Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

रजनीकांत हैं जिनके भक्त वे ''महावतार बाबा'' जिंदा हैं 5 हजार वर्षों से, क्या वे कृष्ण हैं?

रजनीकांत हैं जिनके भक्त वे ''महावतार बाबा'' जिंदा हैं 5 हजार वर्षों से, क्या वे कृष्ण हैं?

अनिरुद्ध जोशी

ऐसे कई लोग हैं जिनके बारे में दावा किया जाता है कि वे हजारों वर्षों से जीवित हैं। अश्वत्थामा, हनुमानजी, जामवंत, विभीषण, पराशुराम, महर्षि व्यास, कृपाचार्य, राजा बली आदि। आधुनिक काल में देवहरा बाबा, त्रैलंग स्वामी, शिवपुरी बाबा, संत लोकनाथजी आदि। इसी तरह महावतार बाबा के बारे में कहा जाता है कि वे पिछले 5000 वर्षों से जीवित हैं और हिमालय की एक गुफा में आज भी उन्हें देखा जा सकता है। आओ जानते हैं उनके बारे में रोचक जानकारी।
 
कहते हैं कि दक्षिण भारत के प्रसिद्ध सुपरस्टार रजनीकांत भी महावतार बाबा के भक्त हैं। उन पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनी है। रजनीकांत द्वारा लिखित 2002 की तमिल फिल्म 'बाबा' बाबाजी पर ही आधारित थी।
 
आधुनिक काल में सबसे पहले लाहिड़ी महाशय ने महावतार बाबा से मुलाकात की फिर उनके शिष्य युत्तेश्वर गिरि ने 1894 में इलाहाबाद के कुंभ मेले में उनसे मुलाकात की थी। युत्तेश्वर गिरि की किताब 'द होली साइंस' में भी उनका वर्णन मिलता है। उनको 1861 से 1935 के दौरान कई लोगों के द्वारा देखे जाने के सबूत हैं। जिन लोगों ने भी उन्हें देखा है, हमेशा उन्होंने उनकी उम्र 25 से 30 साल की ही बताई है।
 
लाहिड़ी महाशय के शिष्य स्वामी युत्तेश्वर गिरि थे और उनके शिष्य परमहंस योगानंद ने अपनी किताब 'ऑटोबायोग्राफी ऑफ योगी' (योगी की आत्मकथा, 1946) में महावतार बाबा का जिक्र किया है। कहते हैं कि 1861 और 1935 के बीच महावतार बाबा ने कई संतों से भेंट की थी। कहते हैं कि महावतार बाबा ने आदिशंकराचार्य को क्रियायोग की शिक्षा दी थी और बाद में उन्होंने संत कबीर को भी दीक्षा दी थी। इसके बाद प्रसिद्ध संत लाहिड़ी महाशय को उनका शिष्य बताया जाता है।
 
योगानंद जब उनसे मिले थे तो वे सिर्फ 19 साल के नजर आ रहे थे। योगानंद ने किसी चित्रकार की मदद से उन्होंने महावतार बाबा का चित्र भी बनवाया था, वही चित्र सभी जगह प्रचलित है। परमहंस योगानंद को बाबा ने 25 जुलाई 1920 में दर्शन दिए थे इसीलिए इस तिथि को प्रतिवर्ष बाबाजी की स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है।
 
वर्तमान में पूना के गुरुनाथ भी महावतार बाबाजी से मिल चुके हैं। उन्होंने बाबाजी पर एक किताब भी लिखी है जिसका नाम 'द लाइटिंग स्टैंडिंग स्टील' है। दक्षिण भारत के श्री एम. भी महावतार बाबाजी से कई बार मिल चुके हैं। सन् 1954 में बद्रीनाथ स्‍थित अपने आश्रम में 6 महीने की अवधि में बाबाजी ने अपने एक महान भक्त एसएए रमैय्या को संपूर्ण 144 क्रियाओं की दीक्षा दी थी।
 
लाहिड़ी महाशय ने अपनी डायरी में लिखा कि महावतार बाबाजी भगवान कृष्ण थे। योगानंद भी अक्सर जोर से 'बाबाजी कृष्ण' कहकर प्रार्थना किया करते थे। परमहंस योगानंद के दो शिष्यों ने लिखा कि उन्होंने भी कहा कि महावतार बाबाजी पूर्व जीवनकाल में श्री कृष्ण थे।
 
कहते हैं कि महावतार बाबा की गुफा आज भी उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में कुकुछीना से 13 किलोमीटर दूर दूनागिरि में स्थित है। कुकुछीना के निकट पांडुखोली में स्थित महावतार बाबा की पवित्र गुफा तमाम संतों और महापुरुषों की ध्यान स्थली रही है। फिल्म अभिनेता रजनीकांत और जूही चावला भी बाबा की गुफा के दर्शन को आते रहे हैं। ये माना जाता है कि महावतार बाबाजी शिवालिक की इन पहाड़ियों में रहते हैं और बहुत से योगियों को उन्होंने यहीं दर्शन भी दिए। वे सिर्फ उन्हें ही दर्शन देते हैं जो कि योग साधना में आगे बढ़ना चाहते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

भोजन संबंधी ये 30 खास बातें मान ली तो सेहत के साथ धन भी मिलेगा