धन कर मिलना, बढ़ना और बचना बहुत जरूरी है। कई लोगों को यह शिकायत रहती है कि पैसे इस हाथ आता है और उस हाथ चला भी जाता है। कुछ को शिकायत रहती है कि पैसा आता ही नहीं तो बढ़ेगा कैसे। सांसारिक जीवन में अर्थ बिना सब व्यर्थ है। इसीलिए हम जानते हैं वे चार तरीके जिनसे धन सुरक्षित भी रहेगा।
हिन्दू धर्मग्रंथ महाभारत की विदुर नीति में लक्ष्मी का अधिकारी बनने के लिए विचार और कर्म से जुड़े 4 अहम सूत्र बताए गए हैं। जानिए, ये चार तरीके जिनको अपनाकर ज्ञानी हो या अल्प ज्ञानी दोनों ही धनवान बन सकते हैं।
श्लोक:-
श्रीर्मङ्गलात् प्रभवति प्रागल्भात् सम्प्रवर्धते।
दाक्ष्यात्तु कुरुते मूलं संयमात् प्रतितिष्ठत्ति।।
इस श्लोक का अर्थ विस्तार:-
1.पहला तरीका
अच्छे या मंगल कर्म से स्थाई रूप से लक्ष्मी आती है। इसका मतलब यह कि परिश्रम और ईमानदारी से किए गए कार्यों से धन की प्राति होती है।
1.दूसरा तरीका
प्रगल्भता अर्थात धन का सही प्रबंधन और निवेश एवं बचत से वह लगातार बढ़ता है। यदि हम धन को उचित आय बढ़ने वाले सही कर्यों में लगाएंगे तो निश्चित ही लाभ मिलेगा।
3.तीसरा तरीका
चतुरता अर्थात अगर धन का सोच-समझकर उपयोग किया जाए और आय-व्यय का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए तो धन की बचत भी होगी और वह बढ़ता भी रहेगा। इससे धन का संतुलन बना रहेगा।
4.चौथा तरीका
चौथा और अंतिम सूत्र संयम अर्थात मानसिक, शारीरिक और वैचारिक संयम रखने से धन की रक्षा होती है। इसका मतलब यह कि सुख पाने और शौक पूरा करने की चाहत में धन का दुरुपयोग न करें। धन को घर और परिवार की आवश्यक जरूरतों पर ही खर्च करें।
तो यह था विदुर नीति अनुसार धन को प्राप्त करने, बढ़ाने और बचाने के चार तरीके। दरअसल, हमें धन को बचाने से ज्यादा उसे बढ़ाने की दिशा में ज्यादा सोचना चाहिए। आप यहां यह भी जान लें कि धन उस परिवार में ही टिकता है जहां प्रसन्नता, प्रेम, भाईचारा और स्वच्छता विद्यमान हैं। यह भी जरूरी है कि घर होना चाहिए वास्तु अनुसार।