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क्या मुगलों का संपूर्ण भारत पर राज था और क्या अंग्रेजों ने मुगलों से सत्ता छीनी थी?

अनिरुद्ध जोशी
शनिवार, 4 मई 2024 (17:21 IST)
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भारत के एक बड़े भूभाग यूनानी, मंगोल, ईरानी, अरबी, पुर्तगाली, फ्रांसीसी, तुर्क और अंग्रेज ने राज किया है। 327 ईपू सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया और सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र के राजाओं को उसकी अधीनता स्वीकारना पड़ी, लेकिन मगध की विशाल सेना के सामने उसकी सेना ने युद्ध से इनकार कर दिया था और उसे भारत भूमि छोड़कर बेबीलोन जाना पड़ा। इसके बाद 711 ईस्वी में मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर कब्जा कर लिया था। 500 साल मुसलमानों के और 200 साल अंग्रेजों के शासन सहित भारतीय लोग करीब पूर्ण रूप से 700 से ज्यादा वर्ष तक विदेशी गुलामी में जीते रहे। 1947 तक कुल गुलामी का काल 1236 वर्ष रहा।
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सम्मिलित राज्य : ईस्ट इंडिया कंपनी के आने के पहले भारत में मुगल, सिख, मराठा, राजपूत, बहमनी, अहोम, तुलुव, अरावती, त्रावणकोर, काकतीय आदि राजवंशों या राजाओं का स्वतंत्र शासन था। मुगल या मुसलमानों का कभी भी संपूर्ण भारत पर एकछत्र राज नहीं रहा। पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, हिंदू कुश, मुल्तान, पंजाब, पश्तून आदि जगहों पर पूर्णत: इस्लामिक सत्ता कायम हो चुकी थी। दिल्ली, बंगाल, मैसूर जैसी हिन्दू बहुल जगहों पर मुस्लिम शासकों का शासन था, जिनकी लड़ाई मराठा, राजपूत, सिख और दक्षिण के राजाओं से जारी थी। दूसरी ओर गोवा में पुर्तगाल और पुडुचेरी में फ्रांसीसी कब्जा करके बैठे थे। सिक्किम, अरुणाचल सहित पूर्वोत्तर क्षेत्र की कहानी अलग ही थी। लेकिन यह सच है कि भारत में अंग्रेजों के आने के पहले मुगल, बहमनी, काकतीय, मराठा, राजपूत सहित कई बड़ी शक्तियों का भारत में साम्राज्य स्थापित था। अंग्रेज जब आए तो उन्हें सभी सभी से लड़ाइयां लड़ी लेकिन वे सिर्फ एक खंडित भारत पर ही शासन कर पाए।
 
भारत में पुर्तगाली:  पुर्तगाली कंपनी ने भारत में सबसे पहले प्रवेश किया। पुर्तगाली व्यापारी वास्कोडिगामा ने 17 मई, 1498 को भारत के पश्चिमी तट पर अवस्थित बंदरगाह कालीकट पहुंचकर भारत और यूरोप के संबंधों को लेकर एक नए युग की शुरुआत की। इसके बाद धीरे-धीरे पुर्तगालियों ने भारत आना आरंभ कर दिया। भारत में कालीकट, गोवा, दमन, दीव एवं हुगली के बंदरगाहों में पुर्तगालियों ने अपनी व्यापारिक कोठियों की स्थापना की। भारत में प्रथम पुर्तगाली फैक्ट्री की स्थापना 1503 ई. में कोचीन में की गई तथा द्वितीय फैक्ट्री की स्थापना 1505 ई. में कन्नूर में की गई। इस तरह भारत के उक्त क्षेत्रों पर स्वत: की पुर्तगालियों का शासन शुरू हो गया। पुर्तगाल से प्रथम वायसराय के रूप में फ्रांसिस्को डी अल्मीडा और फिर बाद में अल्फांसो द अल्बुकर्क का आगमन हुआ। दोनों ने भारत को अपनी शक्ति का केंद्र बनाया। उसने कोचीन को अपना मुख्यालय बनाया। अल्बुकर्क ने 1510 ई. में गोवा को बीजापुर के शासक युसूफ आदिलशाह से छीनकर अपने अधिकार क्षेत्र में कर लिया। 19 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना ने एक ऑपरेशन के तहत पुर्तगालियों को गोवा से जाने पर मजबूर किया और तब यह भारतीय संघ में मिला।
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भारत में फ्रांस का राज : 17वीं शताब्दी की शुरुआत में फ्रांसीसी व्यापारियों का भारत में आगमन हुआ। उन्होंने सबसे पहले सूरत, मसूलीपट्टम और पांडिचेरी के तटीय शहरों में अपने व्यापारिक चौकियां स्थापित की। 1664 में, फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी, या कॉम्पैनी फ़्रैन्काइज़ डेस इंडेस ओरिएंटल की स्थापना की गई थी। उसने पांडिचेरी और चंद्रनगर सहित कई महत्वपूर्ण बंदरगाहों पर नियंत्रण हासिल कर लिया। अन्य फ्रांसीसी क्षेत्रों में कराइकल, माहे और यानम शामिल थे। फ्रांसीसियों ने कर्नाटक के शासक का समर्थन किया, जबकि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने उनके प्रतिद्वंद्वी का समर्थन किया। पांडिचेरी 138 साल तक फ्रांस के अधीन था। 1761 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने यहां पर कब्जा कर लिया। 1763 में पेरिस संधि के तहत पांडिचेरी को पुन: फ्रांस को सौंपा गया। 1954 को इसका भारतीय संघ में विलय हुआ तब तक यह फ्रांस के पास ही था।
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भारत में अंग्रेजों का राज : मुगलों की तरह अंग्रेजों का कभी भी संपूर्ण भारत पर राज नहीं रहा। अंग्रेजों ने भारत की सत्ता को न सिर्फ मुगलों से बल्कि राजपूतों, सिखों और मराठों के साथ ही दक्षिण भारत के राजाओं से छीना था। एक समय था जबकि राजपूतों, मराठाओं और सिखों ने अंग्रेजों से लोहा लिया और अंग्रेजों का साथ उस समय मुस्लिम शासकों ने दिया। फिर एक समय ऐसा आया कि मुस्लिम शासकों को हटाने के लिए अंग्रेजों ने राजपूतों और सिखों को अपने साथ लिया और इस तरह अंग्रेजों ने दोनों ही पक्ष को अपने लिए कार्य करने पर मजबूर कर दिया और अंतत: अधिकांश रजवाड़ों अंग्रेजों के अधीन हो गए। 
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भारत में ब्रिटेन का दो तरह से राज था- पहला कंपनी का राज और दूसरा 'ताज' का राज। 1857 से शुरू हुआ ताज का राज 1947 में खत्म हो गया। इससे पहले कंपनी का राज था। उत्तर भारत में 1615-18 ई. में सम्राट जहांगीर ने ईस्ट इण्डिया कंपनी को विशेषाधिकार देकर भारत में व्यापार करने की छूट दे दी। उत्तर भारत में 1615-18 ई. में सम्राट जहांगीर ने ईस्ट इण्डिया कंपनी को विशेषाधिकार देकर भारत में व्यापार करने की छूट दे दी। जहांगीर और कंपनी ने मिलकर 1618 से लेकर 1750 तक भारत के अधिकांश हिंदू रजवाड़ों को छल से अपने कब्जे में ले लिया था। लेकिन कई ऐसे रजवाड़े और क्षेत्र थे जिन पर न तो कभी मुगल राज कर पाए और न ही अंग्रेज। कंपनी की शक्तियों को कमजोर करने के बाद ब्रिटिश सेना ने भारत पर अधिकार कर लिया और फिर शुरू हुआ ब्रिटिश ताज का शासन।
 
स्वतंत्रता के समय 'भारत' के अंतर्गत तीन तरह के क्षेत्र थे-
1. 'ब्रिटिश भारत के क्षेत्र'- ये लंदन के इंडिया ऑफिस तथा भारत के गवर्नर-जनरल के सीधे नियंत्रण में थे।
2. 'देसी राज्य'
3. फ्रांस और पुर्तगाल के औपनिवेशिक क्षेत्र (चंदननगर, पांडिचेरी, गोवा आदि)
 
नोट : 662 देशी रियासतों में से ब्रिटिश शासन के अधीन थे 565 रजवाड़े। बाकी या तो फ्रांस और पुर्तगाल के अधीन थे या स्वतंत्र थे। सिक्किम, अरुणाचल और पूर्वोत्तर के राज्यों की कहानी अलग है। 

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