Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

शनिचरी अमावस्या के सरल उपाय : 4 दिसंबर मार्गशीर्ष कृष्ण अमावस्या शनिवार को आजमाएं

Webdunia
शनिचरी अमावस्या:-इस वर्ष मार्गशीर्ष कृष्ण अमावस्या 4 दिसंबर शनिवार को आने से शनिचरी अमावस्या का योग बन रहा है।
 
प्रत्येक वर्ष में जब भी शनिचरी या सोमवती अमावस्या होती है हिन्दू धर्म में श्रद्धा रखने वालों में मोक्ष की कामना जाग्रत होती है क्योंकि इस शुभ दिवस पर किया गया तप,दान,धर्म आदि मनुष्य को मोक्ष प्रदान करता है।
 
सभी देवी देवता,नवग्रह व पितृगण उस पर सदैव प्रसन्न रहते हैं।शनि अमावस्या के दिन जो जातक शनि की ढैय्या, साढ़ेसाती या किसी भी ग्रह की दशा से पीड़ित होता है वह विशेष रूप से भगवान शनि की कृपा प्राप्ति हेतु दान,तप,आदि अवश्य करता है।

नवग्रह में भगवान शनि का विशेष महत्व माना गया है वे ग्रहों में प्रधान भगवान सूर्य के पुत्र व श्री राम भक्त हनुमान जी के कृपा पात्र है, वे न्याय के प्रिय देवता भी है,उनके कोप से सिर्फ वे ही लोग बच पाते हैं जो सदैव  धर्म , सत्य व कठिन परिश्रम के मार्ग का अनुसरण कर,दिन दुखी व दरिद्र लोगों की सहायता करते हैं।
 
अन्यथा बाकी लोग तो निश्चित ही कड़ा दंड पाते हैं जो झूठ,भ्रष्टाचार, व्यभिचार,नशा, चोरी,दुर्भावना से ग्रसित होते हैं।
 
भगवान शनि की दृष्टि से हर कोई बचना चाहता है क्योंकि जब शनि रुष्ट होते हैंतो व्यक्ति को अर्श से फर्श तक पहुंचने में तनिक भी समय नहीं लगता,किंतु जब शनि देव प्रसन्न होते हैं तो व्यक्ति को समाज में हर तरफ पूर्ण मान सम्मान,ऐश्वर्य, धन-संपदा,उन्नति आदि की प्राप्ति होती है, उसके सभी संकटों का हरण हो जाता है।
 
शनिचरी अमावस्या पर भगवान शनि को प्रसन्न करने के उपाय
 
प्रातः उठकर भगवान श्री गणेश का पूजन कर उन्हें दूर्वादल अर्पित करें, शनि चालीसा का पाठ करें।
 
शनि मंदिर में पीपल का पौधा लगाए व उसकी जड़ में काले तिल युक्त जल से सिंचन कर,7 परिक्रमा करें।
 
अपंग व दरिद्र व्यक्ति को उसकी आवश्यकतानुसार गरम वस्त्र,कम्बल,जूते व भोजन की सामग्री का दान करें।
 
कांसे के पात्र में तेल लेकर अपनी छाया उंसमे देखकर उसका दान करें, भगवान शनि को तिल का तेल चढ़ाएं,काले वस्त्र,काले उड़द व आक के पुष्प अर्पित करें।
 
मंदिर के बाहर किसी तीर्थ पर स्नान कर अपने पहने हुवे वस्त्र व जूते-चप्पल छोड़ दें,जिससे व्यक्ति के ऊपर की सारी पनौती उतर जाती है।
 
भगवान हनुमानजी को तेल व सिंदूर का चोला चढ़ा कर उनको 7,11,21,आंकड़े के पत्तों पर सिंदूर से श्री राम लिख कर माला बना कर चढ़ाएं व शिखर पर सिंदुरिया ध्वजा धारण करवाएं।
 
हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, शनि मंत्रों का जप,हवन,कालसर्प दोष व नवग्रह शांति करवाएं।
 
भगवान शिव का तिल के तेल से रुद्राभिषेक करें।
 
मंदिर के बाहर भिक्षुओं को इमरती व नमकीन का दान करें।
 
काले कुत्तों,कौवों व मछलियों को अन्न खिलाएं।
 
सूर्यास्त के बाद 11,21 आटे के दीपक में तेल डाल कर शनि मंदिर में लगाएं,मंदिर में किसी बड़े वृक्ष के नीचे गड्ढा खोदकर 1 सूखे नारियल में शक्कर व आटा भर कर गाड़ देने से शनि साढेसाती में तुरन्त लाभ होता है।
 
काले घोड़े को भीगे हुवे चने खिलाने से शनि की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
 
ब्राह्मण को काला छाता, कुबड़ी या छड़ी,काले वस्त्र,चमड़े के जूते,लोहे की वस्तु,खिचड़ी,तेल,मिठाई का दान करने से भगवान शनि की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dhanteras Rashifal: धनतेरस पर बन रहे 5 दुर्लभ योग, इन राशियों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा

Shopping for Diwali: दिवाली के लिए क्या क्या खरीदारी करें?

बहुत रोचक है आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति की कथा, जानिए कौन हैं भगवान धन्वंतरि?

दिवाली की रात में करें ये 7 अचूक उपाय तो हो जाएंगे मालामाल, मिलेगी माता लक्ष्मी की कृपा

Dhanteras 2024: अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस पर कितने, कहां और किस दिशा में जलाएं दीपक?

सभी देखें

धर्म संसार

27 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

27 अक्टूबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Kali chaudas 2024: नरक चतुर्दशी को क्यों कहते हैं भूत चतुर्दशी, किसकी होती है पूजा?

Bach Baras 2024: गोवत्स द्वादशी क्यों मनाते हैं, क्या कथा है?

गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव कैसे मनाया जाता है?

આગળનો લેખ
Show comments