Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

क्या महाराणा प्रताप शाकाहारी थे? गूगल पर इस सवाल से हुई हलचल, क्या कहते हैं जानकार

क्या महाराणा प्रताप शाकाहारी थे? गूगल पर इस सवाल से हुई हलचल, क्या कहते हैं जानकार
, मंगलवार, 9 मई 2023 (14:51 IST)
Maharana Pratap: 9 मई को महाराणा प्रताप जी की जयंती मनाई जाती है। 19 जनवरी को उनकी पुण्यतिथि रहती है। महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से पुकारा जाता था। उनके 24 भाई व 20 बहनें थी। वे एक तरह से 20 मांओं के प्रतापी पुत्र थे। उनकी 14 पत्नियां, 17 पुत्र और 5 पुत्रियों के होने की जानकारी भी मिलती है। हालांकि कुछ का मानना है कि उनकी 11 बीबीयां थीं। इसी तरह के कई सावल उनके संबंध में सर्च किए जाते हैं कि वे मांसाहारी थे या कि शाकाहारी।
जानकार कहते हैं कि महाराणा प्रताप ने करीब 20 वर्ष जंगलों में गुजारे थे। यह भी कहा जाता है कि वे जंगल में शिकार करते थे और यह भी कहा जाता है कि जब कुछ नहीं मिलता था तब वे घास की रोटी बनाकर खाते थे। इतिहास में ऐसे कोई प्रमाण नहीं मिलता कि महाराणा प्रताप शाकाहारी थे। ऐसा भी कोई प्रमाण नहीं मिलका है कि वे मांसाहारी थे।
जानकार कहते हैं कि महाराणा प्रताप ने अपने संघर्ष के दिनों में जिस घास की रोटी और अन्य वनस्पतियों का सहारा लिया था, जो पोषण से भरपूर थीं। वे ज्यादा से ज्यादा शाकाहारी भोजन ही करते थे। असल में उस वक्त आदिवासी परिवार घास-फूस, वनस्पति की रोटी और सब्जियों से पेट भरते थे। महाराणा प्रताप के साथ आदिवासी, भील और लुहार जाति के लोग रहते थे, जो उनके लिए खाना बनाते थे। 
हल्दीघाटी के युद्ध में जीते थे महाराणा प्रताप- Maharana Pratap won the battle of Haldighati : हल्दीघाटी युद्ध के पश्चात वर्ष 1577 में हल्दीघाटी के आस-पास के गांव में महाराणा प्रताप द्वारा जारी किए गए पट्टों से पता चलता है, यह पट्टे जारी करने का अधिकार सिर्फ राजा के पास होता था तो ऐसे में 1577 के पट्टे जारी करने का अर्थ होता है कि यह क्षेत्र युद्ध पश्चात्म महाराणा के अधिकार में था, पट्टों के जारी करने के प्रमाण उदयपुर के जगदीश मंदिर में प्राप्त हुए थे। पट्टों वाले साक्ष्यों के साथ यह भी प्राप्त हुआ कि वर्ष 1576 के बाद महाराणा प्रताप की मोहर वाले सिक्कों का चलन भी जारी रहा। अकबर जीत जाता तो अकबर के सिक्के होते, प्रताप के नहीं। अकबर अपने दोनों सेनापति मान सिंह और आसिफ खां से युद्ध के बाद नाराज हुआ। उसने दोनों को छह महीने तक दरबार में न आने की सजा दी, अगर मुगल सेना जीतती है, तो अकबर अपने सबसे बड़े विरोधी महाराणा प्रताप को हराने वाले को पुरस्कृत करता ना कि सजा देता।- साभार

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

गंगा दशहरा कब है 2023 ? गंगा दशहरा की कथा क्या है?