुकने के बाद बाबा देवगिरि के जनार्दन स्वामी की कुटिया पर पहुंचे। वहां से वे बिडर (बीड़) पहुंचे। वहां से फिर वे हसनाबाद गए जिसे पहले माणिक्यापुर कहा जाता था। माणिक प्रभु इस क्षेत्र के महान संत थे।
 
 
माणिक प्रभु के पास बाबा पहुंचे तो माणिक प्रभु ने उन्हें गौर से देखा और फिर खड़े होकर गले लगा लिया। माणिक प्रभु के पास एक चमत्कारिक मग था जिसे आज तक कोई किसी भी वस्तु से भर नहीं सका था। कितने ही सिक्के डालो, मग खाली का खाली रहता था। बाबा ने कुछ खजूर और फूल उसमें डाले और मग भरा गया।
 
 
 
फिर बाबा वहां से बीजापुर होते हुए नरसोबा की वाडी पहुंच गए। यहां दत्त अवतार नृसिंह सरस्वती के चरण पादुका के दर्शन किए। यहीं कृष्णा नदी के किनारे एक युवा को तपस्या करते देखा तो उसे आशीर्वाद दिया और कहा कि तुम बड़े संत बनोगे। यही युवक आगे चलकर वासुदेवानंद सरस्वती के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उन्होंने ही मराठी में 'गुरु चरित्र' लिखा था।
 
 
इसके पश्चात बाबा सज्जनगढ़ पहुंच गए, जहां समर्थ रामदास की चरण पादुका के दर्शन किए। इसके बाद बाबा सूफी फकीरों की दरगाह, हिन्दू संतों की समाधि पर जाते हाजिरी लगाते रहे। बाद में बाबा अहमदाबाद पहुंच गए, जहां सुहागशाह बाबा की दरगाह पर कुछ दिन रहे। मुसलमानों ने उन्हें एक कपड़ा दिया जिससे कि वे नमाज अदा करते वक्त सिर पर बांध सकें।
 
 
बाबा अहमदाबाद से भगवान कृष्ण की नगरी द्वारिका जा पहुंचे। यहीं उन्होंने तय किया कि शिर्डी में वे अपने निवास का नाम 'द्वारिकामाई' रखेंगे। द्वारिका से बाबा प्रभाष क्षे‍त्र गए, जहां भगवान कृष्ण ने अपनी देह छोड़ दी थी।
 
 
#
औरंगाबाद के करीब 10 किलोमीटर दूर दो गांव हैं- सिन्धू और बिंदु। बिंदु ग्राम के 2 किलोमीटर पहले 2 छोटी-बड़ी आमने-सामने टेकरियां हैं। उसमें से एक टेकरी पर स्थित एक आम के झाड़ के नीचे लंबे प्रवास के बाद बाबा विश्राम के लिए रुके। ये दोनों ही गांव धूपखेड़ा के राजस्व अधिकारी चांद पाशा पाटिल के राजस्व उगाही के अधिकार में आते थे। उनका एक घोड़ा चरने के लिए गया था, जो पिछले 8 दिनों से नहीं मिल रहा था। धूपखेड़ा वहां से 15 किलोमीटर दूर था। चांद पाशा अपना घोड़ा खोजते हुए सिन्धू ग्राम के सड़क मार्ग से उस टेकरी पर पहुंचे। सांईं बाबा ने उन्हें देखते ही पूछा- क्या तुम अपना घोड़ा खोज रहे हो? वहां सामने की टेकरी के पीछे वह घास चर रहा है।
 
 
चांद पाशा पाटिल ने देखा कि यहां से सामने जो टेकरी है उसके पीछे का तो कुछ दिखाई नहीं दे रहा फिर ये कैसे कह सकते हैं कि वहां नीचे एक घोड़ा घास चर रहा है? उन्होंने वहां जाकर देखा तो वास्तव में वहां घोड़ा घास चर रहा था। चांद पाशा ने उसी वक्त बाबा के वहां कई चमत्कार देखे। बिंदु होते हुए बाबा सिन्धू ग्राम पहुंचे। चांद पाशा भी उनके पीछे घोड़ा लेकर चलने लगा। सिन्धू ग्राम की टेकरी पर बाबा ने कनीफनाथ के मजार के दर्शन किए, वहीं बाबा ने चांद पाशा से पूछा- प्यास लगी है? तो पाशा ने कहा- हां। बाबा ने जमीन खोदकर पानी का झरना निकाल दिया।
 
 
चांद पाशा को आश्चर्य हुआ और उन्होंने बाबा को सूफी फकीर समझकर घर चलने का निमंत्रण दिया। पाशा के निमंत्रण पर बाबा धूपखेड़ा गांव पहुंच गए। धूपखेड़ा में चांद पाशा का भव्य बंगला था, जहां भरा-पूरा परिवार और रिश्तेदार मौजूद थे। चांद पाशा की साली की शादी की तैयारियां चल रही थीं। उनके मकान के पास ही एक नीम का झाड़ था, जहां एक शिला रखी थी। बाबा वहीं जाकर बैठक गए। कहते हैं कि बाबा चांद पाशा के यहां करीब 1 माह रुके।
 
 
चांद पाशा पाटिल के साथ फिर से शिर्डी पहुंच गए बाबा। शिर्डी पहुंचने की कहानी हम पहले ही लिख चुके हैं। इसमें हमने लिखा था कि '3 माह बाद अचानक ही सांईं कहीं चले गए और 3 साल बाद चांद पाशा पाटिल (धूपखेड़ा के एक मुस्लिम जागीरदार) के साथ उनकी साली के निकाह के लिए बाराती बनकर बैलगाड़ी में बैठकर आए।'
 

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Weekly Horoscope: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा सप्ताह, पढ़ें साप्ताहिक राशिफल (18 से 24 नवंबर)

Mokshada ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी कब है, क्या है श्रीकृष्‍ण पूजा का शुभ मुहूर्त?

Shani Margi: शनि का कुंभ राशि में मार्गी भ्रमण, 3 राशियां हो जाएं सतर्क

विवाह पंचमी कब है? क्या है इस दिन का महत्व और कथा

उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा?

सभी देखें

धर्म संसार

22 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

22 नवंबर 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

Prayagraj Mahakumbh : 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइटों से संवारा जा रहा महाकुंभ क्षेत्र

Kanya Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: कन्या राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

विवाह में आ रही अड़चन, तो आज ही धारण करें ये शुभ रत्न, चट मंगनी पट ब्याह के बनेंगे योग

આગળનો લેખ
Show comments