यूक्रेन में फंसे भारतीय स्टूडेंट को न सिर्फ अपनी जान बचाने के लिए बल्कि जिंदा रहने के लिए भी संघर्ष करना पड रहा है।
ठंड का पारा लगातार गिरा हुआ है, स्टॉक किया हुआ खाना खत्म हो गया है। जो स्टूडेंट बीमार हैं, वे न डाइट ले पा रहे हैं और न ही मेडिसिन ले पा रहे हैं। यहां तक कि इंसुलिन लेने वाले छात्र इंसुलिन नहीं ले पा रहे हैं। वहीं छात्राओं को वॉर की दहशत में पैनिक अटैक आ रहे हैं।
दरअसल, ये सभी छात्र यूक्रेन की राजधानी कीव से करीब 400 किमी दूर बसे डेनिप्रो शहर में छिपे हुए हैं। यहां भारत के करीब 35 स्टूडेंट्स अंडरग्राउंड फैसिलिटीज में छिपे हैं। जिस हॉस्टल में रहते हैं, उसी में छिपे हैं।
मीडिया में आई रिपोर्ट से पता चल रहा है कि इनमें से कई स्टूडेंट डायबिटीज, अस्थमा के शिकार हैं, लेकिन वे उनके पास न दवाई है और न खाने को भोजन है। यहां तक कि कुछ छात्र इंसुलिन के डोज भी नहीं ले पा रहे। जबकि लड़कियों डर के मारे पैनिक अटैक आ रहे हैं।
अंडरग्राउंड होने से पहले इन लोगों ने राशन खरीदा था, लेकिन अब राशन नहीं बचा है। अब सब कुछ बंद हो चुका है। जहां रहते हैं वहां, बम गिर रहे हैं। ऐसे में बाहर भी नहीं निकल सकते।
तापमान माइनस 5 डिग्री के आसपास है। ऐसे में सर्दी से खुद को बचाना भी बड़ी है। अधिकतर लोगों को सर्दी-खांसी, बुखार हो गया है। दवाई नहीं मिल रही है। ऐसे में उनके पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है। वे एक दूसरे का देसी तरीकों से इलाज कर रहे हैं।