Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

योगी आदित्यनाथ के गोरखनाथ पीठ के मुस्लिम जोगी, जानिए

अनिरुद्ध जोशी
नाथ संप्रदाय की स्थापना आदिनाथ भगवान शिव द्वारा मानी जाती है। भगवान दत्तात्रेय को आदिगुरु कहा जाता है। आदिनाथ शिव से मत्स्येन्द्रनाथ ने ज्ञान प्राप्त किया। मत्स्येन्द्र नाथ के शिष्य गोरखनाथ हुए। गोरखनाथ द्वारा प्रवर्तित बारह पंथी मार्ग नाथ संप्रदाय के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस संप्रदाय के साधक अपने नाम के आगे नाथ शब्द जोड़ते हैं। कान छिदवाने के कारण इन्हे कनफटा, दर्शन कुंडल धारण करने के कारण दरशनी और गोरखनाथ के अनुयायी होने के कारण गोरखनाथी भी कहा जाता है।
 
एक समय ऐसा था जब नाथ योगियों और सूफी संतों की धारा का भारत में एक साथ प्राचार प्रसार हुआ था। उस काल में ऐसा भी देखा गया है कि कुछ नाथ संतों ने सूफी धारा को अपना लिया था तो कुछ सूफी संतों ने नाथ साधना पद्धिति से प्रभावित होकर नाथ धारा को अपना लिया था। कहने का मतलब यह कि यह ऐसा काल था जबकि जाति या धर्गगत भेद नहीं होता है। यह साधना पद्धिति का भेद हुआ करता था। यह दो भिन्न भिन्न मार्ग पर चलकर सिद्ध या मोक्ष प्राप्त करने वाली बात थी। लेकिन कट्टरवाद के कारण समाज में यह भेद स्पष्ट नजर आता है।
 
भारत में रंगरेज, जुलाहा, मदारी, फकीर, बुनकर, बंजारा, घुमंतू, सपेरा, मछुआरा, नायता, काछी, धुनिए, मोची, बलाई, जोगी, भीखारी आदि हजारों ऐसी जातियां हैं जिन्हें अति पिछड़ावर्ग में रखा जाता है। ये सभी गुरु गोरखनाथ द्वारा शुरू किए गए बारहपंथी समाज का हिस्सा है। यह ठीक उसी तरह है जिस तरह की शंकराचार्य ने भारत के पहाड़ों, पर्वतों, वनों, पुरियों, जंगलों, सागरों के किनारे आदि रहने वाली हिन्दू जातियों को मिलाकर एक दसनामी संप्रदाय गठित किया था।  कबीरपंथ, दादूपंथ, उदासी पंथ आदि सभी संत धारा भी इसी गोरखनाथ की धारा के अंतर्गत आती है।
 
गोरखनाथ के संप्रदाय की मुख्य 12 शाखाएं:- 1.भुज के कंठरनाथ, 2. पागलनाथ, 3. रावल, 4. पंख या पंक, 5.वन , 6.गोपाल या राम, 7. चांदनाथ कपिलानी, 8. हेठनाथ, 9. आई पंथ, 10. वेराग पंथ, 11. जैपुर के पावनाथ और 12. घजनाथ।
 
योगी आदित्यनाथ जिस पीठ के महंत अर्थात प्रमुख नाथ है वहां की परंपरा में कालांतर से ही हर जाति, धर्म और वर्ग का व्यक्ति गोरखपंथी किसी साधु से दिक्षा लेकर सिद्धि और मोक्ष के मार्ग पर चलने की शपथ लेता था या दीक्षा लेकर वह अपनी एक पहचान गढ़ता था। नाथ संप्रदाय से हर जाति, धर्म, समाज, प्रांत और वर्ग का व्यक्ति जुड़ा है और वहां जुड़कर वह सिेर्फ नाथ ही हो जाता है। उसे नाथ योगी कहते हैं।
 
मुस्लिम नाथ योगी अगले पन्ने पर...

मुस्लिम नाथ योगी : 
पूर्वोत्तर, उत्तर, बंगाल के वे मुस्लिम जो दलित या पीछड़े वर्ग में आते हैं उन्होंने तात्कालिक युद्ध की परिस्थिति और सूफीवाद के प्रभाव के चलते इस्लाम अपना लिया था। वे सभी कालांतर में गुरु गोरखनाथ के पंथ से जुड़ते गए। हालांकि गोरक्षपीठ के महंत पिछले कई दशकों से कट्टर हिंदुत्व के लिए जाने जाते हैं लेकिन इस पीठ से लंबे समय से मुसलमान भी जुड़े रहे हैं जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं।

पूर्वी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम नाथ जोगियों के दर्जनों गांव हैं जहां के मुस्लिम गेरुआ वस्त्र पहनकर खुद को नाथ जोगी मानते हैं। यह लोग पीढ़ी दर पीढ़ी से नाथ योगी ही है। ये हाथ में सारंगी लेकर नाथ संप्रदारय से जुड़े भजन गाते हैं। ये लोग पीढ़ी दर पीढ़ी गोपीचंद और राजा भर्तृहरि के भजन गाते थे हालांकि ये परंपरा अब लुप्त हो रही है। ये जोगी कौन हैं, उनका क्या इतिहास है और उनका गोरखनाथ द्वारा प्रवर्तित नाथ संप्रदाय से क्या संबंध है, इसको आज बहुत कम लोग जानते हैं। पहले ये मुसलमान जोगी खूब देखे जाते थे लेकिन अब बहुत कम दिखते हैं। 
गोरखनाथ के प्रभाव के चलते मध्यकाल में बड़ी संख्या में पिछड़ी मुस्लिम जातियों ने नाथ संप्रदाय में दीक्षा लेकर योग साधना और भक्ति का एक पथ अपनाया था। नाथपंथ से मुसलमानों के जुड़ाव पर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष और महंत दिग्विजयनाथ के जमाने से मंदिर की सेवा करने वाले प्रोपेसर यूपी मनोज सिंह ने बताया कि मुस्लिम जोगियों का जुड़ाव ना सिर्फ भारत बल्कि अफगानिस्तान तक है। गोरखबानी नाम की गोरक्षपीठ  की सबसे प्रामाणिक किताब में भी मुस्लिमों के जुड़ाव का उल्लेख है। मठ में हमेशा से मुस्लिमों का खुले दिन से स्वागत किया जाता रहा है।
 
हिंदी के प्रसिद्ध विद्वान हजारी प्रसाद द्विवेदी ने नाथ संप्रदाय पर लिखी अपनी एक पुस्तक में वे लिखते हैं कि नाथमत को मानने वाली बहुत सी जातियां घरबारी हो गई हैं। देश के हर हिस्से में ऐसी जातियों का अस्तित्व है। इनमें बुनाई के पेशे से जुड़ी तमाम जातियां हैं। इनमें मुसलमान जोगी भी हैं। पंजाब के गृहस्थ योगियों को रावल कहा जाता है और ये लोग भीख मांगकर, करामात दिखाकर, हाथ देखकर अपनी जीविका चलाते हैं। बंगाल में जुगी या जोगी कहने वाली कई जातियां हैं। जोगियों का बहुत बड़ा संप्रदाय अवध, काशी, मगध और बंगाल मे फैला हुआ था। ये लोग गृहस्थ थे और पेशा जुलाहे या धुनिए का था।’
 
हजारी प्रसाद द्विवेदी ने बताया है कि बंगाल के रंगपुर जिले के योगियों का काम कपड़ा बुनना, रंगसाजी और चूना बनाना है। हैदराबाद के दवरे और रावल भी नाथ योगियों के गृहस्थ रूप हैं। कोंकण के गोसवी भी अपने को नाथ योगियों से संबद्ध बताते हैं। इस प्रकार की योगी जातियां बरार, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और दक्षिण भारत में भी पाई जाती हैं।
 
जार्ज वेस्टन ब्रिग्स ने अपनी पुस्तक ‘गोरखनाथ एंड दि कनफटा योगीज’ में 1891 की जनसंख्या रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि भारतवर्ष में योगियों की संख्या 2,14,546 हैं। आगरा व अवध प्रांत में 5,319 औघड़, 28,816 गोरखनाथी और 78,387 योगी थे। इनमें बड़ी संख्या मुसलमान योगियों की है। ब्रिग्स ने अपनी किताब में योगी जातियों का विस्तार से जिक्र किया है।
 
इसी वर्ष की पंजाब की रिपोर्ट में बताया कि मुसलमान योगियों की संख्या 38,137 है। वर्ष 1921 की जगगणना में इनकी जोगी हिंदू 6,29,978, जोगी मुसलमान 31,158 और फकीर हिंदू 1,41,132 बताई गई हैं। इस जनगणना में पुरूष और स्त्री योगियों की संख्या भी अलग-अलग बताई गई है। बाद की जनगणना रिपोर्टों में इन लोगों का अलग से उल्लेख नहीं है. ब्रिग्स ने अपनी किताब में योगी जातियों का विस्तार से जिक्र किया है।
 
मुसलमान जोगियों पर समुदाय के भीतर और समुदाय के बाहर दोनों तरफ से अपनी इस परम्परा को छोड़ने का दबाव बढ़ रहा है। सांप्रदायिक हिंसा और कटुता बढ़ने के कारण अब ये जोगी गेरूआ वस्त्र में खुद को असहज पाते हैं।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dhanteras Rashifal: धनतेरस पर बन रहे 5 दुर्लभ योग, इन राशियों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा

Shopping for Diwali: दिवाली के लिए क्या क्या खरीदारी करें?

बहुत रोचक है आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति की कथा, जानिए कौन हैं भगवान धन्वंतरि?

दिवाली की रात में करें ये 7 अचूक उपाय तो हो जाएंगे मालामाल, मिलेगी माता लक्ष्मी की कृपा

Dhanteras 2024: अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस पर कितने, कहां और किस दिशा में जलाएं दीपक?

सभी देखें

धर्म संसार

27 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

27 अक्टूबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Kali chaudas 2024: नरक चतुर्दशी को क्यों कहते हैं भूत चतुर्दशी, किसकी होती है पूजा?

Bach Baras 2024: गोवत्स द्वादशी क्यों मनाते हैं, क्या कथा है?

गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव कैसे मनाया जाता है?

Show comments