Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

ब्रह्माजी का अपनी पुत्री से विवाह का असली सच

अनिरुद्ध जोशी
ब्रह्माजी का अपनी पुत्री से विवाह का असली सच क्या है यह आज भी शोध का विषय है। इस पर विचार किए जाने की जरूरत है। भारतीय पौराणिक इतिहास में ब्रह्मा का नाम महत्वपूर्ण रूप से प्रकट होता है, जबकि प्रचलित समाज में विष्णु और शिव को उनसे श्रेष्ठ माना गया है। कालांतर में ब्रह्मा को हाशिए पर धकेल दिए जाने के कई कारणों में से एक है सावित्री का शाप और दूसरा कारण यह कि ब्रह्मांड की थाह लेने के लिए जब भगवान सदाशिव ने विष्णु और ब्रह्मा को भेजा तो ब्रह्मा ने वापस लौटकर सदाशिव से असत्य वचन कहा था।
 
#
*हालांकि प्रचलित समाज में यह धारणा फैली है कि ब्रह्मा ने उनकी पुत्री सरस्वती के साथ विवाह किया था इसलिए उन्हें नहीं पूजा जाता। अब यह कितना सच यह यह तो शोध का विषय है। कुछ विद्वान इसे भ्रांत धारण मानकर खारिज करते हैं। हालांकि सचाई यह भी है कि पुराणों में एक जगह उल्लेख मिलता है कि ब्रह्मा की पत्नी विद्या की देवी सरस्वती उनकी पुत्री नहीं थीं। उनकी एक पुत्री का नाम भी सरस्वती था जिसके चलते यह भ्रम उत्पन्न हुआ।
 
 
#
*पौराणिक मान्यता अनुसार ब्रह्मा की पुत्री सरस्वती का विवाह भगवान विष्णु से हुआ था, जबकि ब्रह्मा की पत्नी सरस्वती अपरा विद्या की देवी थीं जिनकी माता का नाम महालक्ष्मी था और जिनके भाई का नाम विष्णु था। विष्णु ने जिस 'लक्ष्मी' नाम की देवी से विवाह किया था, वे भृगु ऋषि की पुत्री थीं।
 
*माना जाता है कि ब्रह्माजी की 5 पत्नियां थीं- सावित्री, गायत्री, श्रद्धा, मेधा और सरस्वती। इसमें सावित्री और सरस्वती का उल्लेख अधिकतर जगहों पर मिलता है। यह भी मान्यता है कि पुष्कर में यज्ञ के दौरान सावित्री के अनुपस्थित होने की स्थित में ब्रह्मा ने वेदों की ज्ञाता विद्वान स्त्री गायत्री से विवाह कर यज्ञ संपन्न किया था। इससे सावित्री ने रुष्ट होकर ब्रह्मा को जगत में नहीं पूजे जाने का शाप दे दिया था। गुर्जर इतिहाकार के जानकार मानते हैं कि गायत्री माता एक गुर्जर महिला थी।
 
 
#
कहते हैं कि ब्रह्माजी को बदनाम करने के लिए या अनजाने में इन चार श्लोकों का गलत अर्थ मध्यकाल से ही निकाला जाता रहा है:-
 
वाचं दुहितरं तन्वीं स्वयंभूर्हतीं मन:। 
अकामां चकमे क्षत्त्: सकाम् इति न: श्रुतम् ॥(श्रीमदभागवत् 3/12/28)
 
प्रजापतिवै स्वां दुहितरमभ्यधावत्
दिवमित्यन्य आहुरुषसमितन्ये
तां रिश्यो भूत्वा रोहितं भूतामभ्यैत्
तं देवा अपश्यन् 
“अकृतं वै प्रजापतिः करोति” इति
ते तमैच्छन् य एनमारिष्यति 
तेषां या घोरतमास्तन्व् आस्ता एकधा समभरन्
ताः संभृता एष् देवोभवत्
तं देवा अबृवन्
अयं वै प्रजापतिः अकृतं अकः
इमं विध्य इति स् तथेत्यब्रवीत् 
तं अभ्यायत्य् अविध्यत्
स विद्ध् ऊर्ध्व् उदप्रपतत् ( एतरेय् ब्राहम्ण् 3/333)
 
#
अथर्ववेद का श्लोक:-
सभा च मा समितिश्चावतां प्रजापतेर्दुहितौ संविदाने। 
येना संगच्छा उप मा स शिक्षात् चारु वदानि पितर: संगतेषु।
 
ऋगवेद का श्लोक :- 
पिता यस्त्वां दुहितरमधिष्केन् क्ष्मया रेतः संजग्मानो निषिंचन् ।
स्वाध्योऽजनयन् ब्रह्म देवा वास्तोष्पतिं व्रतपां निरतक्षन् ॥ (ऋगवेद -10/61/7)
 
*यहां यह जानना जरूरी है कि वैदिक काल में राजा को प्रजापति कहा जाता था। सभा और समिति को प्रजापति की दुहिता यानि बेटियों जैसा माना जाता था। ब्रह्मा को प्रजापति भी कहा जाता है इस कारण भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई। ब्रह्मा की बेटी सरस्वती श्वेत रंग की थीं, लाल रंग की नहीं।
 
 
#
*पुराणों में सरस्वती के बारे में भिन्न भिन्न मत मिलते हैं। एक मान्यता अनुसार ब्रह्मा ने उन्हें अपने मुख से प्रकट किया था। एक अन्य पौराणिक उल्लेख अनुसार देवी महालक्ष्मी (लक्ष्मी नहीं) से जो उनका सत्व प्रधान रूप उत्पन्न हुआ, देवी का वही रूप सरस्वती कहलाया। देवी सरस्वती का वर्ण श्‍वेत है। सरस्वती देवी को शारदा, शतरूपा, वाणी, वाग्देवी, वागेश्वरी और भारती भी कहा जाता है। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण वह संगीत की देवी भी हैं। वसंत पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं।

#
श्रीभागवतानंद गुरुजी के अनुसार 'सरस्वती' का शब्द का प्रयोग उसके लिए आया है, जो ज्ञान की  अधिष्ठात्री हो, विद्या की अधिष्ठात्री हो और साकार रूप में विद्यमान हो। उस ऊर्जा शक्ति के  लिए 'सरस्वती' शब्द का प्रयोग किया गया है। शास्त्रों के अनुसार जिस तरह ज्ञान या विद्याएं दो  हैं उसी तरह सरस्वती भी दो हैं। विद्या में अपरा और परा विद्या है। अपरा विद्या की सृष्टि  ब्रह्माजी से हुई लेकिन परा विद्या की सृष्टि ब्रह्म (ईश्वर) से हुई मानी जाती है।
 
अपरा विद्या का ज्ञान जो धारण करती है, वह ब्रह्माजी की पुत्री है जिनका विवाह विष्णुजी से  हुआ है। ब्रह्माजी की पत्नी जो सरस्वती है, वे परा विद्या की अधिष्ठात्री देवी हैं। वे मोक्ष के  मार्ग को प्रशस्त करने वाली देवी हैं और वे महालक्ष्मी की पुत्री हैं।

शाक्त परंपरा में तीन रहस्यों का वर्णन है- प्राधानिक, वैकृतिक और मुक्ति। इस प्रश्न का, इस  रहस्य का वर्णन प्राधानिक रहस्य में है। इस रहस्य के अनुसार महालक्ष्मी के द्वारा विष्णु और  सरस्वती की उत्पत्ति हुई अर्थात विष्णु और सरस्वती बहन और भाई हैं। इन सरस्वती का  विवाह ब्रह्माजी से और ब्रह्माजी की जो पुत्री है, उनका विवाह विष्णुजी से हुआ है। 
 
#पुराणों में हेरफेर?
मध्य और अंग्रेज काल में पुराणों के साथ बहुत छेड़छाड़ की गई है। हिन्दू धर्म के दो ग्रंथों 'सरस्वती पुराण' और 'मत्स्य पुराण' में सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा का सरस्वती से विवाह करने का प्रसंग है जिसके फलस्वरूप इस धरती के प्रथम मानव 'मनु' का जन्म हुआ। लेकिन पुराणों की व्याख्या करने वाले सरस्वती के जन्म की कथा को उस सरस्वती से जोड़ देते हैं जो ब्रह्मा की पत्नी हैं जिसके चलते सब कुछ गड्ड मड्ड हो चला है। हालांकि इस पर शोध कर इस भ्रम को स्पष्ट किए जाने की आज ज्यादा जरूरत है। यह आलेख किसी भी तरह का दावा नहीं करता है।

 

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dhanteras 2024: अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस पर कितने, कहां और किस दिशा में जलाएं दीपक?

क्या है मुंबई स्थित महालक्ष्मी मंदिर का रहस्यमयी इतिहास,समुद्र से निकली थी यहां माता की मूर्ति

धनतेरस सजावट : ऐसे करें घर को इन खूबसूरत चीजों से डेकोरेट, आयेगी फेस्टिवल वाली फीलिंग

दिवाली पर मां लक्ष्मी को बुलाने के लिए करें ये 5 उपाय, पूरे साल रहेगी माता लक्ष्मी की कृपा

दिवाली से पहले घर से हटा दें ये पांच चीजें, तभी होगा मां लक्ष्मी का आगमन

सभी देखें

धर्म संसार

26 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

26 अक्टूबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

Shopping for Diwali: दिवाली के लिए क्या क्या खरीदारी करें?

दिवाली के शुभ अवसर पर कैसे बनाएं नमकीन हेल्दी पोहा चिवड़ा, नोट करें रेसिपी

दीपावली पार्टी में दमकेंगी आपकी आंखें, इस फेस्टिव सीजन ट्राई करें ये आई मेकअप टिप्स

આગળનો લેખ
Show comments