एटा। उत्तर प्रदेश के एटा में 5वीं सदी के बहुमूल्य शिलालेख, पुरातात्विक अवशेष और एक प्राचीन मंदिर के होने के सबूत मिले हैं। बताया जा रहा है कि एएसआई के आगरा सर्कल ने 1500 साल पहले गुप्त वंश के समय में अवशेष एटा के बिल्सढ़ गांव में खोज निकाले हैं। ये अवशेष उस समय मिले जब 1928 के जमाने से संरक्षित एक धरोहर स्थल की नियमित साफ-सफाई और जांच की जा रही थी।
उत्तर प्रदेश के एटा जिले के एक गांव में पांचवीं शताब्दी के गुप्तकालीन मंदिर के अवशेष मिले हैं। यह मंदिर गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त प्रथम (Kumargupta First) के काल का बताया जा रहा है। यहां पर मंदिर की सीढ़ियां और सीढ़ियों पर एक खड़ा एक पिलर भी दिखाई दे रहा है। इस पर शंखलिपि में कुछ लिखा हुआ मिला है। आओ जानते हैं कि शंख लिपि के संबंध में कुछ खास।
शंख लिपि : सिंधु लिपि की तरह कुछ प्राचीन लिपियां आज भी एक अनसुलझी पहेली बनी हुई हैं। उनमें लिखित अभिलेख अभी तक नहीं पढ़े जा सके हैं। भारत तथा जावा और बोर्नियो में प्राप्त बहुत से शिलालेख शंखलिपि में हैं। इस लिपि के वर्ण 'शंख' से मिलते-जुलते कलात्मक होते हैं। इसीलिए शंख लिपि कहते हैं।
कहते हैं कि शंख लिपि में 12 अक्षर होते हैं। इस लिपि के अब तक प्राप्त लेखों में बहुत छोटे-छोटे संदेश खुदे हुए हैं। इन लेखों को अभी तक नहीं पढ़ा जा सका है। शंख लिपि एक प्राचीन लिपि है जो पहले पूरी तरह से अज्ञात थी। इसके अक्षर शंख के आकार जैसे लगते हैं इसीलिए इसका नाम शंख लिपि रखा गया। शंख लिपि के अवशेष जन्म कश्मीर से लेकर बंगाल और कर्नाटक तक पाए गए हैं। इससे बता चलता है कि उस काल में इस लिपि को जानने वालों की संख्या अधिक थी।
शंख लिपि को विराटनगर से संबंधित माना जाता है। उदयगिरि की गुफाओं की शिलालेखों और स्तंभों पर यह लिपि खुदी हुई है। इस लिपि के अक्षरों की आकृति शंख के आकार की है। प्रत्येक अक्षर इस प्रकार लिखा गया है कि उससे शंखाकृति उभरकर सामने दिखाई पड़ती है। इसलिए इसे शंखलिपि कहा जाने लगा।