Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

पीपल की 108 परिक्रमा लगाने के 5 फायदे

peepal tree parikrama

अनिरुद्ध जोशी

हिन्दू धर्म में परिक्रमा का बड़ा महत्त्व है। परिक्रमा से अभिप्राय है कि सामान्य स्थान, स्थान विशेष या किसी व्यक्ति के चारों ओर उसकी बाहिनी तरफ से घूमना। इसको 'प्रदक्षिणा करना' भी कहते हैं, जो षोडशोपचार पूजा का एक अंग है। प्रदक्षिणा की प्रथा अतिप्राचीन है। मंदिर, तीर्थ, देवता, नदी, वृक्ष आदि की परिक्रमा लगाने का अलग अलग महत्व है। आओ जानते हैं कि पीपल की परिक्रमा लगाने का क्या लाभ मिलता है।
 
 
1. स्कन्द पुराण में वर्णित पीपल के वृक्ष में सभी देवताओं का वास है। पीपल की छाया में ऑक्सीजन से भरपूर आरोग्यवर्धक वातावरण निर्मित होता है। इस वातावरण से वात, पित्त और कफ का शमन-नियमन होता है तथा तीनों स्थितियों का संतुलन भी बना रहता है। इसलिए पीपल की कम 108 परिक्रमा लगाने का विधान है।
 
 
2. पीपल की पूजा का प्रचलन प्राचीन काल से ही रहा है। इसके कई पुरातात्विक प्रमाण भी है। इससे मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।

 
3.अश्वत्थोपनयन व्रत के संदर्भ में महर्षि शौनक कहते हैं कि मंगल मुहूर्त में पीपल वृक्ष की नित्य 3 बार परिक्रमा करने और जल चढ़ाने पर दरिद्रता, दु:ख और दुर्भाग्य का विनाश होता है।धन समृद्धि बढ़ती है। पीपल के दर्शन-पूजन से दीर्घायु तथा समृद्धि प्राप्त होती है। अश्वत्थ व्रत अनुष्ठान से कन्या अखण्ड सौभाग्य पाती है।

 
4. शनिवार की अमावस्या को पीपल वृक्ष की पूजा और सात परिक्रमा करके काले तिल से युक्त सरसो के तेल के दीपक को जलाकर छायादान करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। अनुराधा नक्षत्र से युक्त शनिवार की अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष के पूजन से शनि पीड़ा से व्यक्ति मुक्त हो जाता है।
 
 
5. श्रावण मास में अमावस्या की समाप्ति पर पीपल वृक्ष के नीचे शनिवार के दिन हनुमान की पूजा परिक्रमा करने से सभी तरह के संकट से मुक्ति मिल जाती है।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

पवित्र शंख के जानिए 12 चमत्कारिक रहस्य...