भगवान गणेशजी को प्रथम पूज्य तब से माना जाता है जब से कि उन्होंने देवताओं की एक प्रतियोगिता में धरती के बजाय अपने माता-पिता की ही परिक्रमा करके एक आदर्श स्थापित किया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान श्री गणेश के पूर्व किसकी प्रथम रूप से पूजा होती थी?
दरअसल, हिन्दू धर्म में ब्रह्म (ईश्वर) को ही सर्वोच्च माना जाता है। सभी देवी और देवता उन्हीं की पूजा, ध्यान और अर्चना करते हैं। ईश्वर के बाद देवताओं का नंबर आता है। देवताओं में भी सबसे पहले देवों के देव महादेव को ही पूज्यनीय माना गया है। लेकिन हिन्दू धर्म में प्राचीनकाल से ही पंचदेवों की पूजा का प्रचलन रहा है। पंच देवों में सबसे पहले सूर्य की ही पूजा का प्रचलन रहा है। बाद में यह प्रचलन बदला और पंच देवों का क्रम भी बदला।
शास्त्र कहते हैं -
रविर्विनायकश्चण्डी ईशो विष्णुस्तथैव च।
अनुक्रमेण पूज्यन्ते व्युत्क्रमे तु महद् भयम्।।
अर्थात : इसका अर्थ है उपासक को पंचदेवों में सबसे पहले भगवान सूर्य उनके बाद श्री गणेश, मां दुर्गा, भगवान शंकर और भगवान विष्णु को पूजना चाहिए।
गणेशजी जल तत्व माने गए हैं अत: इनका वास जल में माना गया है। श्री विष्णु- वायु तत्व हैं, शिवजी- पृथ्वी तत्व हैं, श्री देवी- अग्रि तत्व हैं और श्री सूर्य- आकाश तत्व माने गए हैं। सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है, लेकिन हमारे जीवन के लिए सर्वप्रथम जल की ही आवश्यकता होती है। इसलिए प्रथम पूज्य श्रीगणेश माने गए हैं जो कि जल के देवता है।