भारत ही नहीं विश्व की सबसे प्राचीन नदी है नर्मदा नदी। नर्मदा नदी को पुराणों में रेवा भी कहा गया है। आओ जानते हैं नर्मदा नदी के बारे में 5 रोचक तथ्य।
1. नर्मदा परिक्रमा : प्राचीन काल से ही नर्मदा परिक्रमा का प्रचलन रहा है। नर्मदाजी की प्रदक्षिणा यात्रा में एक ओर जहां रहस्य, रोमांच और खतरे हैं वहीं अनुभवों का भंडार भी है। इस यात्रा के बाद आपकी जिंदगी बदल जाएगी। कुछ लोग कहते हैं कि यदि अच्छे से नर्मदाजी की परिक्रमा की जाए तो नर्मदाजी की परिक्रमा 3 वर्ष 3 माह और 13 दिनों में पूर्ण होती है, परंतु कुछ लोग इसे 108 दिनों में भी पूरी करते हैं। परिक्रमावासी लगभग 1,312 किलोमीटर के दोनों तटों पर निरंतर पैदल चलते हुए परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा अमरकंटक से प्रारंभ होकर अमरकंटक में ही समाप्त होती है। अमरकंटक से निकलकर नर्मदा विन्ध्य और सतपुड़ा के बीच से होकर भडूच (भरुच) के पास खम्भात की खाड़ी में अरब सागर से जा मिलती है। नेमावर में इसका नाभि स्थल है।
2. सबसे प्राचीन सभ्यता : विश्व की प्राचीनतम नदी सभ्यताओं में से एक नर्मदा घाटी की सभ्यता का का जिक्र कम ही किया जाता है, जबकि पुरात्ववेत्ताओं अनुसार यहां भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता के अवशेष पाए गए हैं। आश्चर्य की यहां डायनासोर के अंडे भी पाए गए हैं। नर्मदा घाटी के प्राचीन नगरों की बात करें तो महिष्मती (महेश्वर), नेमावर, हतोदक, त्रिपुरी, नंदीनगर आदि ऐसे कई प्राचीन नगर है जहां किए गए उत्खनन से उनके 2200 वर्ष पुराने होने के प्रमाण मिले हैं। जबलपुर से लेकर सीहोर, होशंगाबाद, बड़वानी, धार, खंडवा, खरगोन, हरसूद आदि तक किए गए और लगातार जारी उत्खनन कार्यों ने ऐसे अनेक पुराकालीन रहस्यों को उजागर किया है।
संपादक एवं प्रकाशक डॉ. शशिकांत भट्ट की पुस्तक 'नर्मदा वैली : कल्चर एंड सिविलाइजेशन' नर्मदा घाटी की सभ्यता के बारे में विस्तार से उल्लेख मिलता है। इस किताब के अनुसार नर्मदा किनारे मानव खोपड़ी का पांच से छः लाख वर्ष पुराना जीवाश्म मिला है। इससे यह खुलासा होता है कि यहां सभ्यता का काल कितना पुराना है। यहां डायनासोर के अंडों के जीवाश्म पाए गए, तो दक्षिण एशिया में सबसे विशाल भैंस के जीवाश्म भी मिले हैं।
इसके अलवा एकेडेमी ऑफ इंडियन न्यूमिस्मेटिक्स एंड सिगिलोग्राफी, इंदौर ने नर्मदा घाटी की संस्कृति व सभ्यता पर केंद्रित देश-विदेश के विद्वानों के 70 शोध पत्रों पर आधारित एक विशेषांक निकाला था, जो इस प्राचीन सभ्यता की खोज और उससे जुड़ी चुनौतियों को प्रस्तुत करता है।
3. नर्मदा तट के तीर्थ : वैसे तो नर्मदा के तट पर बहुत सारे तीर्थ स्थित है लेकिन यहां कुछ प्रमुख तीर्थों की लिस्ट। अमरकंटक, मंडला (राजा सहस्रबाहु ने यही नर्मदा को रोका था), भेड़ा-घाट, होशंगाबाद (यहां प्राचीन नर्मदापुर नगर था), नेमावर, ॐकारेश्वर, मंडलेश्वर, महेश्वर, शुक्लेश्वर, बावन गजा, शूलपाणी, गरुड़ेश्वर, शुक्रतीर्थ, अंकतेश्वर, कर्नाली, चांदोद, शुकेश्वर, व्यासतीर्थ, अनसूयामाई तप स्थल, कंजेठा शकुंतला पुत्र भरत स्थल, सीनोर, अंगारेश्वर, धायड़ी कुंड और अंत में भृगु-कच्छ अथवा भृगु-तीर्थ (भडूच) और विमलेश्वर महादेव तीर्थ।
नर्मदा की कुल 41 सहायक नदियां हैं। उत्तरी तट से 19 और दक्षिणी तट से 22। नर्मदा बेसिन का जलग्रहण क्षेत्र एक लाख वर्ग किलोमीटर है। यह देश के भौगोलिक क्षेत्रफल का तीन और मध्य प्रदेश के क्षेत्रफल का 28 प्रतिशत है। नर्मदा की आठ सहायक नदियां 125 किलोमीटर से लंबी हैं। मसलन- हिरन 188, बंजर 183 और बुढ़नेर 177 किलोमीटर। मगर लंबी सहित डेब, गोई, कारम, चोरल, बेदा जैसी कई मध्यम नदियों का हाल भी गंभीर है। सहायक नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में जंगलों की बेतहाशा कटाई से ये नर्मदा में मिलने के पहले ही धार खो रही हैं।
4. गुफाओं में एलियन : नर्मदा घाटी क्षेत्र में कई गुफाएं हैं उनमें से एक भीमबैठका की गुफाएं हैं। भीमबैठका रातापानी अभयारण्य में स्थित है। यह भोपाल से 40 किलोमीटर दक्षिण में है। यहां से आगे सतपुडा की पहाड़ियां शुरू हो जाती हैं। भीमबेटका (भीमबैठका) भारत के मध्यप्रदेश प्रांत के रायसेन जिले में स्थित एक पुरापाषाणिक आवासीय पुरास्थल है। यह आदिमानव द्वारा बनाए गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। इन चित्रों को पुरापाषाण काल से मध्यपाषाण काल के समय का माना जाता है। यहां मिले शैलचित्रों में स्पष्ट रूप से एक उड़नतश्तरी बनी हुई है। साथ ही इस तश्तरी से निकलने वाले एलियंस का चित्र भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जो आम मानव को एक अजीब छड़ी द्वारा निर्देश दे रहा है। इस एलियंस ने अपने सिर पर हेलमेट जैसा भी कुछ पहन रखा है जिस पर कुछ एंटीना लगे हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि लगभग 30 हजार वर्ष पूर्व बनाए गए ये चित्र स्पष्ट करते हैं कि यहां एलियन आए थे, जो तकनीकी मामले में हमसे कम से कम हजारों वर्ष आगे हैं ही।
5. नर्मदा नदी के मगरमच्छ : नर्मदा के जल का राजा है मगरमच्छ जिसके बारे में कहा जाता है कि धरती पर उसका अस्तित्व 25 करोड़ साल पुराना है। माँ नर्मदा मगरमच्छ पर सवार होकर ही यात्रा करती हैं।