Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

इन 8 कारणों से आत्मा लेती है फिर से जन्म

अनिरुद्ध जोशी
यजुर्वेद में कहा गया है कि शरीर छोड़ने के पश्चात्य, जिन्होंने तप-ध्यान किया है वे ब्रह्मलोक चले जाते हैं अर्थात ब्रह्मलीन हो जाते हैं। कुछ सतकर्म करने वाले भक्तजन स्वर्ग चले जाते हैं। स्वर्ग अर्थात वे देव बन जाते हैं। राक्षसी कर्म करने वाले कुछ प्रेत योनि में अनंतकाल तक भटकते रहते हैं और कुछ पुन: धरती पर जन्म ले लेते हैं। जन्म लेने वालों में भी जरूरी नहीं कि वे मनुष्य योनि में ही जन्म लें। वे सभी अपनी कर्म और मति की गति अनुसार जन्म लेते हैं। गति कई प्रकार की होती है।
 
 
पुराणों के अनुसार व्यक्ति की आत्मा प्रारंभ में अधोगति होकर पेड़-पौधे, कीट-पतंगे, पशु-पक्षी योनियों में विचरण कर ऊपर उठती जाती है और अंत में वह मनुष्य वर्ग में प्रवेश करती है। मनुष्य अपने प्रयासों से देव या दैत्य वर्ग में स्थान प्राप्त कर सकता है। वहां से पतन होने के बाद वह फिर से मनुष्य वर्ग में गिर जाता है। यदि आपने अपने कर्मों से मनुष्य की चेतना के स्तर से खुद को नीचे गिरा लिया है तो आप फिर से किसी पक्षी या पशु की योनी में चले जाएंगे। यह क्रम चलता रहता है। अर्थात व्यक्ति नीच कर्म से नीचे गिरता या उच्च कर्मों से उपर उठता चला जाता है। यही कारण है कि व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार जीवन मिलता है और वह अपने कर्मों का फल भोगता रहता है। यही कर्मफल का सिद्धांत है।
 
 
उपनिषदों के अनुसार एक क्षण के कई भाग कर दीजिए उससे भी कम समय में आत्मा एक शरीर छोड़ तुरंत दूसरे शरीर को धारण कर लेता है। यह सबसे कम समयावधि है। सबसे ज्यादा समायावधि है 30 सेकंड। परंतु पुराणों के अनुसार यह समय लंबा की हो सकता है 3 दिन, 13 दिन, सवा माह या सवाल साल। इससे ज्यादा जो आत्मा नया शरीर धारण नहीं कर पाती है वह मुक्ति हेतु धरती पर ही भटकती है, स्वर्गलोक चली जाती है, पितृलोक चली जाती है या अधोलोक में गिरकर समय गुजारती है।
 
 
8 कारणों से लेती है आत्मा पुनर्जन्म :
 
1. भगवान की आज्ञा से : भगवान किसी विशेष कार्य के लिए महात्माओं और दिव्य पुरुषों की आत्माओं को पुन: जन्म लेने की आज्ञा देते हैं।
2. पुण्य समाप्त हो जाने पर : संसार में किए गए पुण्य कर्म के प्रभाव से व्यक्ति की आत्मा स्वर्ग में सुख भोगती है और जब तक पुण्य कर्मों का प्रभाव रहता है, वह आत्मा दैवीय सुख प्राप्त करती है। जब पुण्य कर्मों का प्रभाव खत्म हो जाता है तो उसे पुन: जन्म लेना होता है।
3. पुण्य फल भोगने के लिए : कभी-कभी किसी व्यक्ति द्वारा अत्यधिक पुण्य कर्म किए जाते हैं और उसकी मृत्यु हो जाती है, तब उन पुण्य कर्मों का फल भोगने के लिए आत्मा पुन: जन्म लेती है।
4. पाप का फल भोगने के लिए।
5. बदला लेने के लिए : आत्मा किसी से बदला लेने के लिए पुनर्जन्म लेती है। यदि किसी व्यक्ति को धोखे से, कपट से या अन्य किसी प्रकार की यातना देकर मार दिया जाता है तो वह आत्मा पुनर्जन्म अवश्य लेती है।
6. बदला चुकाने के लिए।
7. अकाल मृत्यु हो जाने पर।
8. अपूर्ण साधना को पूर्ण करने के लिए।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Guru Pushya Nakshatra 2024: पुष्य नक्षत्र में क्या खरीदना चाहिए?

जानिए सोने में निवेश के क्या हैं फायदे, दिवाली पर अच्छे इन्वेस्टमेंट के साथ और भी हैं कारण

झाड़ू से क्या है माता लक्ष्मी का कनेक्शन, सही तरीके से झाड़ू ना लगाने से आता है आर्थिक संकट

30 को या 31 अक्टूबर 2024 को, कब है नरक चतुर्दशी और रूप चौदस का पर्व?

गुरु पुष्य योग में क्यों की जाती है खरीदारी, जानें महत्व और खास बातें

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: 24 अक्टूबर, दीपावली पूर्व का गुरु-पुष्य नक्षत्र का संयोग आज, जानें किसके चमकेंगे सितारे

Diwali Muhurat Trading 2024: कब होगा शेयर बाजार में दिवाली का मुहूर्त ट्रेडिंग 31 अक्टूबर या 01 नवंबर, NSE ने किया स्पष्ट

24 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

24 अक्टूबर 2024, गुरुवार के शुभ मुहूर्त

આગળનો લેખ
Show comments