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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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हिन्दू सनातन धर्म की उत्पत्ति कब हुई

हिन्दू सनातन धर्म की उत्पत्ति कब हुई

अनिरुद्ध जोशी

, बुधवार, 6 सितम्बर 2023 (18:27 IST)
When did Hinduism originate:  हर धर्म की उत्पत्ति हुई है परंतु हिंदू धर्म की उत्पत्ति या शुरुआत को लेकर लोगों में व्यर्थ का ही मतभेद है। वेद और पुराण और भारत का इतिहास पढते नहीं हैं और हर कोई किसी भी प्रकार का बयान इस तरह देते हैं जैसे वे महापंडित हो। वर्तमान में हिन्दू सनातन धर्म को लेकर बहुत बयान दिए जा रहे हैं। हाल ही में डीएम के उदयनिधि स्टालिन और कांग्रेस के जी. परमेश्‍वर सहित कई नेता लोग सनातन हिंदू धर्म पर विवादित बयान दे रहे हैं। इसी संदर्भ में जानिए कि हिन्दू सनातन धर्म की उत्पत्ति कब हुई?
 
नोट : वेद को हिंदू सनातन धर्म का प्रथम ग्रंथ माना जाता है। यूनेस्को ने ऋग्वेद की 1800 से 1500 ई.पू. की लगभग 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है। यानी कम से कम 3823 वर्ष पुराना तो है ही हिंदू धर्म। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हजारों वर्षों से वेदों की वाचिक परंपरा तब तक चलती रही जब तक की कागज का अविष्कार नहीं हो गया? सिंधु घाटी की सभ्यता के लोग हिंदू ही थे?
 
गुरु नानक : 500 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्म 15 अप्रैल 1469 को हुआ और 22 सितंबर 1539 को उन्होंने देह छोड़ दी। गुरु परंपरा के सभी 10 गुरुओं द्वारा भारत और हिन्दू धर्म रक्षित हुआ।
 
बाबा रामदेव : 650 साल पहले हिन्दू धर्म
बाबा रामदेव का जन्म 1352 ईस्वी में हुआ और 1385 ईस्वी में उन्होंने समाधि ले ली। द्वारिका‍धीश के अवतार बाबा को पीरों का पीर 'रामसा पीर' कहा जाता है। तब भी हिंदू धर्म था।
 
झूलेलाल : 1,000 साल पहले हिन्दू धर्म
सिन्ध प्रांत के हिन्दुओं की रक्षार्थ वरुणदेव ने झूलेलाल के रूप में अवतार लिया था। पाकिस्तान में झूलेलालजी को जिंद पीर और लालशाह के नाम से जाना जाता है। इनका जन्म 1007 ईस्वी में हुआ था। उस समय पाकिस्तान में व्यापक संख्या में हिंदू रहते थे।
 
गुरु गोरक्षनाथ : 1,100 साल पहले हिन्दू धर्म 
राहुल सांकृत्यायन के अनुसार महान योगी गुरु गोरक्षनाथ या गोरखनाथ का जन्म 845 ई. को हुआ था। 9वीं शताब्दी में गोरखपुर में गुरु गोरखनाथ के मंदिर के जीर्णोद्धार होने का उल्लेख मिलता है। गोरखनाथ लंबे काल तक जीवित रहे थे। ये हिंदू धर्म के शैव पंथ के प्रमुख संत रहे हैं।
 
सम्राट हर्षवर्धन : 1,400 साल पहले हिन्दू धर्म
महान सम्राट हर्षवर्धन का जन्म 590 ईस्वी में और मृत्यु 647 ईस्वी में हुआ था। माना जाता है कि हर्षवर्धन ने अरब पर भी चढ़ाई कर दी थी, लेकिन रेगिस्तान के एक क्षेत्र में उनको रोक दिया गया। इसका उल्लेख भविष्यपुराण में मिलता है। हर्ष के शासनकाल में ही चीन यात्री ह्वेनसांग आया था।
 
चन्द्रगुप्त द्वितीय : 1,650 साल पहले हिन्दू धर्म
सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय को विक्रमादित्य की उपाधि प्राप्त थी। उनका शासन 380 ईस्वी से 412 ईस्वी तक रहा। महाकवि कालिदास उसके दरबार की शोभा थे।
 
सम्राट विक्रमादित्य : 2,100 साल पहले हिन्दू धर्म
विक्रमादित्य के पिता गंधर्वसेन और बड़े भाई भर्तृहरि थे। कलिकाल के 3,000 वर्ष बीत जाने पर 101 ईसा पूर्व सम्राट विक्रमादित्य का जन्म हुआ। उनके काल में हिन्दू धर्म ने महान ऊंचाइयों को प्राप्त किया था। वे एक ऐतिहासिक पुरुष थे। मध्यभारत में उज्जैन उनकी राजधानी थी।
 
आचार्य चाणक्य : 2,300 साल पहले हिन्दू धर्म
चाणक्य का जन्म ईस्वी पूर्व 371 में हुआ था जबकि उनकी मृत्यु ईस्वी पूर्व 283 में हुई थी। चाणक्य का उल्लेख मुद्राराक्षस, बृहत्कथाकोश, वायुपुराण, मत्स्यपुराण, विष्णुपुराण, बौद्ध ग्रंथ महावंश, जैन पुराण आदि में मिलता है। चाणक्य के समय ही भारत पर सिकंदर का आक्रमण हुआ था।
 
आदिशंकराचार्य : 2531 वर्ष साल पहले हिन्दू धर्म
आदिशंकराचार्य ने हिन्दू धर्म को पुनर्गठित किया था। उनका जन्म 788 ईस्वी में हुआ और 820 ईस्वी में उन्होंने मात्र 32 वर्ष की उम्र में देह छोड़ दी थी। उन्होंने 4 पीठों की स्थापना की थी। केरल में जन्म और केदारनाथ में उन्होंने समाधि ले ली थी। वैसे चार मठों की गुरु शिष्य परंपरा के अनुसार आदि शंकराचार्य का जन्म 508 ईसा पूर्व हुआ था। 788 ईस्वी को जिन शंकराचार्य का जन्म हुआ था वे अभिनव शंकराचार्य थे। यानी 508+2023 को जोड़ने से 2531 वर्ष पहले आदि शंकराचार्य हुए थे जो हिंदू धर्म के सबसे बड़े संत थे।
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Adi Shankaracharya
भगवान महावीर स्वामी : 2,650 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
जैन धर्म के पुनर्संस्थापक महावीर स्वामी का जन्म ईस्वी पूर्व 599 में हुआ था। वे जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर थे। उनके काल में भी हिन्दू धर्म भारत का प्रमुख धर्म था। उनके काल में ही भगवान बुद्ध (563 ईस्वी पूर्व) ने अपना एक नया धर्म स्थापित किया था।
 
भगवान पार्श्वनाथ : 2,850 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
भगवान महावीर स्वामी के 250 वर्ष पहले 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ हुए थे। माना जाता है कि उनके काल में हिन्दू धर्म भारत का राजधर्म हुआ करता था। पार्श्वनाथ के समय भारत में बहुत शांति और समृद्धि थी।
 
भगवान श्रीकृष्ण : 5135 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
ऐतिहासिक शोध के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म 3112 ईस्वी पूर्व मथुरा में हुआ था। जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर अरिष्ट नेमिनाथ भगवान कृष्ण के चचेरे भाई थे। गीता हिन्दुओं का प्रमुख धर्मग्रंथ है, जो कि महाभारत एक हिस्सा है।
 
भगवान श्रीराम : 7137 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
शोधानुसार 5114 ईसा पूर्व भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। राम के जन्म के समय आकाश में पुनर्वसु नक्षत्र के दौरान 5 ग्रह अपने उच्च स्थान में थे। वाल्मीकि द्वारा बताई गई यह स्थिति आज से 7,131 वर्ष पहले निर्मित हुई थी।
 
वैवस्वत मनु : 8,696 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
अनुमानित रूप से 6673 ईसा पूर्व वैवस्वत मनु हुए थे। इन मनु के काल में ही जलप्रलय हुई थी। कई माह तक वैवस्वत मनु और उनके लोगों द्वारा नाव में ही गुजारने के बाद उनकी नाव गौरी-शंकर के शिखर से होते हुए जल के उतरने के साथ ही नीचे उतरी। तब फिर से धरती पर मनुष्यों का जीवन चक्र चला। माथुरों के इतिहास में उनके होने की यही तिथि लिखी है।
 
सम्राट ययाति : 9,223 वर्ष पूर्व हिन्दू धर्म
सम्राट ययाति के प्रमुख 5 पुत्र थे- 1. पुरु, 2. यदु, 3. तुर्वस, 4. अनु और 5. द्रुहु। इन्हें वेदों में पंचनंद कहा गया है। अनुमानित रूप से 7,200 ईसा पूर्व अर्थात आज से 9,217 वर्ष पूर्व ययाति के इन पांचों पुत्रों का संपूर्ण धरती पर राज था। पांचों पुत्रों ने अपने-अपने नाम से राजवंशों की स्थापना की। यदु से यादव, तुर्वसु से यवन, द्रुहु से भोज, अनु से मलेच्छ और पुरु से पौरव वंश की स्थापना हुई। ययाति प्रजापति ब्रह्मा की 10वीं पीढ़ी में हुए थे।
 
स्वायम्भुव मनु : 11,000 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
माथुरों के इतिहास के अनुसार स्वायम्भुव मनु अनुमानित 9057 ईसा पूर्व हुए थे। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ स्वायम्भुव मनु से 5वीं पीढ़ी में इस क्रम में हुए- स्वायम्भुव मनु, प्रियव्रत, अग्नीघ्र, नाभि और फिर ऋषभ। ऋषभनाथ के 2 पुत्र थे- चक्रवर्ती सम्राट भरत और बाहुबली। स्वायम्भुव मनु को धरती का पहला मानव माने जाने के कई कारण हैं। धर्मशास्त्र और प्राचेतस मनु को अर्थशास्त्र का आचार्य माना जाता है। मनुस्मृति ने सनातन धर्म को आचार संहिता से जोड़ा था।
 
ब्रह्मा : 14,000 वर्ष पहले हिन्दू धर्म 
अनुमानित रूप से लगभग 12,000 ईसा पूर्व भगवान ब्रह्मा के कुल की शुरुआत हुई। ऋषि कश्यप का यह काल माना जाता है। ब्रह्मा के प्रमुख पुत्र ये थे- मारिचि, अत्रि, अंगिरस, पुलस्त्य, पुलह, कृतु, भृगु, वशिष्ठ, दक्ष, कंदर्भ, नारद, सनक, सनन्दन, सनातन और सनतकुमार, स्वायम्भुव मनु और चित्रगुप्त। मरीचि के पुत्र ऋषि कश्यप थे जिनके देवता, दैत्य, दानव, राक्षस आदि सैकड़ों पुत्र थे। ब्रह्मा को प्रजातियों की उत्पत्ति का श्रेय जाता है।
 
नील वराह : 16,000 वर्ष पहले हिन्दू धर्म
कहते हैं कि लगभग 14,000 विक्रम संवत पूर्व अर्थात आज से 15,923 वर्ष पूर्व भगवान नील वराह ने अवतार लिया था। नील वराह काल के बाद आदि वराह काल और फिर श्वेत वराह काल हुए। इस काल में भगवान वराह ने धरती पर से जल को हटाया और उसे इंसानों के रहने लायक बनाया था। उसके बाद ब्रह्मा ने इंसानों की जाति का विस्तार किया और शिव ने संपूर्ण धरती पर धर्म और न्याय का राज्य कायम किया। इससे पहले लोग स्वर्ग या कहें कि देवलोक में रहते थे। हालांकि मानव तब भी था लेकिन सभ्यता की शुरुआत यहीं से मानी जाती है।
 
हिन्दू धर्म की यह शुरुआत तो लाखों वर्ष पहले हुए थी परंतु ज्ञात इतिहास के अनुसार वराह में इसकी शुरुआत होती है जबकि इससे पहले का इतिहास भी पुराणों में दर्ज है जिसे मुख्य 5 कल्पों के माध्यम से बताया गया है। जम्बूद्वीप का पहला राजा स्वायम्भुव मनु ही था। राजा प्रियव्रत संभवत: इन्हीं का नाम था। इनके पुत्र अग्नींध्र और अग्नींध्र से नाभि और नाभि से ऋषभ फिर ऋषभ से भरत का जन्म हुआ। चक्रवती सम्राट भारत से ही सनातन धर्म की सुगठित शुरुआत होती है। 
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पीढ़ियों का उल्लेख
  • ब्रह्माजी से मरीचि का जन्म हुआ। मरीचि के पुत्र कश्यप हुए। कश्यप के विवस्वान और विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए। 6673 ईसा पूर्व वैवस्वत मनु हुए थे। वैवस्वत मनु के कुल की 64वीं पीढ़ी में भगवान राम हुए थे और राम के पुत्र कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत में कौरवों की ओर से लड़े थे। महाभारत का युद्ध 3000 ईस्वी पूर्व हुआ था।
  • प्राचीन ग्रंथों में मानव इतिहास को 5 कल्पों में बांटा गया है- (1) हमत् कल्प 1 लाख 9,800 वर्ष विक्रम संवत पूर्व से आरंभ होकर 85,800 वर्ष पूर्व तक, (2) हिरण्य गर्भ कल्प 85,800 विक्रम संवत पूर्व से 61,800 वर्ष पूर्व तक, ब्राह्म कल्प 60,800 विक्रम संवत पूर्व से 37,800 वर्ष पूर्व तक, (3) ब्रह्म कल्प 60,800 विक्रम संवत पूर्व से 37,800 वर्ष पूर्व तक, (4) पद्म कल्प 37,800 विक्रम संवत पूर्व से 13,800 वर्ष पूर्व तक और (5) वराह कल्प 13,800 विक्रम संवत पूर्व से आरंभ होकर इस समय तक चल रहा है।
  • अब तक वराह कल्प के स्वायम्भुव मनु, स्वरोचिष मनु, उत्तम मनु, तामस मनु, रैवत मनु, चाक्षुष मनु तथा वैवस्वत मनु के मन्वंतर बीत चुके हैं और अब वैवस्वत तथा सावर्णि मनु की अंतरदशा चल रही है। सावर्णि मनु का आविर्भाव विक्रमी संवत् प्रारंभ होने से 5,630 वर्ष पूर्व हुआ था।
 
-संदर्भ पुराण और महाभारत 
- माथुर चतुर्वेदियों का इतिहास

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